'लोगों में निवेश है पुनरुद्धार की वास्तविक लागत' | अद्वैत राव पालेपू / November 19, 2018 | | | | |
रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस के कार्यकारी निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी आशिष वोहरा ने अद्वैत राव पालेपू से बातचीत में कंपनी के पुनरुद्धार के लिए पिछले 18 महीने के दौरान की गई कोशिश और समस्याओं पर विस्तृत चर्चा की। पेश हैं मुख्य अंश:
पिछले एक साल के दौरान अपनी योजनाओं में क्या बदलाव किया है?
वृद्धि के लिए एक महत्त्वपूर्ण वाहक है बिक्री और बीमा में आपको लाभप्रद वृद्धि की जरूरत होती है। पुनरुद्धार रणनीति के तहत हमारा पहला काम था मार्जिन बढ़ाना। इसलिए हमने अपनी योजनाओं के टिकट-साइज पर काम किया। दो साल पहले जब हम अपनी कोई योजना बेचते थे तो उसका आकार प्रति ग्राहक करीब 25,000 रुपये होता था जो अब उससे 71 फीसदी अधिक (समेकित स्तर पर) है। इसलिए बीमित रकम कहीं अधिक है। आम लोगों की कंपनी होने के नाते टिकट-साइज को बढ़ाना कठिन है क्योंकि हम लक्षित बाजार में भी आगे बढ़ रहे हैं। हमारी रणनीति का दूसरा हिस्सा था योजनाओं की परिपक्वता अवधि बढ़ाना। इससे लाभप्रदता और मार्जिन को बल मिलेगा। एक जीवन बीमा कंपनी के तौर पर हम यहां पांच साल की परिपक्वता अवधि वाली योजनाओं की बिक्री करने के लिए नहीं आए हैं। बल्कि हम 15 साल अथवा 20 साल की परिपक्वता अवधि वाली योजनाओं को बेचने के लिए यहां हैं। हमारी सबसे अधिक परिपक्वता अवधि वाली योजना 24 वर्षों के लिए है। ग्राहकों के लिए यह एक निश्चित रिटर्न वाली योजना है जो उनके लिए काफी मायने रखता है खासतौर पर बाजार में उतार-चढ़ाव को देखते हुए।
सबसे बड़ी चुनौतियां क्या रहीं?
मेरे विचार से लोगों में निवेश ही पुनरुद्धार की वास्तविक लागत है। आपको समान विचार वाले लोगों की टीम तैयार करने की जरूरत होती है। इसमें समय लगता है और आगे की योजनाओं के लिए टीम को प्रेरित करना पड़ता है। नेतृत्व के स्तर पर दृढ़ विश्वास पैदा करना कठिन है और उसके लिए काफी समय और मेहनत की जरूरत होती है। दूसरी चुनौती है मौजूदा प्रक्रिया और मानसिक रूप से तैयारी। ऐसा करने के लिए नेतृत्व के स्तर से व्यापक संवाद की जरूरत होती है ताकि कर्मचारियों खास तौर पर सेल्स टीम को निर्देशित करने के लिए। सेल्स टीम के लोग ही रकम अथवा ग्राहकों को लाते हैं और आपकी प्रक्रियाओं को अंतिम तौर पर लागू करते हैं। इस रणनीति को लागू करने के लिए हमें नई प्रतिभाओं की भी जरूरत थी और आज हमारा आधा से अधिक प्रबंधन नया है।
पिछले साल कंपनी की प्रीमियम आय में वृद्धि दर्ज की गई। मौजूदा तौर-तरीकों में सुधार के लिए आपने क्या किया?
साल 2015 और 2016 में हमने घाटा दर्ज किया। हमारे राजस्व में भी गिरावट दर्ज की गई। ऐसे समय में जब बाजार सालाना 10 से 12 फीसदी की दर से बढ़ रहा था, हमने लगातार तीन साल तक बिक्री में 30 फीसदी की गिरावट दर्ज की। जाहिर तौर पर इससे उबरने और कंपनी को वापस पटरी पर लाने के लिए हमें कुछ सख्त कदम उठाने की जरूरत थी। आज नए कारोबारी प्रीमियम (एनबीपी) करीब 29 फीसदी और हमारे नवीनीकृत प्रीमियम करीब 4 फीसदी हैं। जहां तक एनबीपी का सवाल है तो हम वित्त वर्ष 2018-19 की पहली छमाही के दौरान इस क्षेत्र की औसत वृद्धि 11 फीसदी के मुकाबले सबसे तेज रफ्तार वाली कंपनियों में शामिल हैं।
जीवन बीमा कंपनियां इन दिनों अपने टर्म प्लान पोर्टफोलियो पर कहीं अधिक ध्यान केंद्रित कर रही हैं। आप क्या कहेंगे?
पिछले तीन साल के दौरान टर्म प्लान पोर्टफोलियो कहीं अधिक बड़ा हुआ है और यह सबसे तेजी से उभरने वाली श्रेणियों में शामिल हो चुका है। हालांकि उसका आधार काफी कम है। शहरी युवा टर्म (बीमा) को अलग नजरिये से देखते हैं। वे इसे ऑनलाइन खरीद रहे हैं और वे विभिन्न प्लान की तुलना भी करना चाहते हैं। इसलिए लोगों के वर्ताव का एक नया पैटर्न उभर रहा है और यह बाजार उसी दिशा में अग्रसर है। अगले कुछ महीनों में हम अपनी एक योजना डिजि-टर्म ला रहे हैं।
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