►एफएमसीजी क्षेत्र की 50,000 स्थानीय कंपनियों की एकीकृत वृद्धि एचयूएल, आईटीसी, नेस्ले, डाबर व गोदरेज सहित शीर्ष 50 कंपनियों के मुकाबले 75 फीसदी अधिक रही
►जुलाई से सितंबर की अवधि में शीर्ष 50 एफएमसीजी कंपनियों की वृद्धि 10.6 फीसदी रही, जबकि उसके बाद की 50 कंपनियों की वृद्धि दर 10.4 फीसदी दर्ज की गई
अलवर की कंपनी जयंती ग्रुप ने करीब दो साल पहले अपने फिज्जी ड्रिंक्स के साथ दिग्गज शीतल पेय कंपनी कोका कोला और पेप्सिको को तगड़ी चुनौती दी थी। जलजीरा और नींबूज फ्लेवर्ड एयरेटेड ड्रिंक्स बनाने वाली इस कंपनी ने 2015 और 2016 के दौरान प्रमुख उत्तर भारतीय बाजार में अपनी पैठ जमाने लगी थी।
कोक ने इस प्रकार की छोटी क्षेत्रीय कंपनियों से मिल रही चुनौतियों से निपटने के लिए पिछले साल अपने रिमजिम ब्रांड को पुनर्जीवित किया जिसे वह कभी दरकिनार कर चुकी थी। इसी प्रकार पेप्सिको ने अपने सबसे महत्त्वपूर्ण स्नैक्स पोर्टफोलियो को पुनर्गठित किया और इसके तहत 20 अलग-अलग क्षेत्रीय वेरिएंट उतारे गए। साथ ही कंपनी ने अपने जबरदस्त विपणन अभियान के जरिये इन उत्पादों को बाजार में स्थापित करने की कोशिश की।
देश में नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने से व्यापार को औपचारिक बनाने का रास्ता साफ हुआ। इससे क्षेत्रीय कंपनियों को झटका लगा क्योंकि थोक चैनल काफी प्रभावित हुआ। थोक चैनल को बाजार में पहुंचने का सबसे आसान तरीका माना जाता था।
विश्लेषकों ने अनुमान लगाया कि जीएसटी लागू होने से बड़ी एवं औपचारिक कारोबार वाली कंपनियों को बल मिलेगा और रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुएं बनाने वाली (एफएमसीजी) क्षेत्रीय कंपनियों को झटका लगेगा। इसका मतलब साफ था कि उदाहरण के लिए, जयंती जैसी क्षेत्रीय कंपनियां जीएसटी पूर्व की अवधि में अपनी बिक्री में 25 फीसदी वृद्धि की उम्मीद कर रही थी लेकिन अब ऊंची वृद्धि के दिन लद सकते थे। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। तमाम चुनौतियों के बावजूद क्षेत्रीय एफएमसीजी कंपनियों ने जीएसटी बाद की अवधि में दमदार प्रदर्शन किया है।
बाजार अनुसंधान फर्म नीलसन के ताजा आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में क्षेत्रीय ब्रांडों ने 42 फीसदी की सर्वकालिक दर के साथ वृद्धि की। तमाम पूर्वानुमानों के विपरीत इन क्षेत्रीय एफएमसीजी कंपनियों की वृद्धि दर में लगातार वृद्धि दर्ज की गई। पिछले साल अक्टूबर से दिसंबर की अवधि में इन कंपनियों की वृद्धि दर 21 फीसदी थी जो बढ़कर मार्च 2018 में 24 फीसदी और जून में 35 फीसदी हो गई।
कुल मिलाकर इन क्षेत्रीय एफएमसीजी कंपनियों ने वृद्धि के मोर्च पर अपने क्षेत्र की शीर्ष कंपनियों के मुकाबले कहीं अधिक रफ्तार हासिल करने में सफल रहीं। एफएमसीजी क्षेत्र के करीब 50,000 स्थानीय विनिर्माताओं की एकीकृत वृद्धि हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी, नेस्ले, डाबर और गोदरेज जैसी शीर्ष 50 विनिर्माताओं के मुकाबले 75 फीसदी अधिक रही। जुलाई से सितंबर की अवधि में शीर्ष 50 एफएमसीजी कंपनियों की वृद्धि 10.6 फीसदी रही, जबकि उसके बाद की 50 कंपनियों की वृद्धि दर 10.4 फीसदी दर्ज की गई। अगली 200 कंपनियों यानी राजस्व के लिहाज से शीर्ष 100 से लेकर शीर्ष 300 के बीच की कंपनियों की वृद्धि दर 12.8 फीसदी रही।
जबकि इसके मुकाबले इस सूची की निचली हजारों कंपनियों की वृद्धि दर 18.7 फीसदी रही। नीलसन के आंकड़ों से राष्टï्रीय एवं क्षेत्रीय कंपनियों के बीच अंतर स्पष्टï तौर पर दिखता है। सितंबर के अंत में मूविंग एनुअल टोटल (एमएटी) के अनुसार उनकी वृद्धि दर 16 फीसदी रही। एमएटी पिछले 12 महीनों के मुकाबले बिक्री आंकड़ों को मापने का एक पैमाना है।
वृद्धि दर के मोर्चे पर राष्ट्रीय और क्षेत्रीय कंपनियों के बीच फासला भले ही काफी दिख रहा हो लेकिन उसका आकलन करना अभी बाकी है और विश्लेषकों का कहना है कि उस पर काफी काम चल रहा है। डेलॉयट इंडिया के पार्टनर रजत वाही इस परामर्श कंपनी के उपभोक्ता खुदरा एवं कृषि कारोबार इकाई का नेतृत्व करते हैं। उनका कहना है कि थोक विक्रेताओं के एक बड़े तबके का कारोबार प्रभावित होना छोटी कंपनियों के लिए वरदान साबित हो सकता है।
उन्होंने कहा, 'क्षेत्रों में जहां बड़ी कंपनियां अपने थोक चैनल पर निर्भर होती हैं, जीएसटी अनुपालन में अक्षमता के कारण थोक विक्रेताओं ने जमीन खाली कर दिया होगा। इस बीच बड़े ब्रांडों के अभाव के कारण पैदा हुई खाई को पाटने में तमाम क्षेत्रीय कंपनियों ने भूमिका निभाई।' कुल मिलाकर क्षेत्रीय कंपनियों को उसके कम आधार के कारण दमदार वृद्धि दर्ज करने में मदद मिली।
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