मार्च तक आधे एटीएम हो सकते हैं बंद! | |
बीएस संवाददाता / मुंबई 11 21, 2018 | | | | |
► 2.2 लाख मौजूदा एटीएम में से 1.3 लाख हो सकते हैं बंद
► महज 15 रुपये अंतर-शुल्क होने से बढ़ी समस्या
► एटीएम उद्योग पांच साल से शुल्क बढ़ाने की कर रहा है मांग
► बैंक बढ़ी लागत का बोझ उठाने को नहीं तैयार
► शुल्क पर पुनर्विचार करने की मांग की लेकिन नहीं मिली राहत
► नए नियमन से उद्योग पर करीब 35 अरब रुपये का बढ़ेगा बोझ
► भारत में प्रति एक लाख ग्राहक पर 18 एटीएम
स्रोत : आरबीआर-लंदन रिपोर्ट
एटीएम उद्योग के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ एटीएम इंडस्ट्रीज (सीएटीएमआई) ने चेतावनी दी है कि नई अनुपालन लागत और प्रति लेनदेन 15 रुपये का कम अंतर-बदलाव शुल्क (इंटर-चार्ज) होने की वजह से करीब एक लाख एटीएम और 15,000 से अधिक व्हाइट-लेबल एटीएम बंद हो सकते हैं, जो मौजूदा समय में परिचालन वाले कुल 2.38 लाख एटीएम का करीब आधा है।
संगठन ने कहा कि हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को अद्यतन करने के हालिया नियामकीय दिशानिर्देश से अतिरिक्त लागत का बोझ बढ़ेगा, जिसका वहन करने में उद्योग सक्षम नहीं है। संगठन के मुताबिक काफी संख्या में एटीएम गैर-शहरी इलाकों में स्थित हैं, जिसके बंद होने से प्रधानमंत्री जनधन योजना के लाभार्थी, जो एटीमए से सब्सिडी के पैसे की निकासी करते हैं, वे प्रभावित होंगे।
भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंध निदेशक (रिटेल एवं डिजिटल बैंकिंग) पीके गुप्ता ने कहा, 'नई नियामकीय जरूरतों का पालन करना होगा, ऐसे में एटीएम को अद्यतन करने की जरूरत होगी। हमारे पास दो तरह के एटीएम हैं - एक तो हमारी अपनी मशीन है, जिसे अद्यतन किया जाएगा और दूसरा वेंडर की मशीन हैं। बैंक वेंडरों से बात कर इसका समाधान निकालने का प्रयास कर रहा है।'
एक अग्रणी निजी बैंक के प्रवक्ता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि इंडियन बैंक एसोसिएशन ने भारतीय रिजर्व बैंक से नियमों में ढील देने या नकदी प्रबंधन की समयसीमा बढ़ाने की मांग की थी लेकिन आरबीआई से कोई राहत नहीं मिली। एटीएम उद्योग पर अब तक नोटबंदी का असर खत्म नहीं हुआ है। केंद्रीय बैंक ने जिन अतिरिक्त अनुपालनाओं को जरूरी बनाया है, उन पर भारी खर्च आएगा।
संगठन ने कहा, 'सेवा प्रदाताओं के पास इतने संसाधन नहीं हैं कि वे खर्च उठा सकें। अगर अतिरिक्त लागत वहन करने के लिए बैंक आगे नहीं आए तो सेवा प्रदाताओं को ये एटीएम बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।' यूरोनेट सर्विसेज इंडिया के क्षेत्रीय प्रबंध निदेशक (एशिया प्रशांत) हिमांशु पुजारा ने कहा, 'हमने बैंकों के साथ बातचीत की थी, लेकिन मेरा मानना है कि बैंकों को ये लागत वहन करने का निर्देश देने के लिए नियामकीय दखल की जरूरत है।'
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