पीसीए नियमों में नरमी से नहीं सुधरेगी उधारी की रफ्तार
श्रीपद एस ऑटे / मुंबई November 20, 2018
भारतीय रिजर्व बैंक के त्वरित उपचारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के दायरे में आए बैंकों को तत्काल कोई राहत नहीं मिलने वाली है। ऐसे में ज्यादातर ऐसे बैंकों के शेयर मंगलवार को 2 से 5 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। उधारी की रफ्तार में इजाफे के लिए सरकार ने पीसीए नियमों में नरमी की मांग की थी, लेकिन सोमवार को आरबीआई की बैठक में ऐसा नहीं हो पाया।
पीसीए बैंकों को उधार देने, शाखाओं के विस्तार आदि पर पाबंदी का सामना करना होता है। हालांकि वित्तीय सेवा बोर्ड इस पर नजर डालेगा, लेकिन निवेशकों के सामने सवाल यह है कि क्या नियमों में नरमी से उधारी की रफ्तार में ठीक-ठाक सुधार होगा।
पीसीए के संभावित उम्मीदवार सार्वजनिक क्षेत्र के छह बैंकों की उधारी की हिस्सेदारी पर नजर डालें तो संकेत मिलता है कि पीसीए नियमों में नरमी से शायद ही मदद मिलेगी। 11 पीसीए बैंकों के अलावा पंजाब नैशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, सिंडिकेट बैंक आदि पीसीए के दायरे में आ सकते हैं।
विशेषज्ञों ने कहा, दूसरे शब्दों में इन बैंकों को पीसीए के दायरे में न लाकर आरबीआई पहले ही कुछ राहत दे चुका है। हालांकि परिचालन पर किसी तरह की पाबंदी न होने से पीसीए के दायरे में आने वाले बैंकों की उधारी की हिस्सेदारी साल दर साल के हिसाब से करीब 100 आधार अंक गिरकर सितंबर तिमाही में 19.7 फीसदी रह गई, इसकी वजह ज्यादा फंसा कर्ज आदि रही।
वास्तव में इक्रा के मुताबिक, सभी पीएसबी का सॉल्वेंसी अनुपात काफी कमजोर यानी 84 फीसदी है। पीसीए बैंकों के लिए यह अनुपात सबसे खराब यानी 132 फीसदी है। शुद्ध एनपीए को हैसियत से भाग देने पर सॉल्वेंसी अनुपात निकलता है और यह बैंकों की वित्तीय सेहत का संकेत देता है।
इंडिया रेटिंग के प्रमुख (बीएफएसआई) प्रकाश अग्रवाल ने कहा, पीसीए नियमों में ढील से उधारी की रफ्तार तब तक बढ़ाने में मदद नहीं मिलेगी जब तक कि सरकार इन्हें कॉरपोरेट क्षेत्रों मसलन इन्फ्रा आदि को उधार देने को नहीं कहती। कमजोर पूंजी और ज्यादा एनपीए ने पीएसबी की उधारी की क्षमता प्रभावित की है।
साथ ही अगर कोई बैंक पीसीए से बाहर आता है तो इसे अतिरिक्त पूंजी की दरकार के चलते सरकारी जेब पर इसका असर दिखेगा। इसके अतिरिक्त राजकोषीय दबाव को देखते हुए विशेषज्ञों को इस पर संशय है कि मई 2019 में कार्यकाल समाप्त होने से पहले सरकार आखिर इन्हें कितनी पूंजी उपलब्ध करा पाती है।
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