नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने वित्तीय संकट से जूझ रही निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी जेट एयरवेज के लिए सरकार की तरफ से किसी प्रकार के राहत पैकेज की संभावनाओं को नकारते हुए सोमवार को कहा कि यह देखना कंपनी के निदेशक मंडल और उसके प्रबंधन का काम है कि वह मौजूदा बाजार परिस्थितियों के अनुरूप उपाय करे और यह सुनिश्चित करे कि कंपनी का संचालन उचित ढंग से हो। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, मंत्रालय ने हवाईअड्डा संचालकों को भुगतान करने के लिए जेट एयरवेज द्वारा कुछ और समय मांगे जाने के संबंध में उसके आग्रह के मामले में भी दखल नहीं देने का निर्णय लिया है। जेट एयरवेज के लिए संभावित राहत पैकेज के बारे में पूछे जाने पर प्रभु ने कहा कि नियंत्रण मुक्त और उदारीकरण के इस माहौल में मंत्रालय की कोशिश किसी एक समूचे क्षेत्र से जुड़े मुद्दों के समाधान की होती है। प्रभु ने जेट एयरवेज का नाम लिए बिना कहा, किसी निजी विमानन कंपनी के लिए सुचारू संचालन सुनिश्चित करना उसके निदेशक मंडल एवं उसके प्रबंधन का काम है। उन्हें ही समय-समय पर बाजार की उभरती परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेने होते हैं। नागर विमानन सचिव आर. एन. चौबे ने कहा कि जेट एयरवेज ने हवाईअड्डा संचालकों को भुगतान करने के लिए कुछ और समय की मांग की है। हालांकि, यह ऐसा मुद्दा है जिसे दो निकायों के बीच व्यावसायिक तरीके से सुलझाया जाना चाहिए। चौबे ने कहा, एयरलाइन और हवाईअड्डा परिचालक के बीच के वाणिज्यिक मामलों में हम लिप्त नहीं होते हैं। यह काम व्यावसायिक तरीके से दोनों इकाइयों के बीच तय होना चाहिए।
