जेट की फंडिंग की पड़ताल में लगी टाटा | अनीश फडणीस और निवेदिता मुखर्जी / मुंबई/ नई दिल्ली November 20, 2018 | | | | |
► टाटा संस के बोर्ड ने संभावित सौदे से जुड़े वित्तीय पहलुओं पर विचार करने को कहा
► गोयल को हिस्सेदारी छोड़ने और बोर्ड से हटने को कह सकता है टाटा
जेट एयरवेज और टाटा समूह के बीच संभावित सौदे को लेकर शुरू हुई कवायद नकारात्मक दिशा में बढ़ रही है। टाटा के प्रतिनिधियों ने नरेश गोयल की अगुआई वाले जेट एयरवेज के 'प्रतिष्ठापरक मसलोंद' को लेकर आपत्तियां उठाई हैं। इस एयरलाइन की फंडिंग के स्रोत को लेकर ये प्रतिनिधि आशंकित बताए जा रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जेट एयरवेज की स्थापना से लेकर इसकी फंडिंग के स्रोत तक के सवाल पर टाटा के प्रतिनिधि सशंकित हैं। टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस ने संभावित सौदे से जुड़े वित्तीय पहलुओं और फंडिंग स्रोत की पड़ताल के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया है। उस समिति के निष्कर्ष ही यह तय करेंगे कि टाटा समूह जेट एयरवेज के अधिग्रहण की दिशा में आगे बढ़ेगा या नहीं। टाटा संस ने शुक्रवार को अपनी बोर्ड बैठक के बाद जेट एयरवेज के साथ शुरुआती बातचीत की पुष्टि की थी। हालांकि उसने यह साफ किया था कि अभी तक उसकी तरफ से कोई पेशकश नहीं रखी गई है।
मौजूदा हालात में यही लग रहा है कि टाटा के आंतरिक पैनल की तरफ से संभावित सौदे को हरी झंडी दिखाए जाने पर भी टाटा कुछ और शर्तें रख सकता है। ऐसी चर्चाएं हैं कि टाटा गोयल पर अपनी समूची 51 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए जोर दे सकता है। इसके साथ ही वह एयरलाइन के बोर्ड से गोयल और उनके परिजनों की विदाई की भी शर्त रख सकता है। हालांकि एक सूत्र ने कहा कि इस सौदे का भविष्य सबसे ज्यादा इस बात पर निर्भर करेगा कि टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा की इस पर क्या राय है?
टाटा संस की हालिया बोर्ड बैठक में इस बिंदु पर भी विचार किया गया था कि जेट एयरवेज का अधिग्रहण क्या विमानन क्षेत्र में टाटा समूह की समग्र रणनीति के अनुकूल है? टाटा और सिंगापुर एयरलाइंस ने विस्तार योजना के तहत पहले ही विस्तारा एयरलाइन में 20 अरब रुपये का निवेश किया हुआ है। हालांकि समूह अपने कारोबार में विस्तार को प्राथमिकता देता है लेकिन कुछ सदस्यों ने जेट के संभावित अधिग्रहण को लेकर आशंका जाहिर की है। बोर्ड बैठक में यह सवाल भी उठा कि जब समूह ने एयर इंडिया की खरीद में रुचि नहीं दिखाई तो फिर जेट के अधिग्रहण की क्या जरूरत है?
एक सूत्र के मुताबिक जेट पर कर्ज का बोझ होने के साथ ही विभिन्न मंत्रालयों एवं सरकारी एजेंसियों की जांच के दायरे में रहने जैसी बातें भी इस सौदे को प्रभावित कर सकती हैं। जेट पर सितंबर 2018 के अंत तक 84 अरब रुपये का कर्ज था जिसमें से 18 अरब रुपये का कर्ज विमानों से संबंधित था। यह एयरलाइन कर्ज का बोझ कम करने के लिए अपने बोइंग 777 और एयरबस ए330 विमानों को बेचने और लीज पर देने की कोशिश कर रही है लेकिन पुनर्भुगतान की बड़ी राशि चिंता का विषय बना हुआ है। इसके अलावा परिचालन से जुड़े मसले भी हैं। मसलन, विस्तारा एयरलाइन में टाटा की सहयोगी सिंगापुर एयरलाइंस की जेट सौदे पर नजदीकी नजर है। अगर टाटा और जेट के बीच सौदा संपन्न होता है तो फिर टाटा विस्तारा का जेट में विलय करने के बारे में सोच सकता है।
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