हाथियों के भरोसे चुनावी सफलता | आर कृष्णा दास / November 19, 2018 | | | | |
चुनाव को सफल बनाने के लिए हाथियों को चारा खिलाना सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में वन्य अधिकारी हाथियों को अलग-अलग आहार खिलाने में व्यस्त हैं। इन प्रयासों ने वांछित परिणाम देने शुरू भी कर दिए हैं। हाथी अलग-अलग तरह का भोजन खाने में व्यस्त हैं और ग्रामीणों को भयाक्रांत करने के लिए वे जंगल से बाहर नहीं जा रहे। इससे चुनावी प्रक्रिया बाधा रहित संपन्न हो रही है। लगभग एक पखवाड़ा पहले लेखकों के एक समूह ने मुख्य वन संरक्षक (सरगुजा) के के बिसन से मुलाकात की और हाथियों के उपद्रव वाले इलाकों में निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए उठाए गए कदमों को लेकर बात की। बिसन ने कहा, 'हम पहले से ही एक योजना पर काम कर रहे हैं और हम निष्पक्ष और सुरक्षित चुनाव सुनिश्चित करेंगे।'
हाथियों के विचरण और मनुष्यों से उनके संघर्ष के चलते चुनावी पार्टियां जिले के अंदरूनी इलाकों में जाने से भयभीत थीं और ग्रामीण भी काफी डरे-सहमे थे। मोहनपुर एक ऐसा ही गांव है, जो सरगुजा वन्य क्षेत्र में सरगुजा से लगभग 20 किलोमीटर अंदर स्थित है। इस गांव में 550 मतदाता हैं। ये सभी हाथियों के उपद्रव की समस्या से जूझते रहते हैं और शाम होते ही खुद को घरों के अंदर बंद कर लेते हैं। गांव के पंचायत प्रतिनिधि जय मंगल का कहना है, 'आप नहीं जानते कि हाथी कब आएंगे और फसल तथा घरों को तहस-नहस कर जाएंगे।'
वह कहते हैं कि अगर हाथी घूम रहे हैं तो लोग वोट डालने के लिए अपने घरों से बाहर नहीं आएंगे। मंगल कहते हैं कि हाथियों के भय से राजनीतिक दल भी यहां शायह ही आते हैं। हालांकि बिसन की योजना काम कर रही है और इसके परिणाम दिखने शुरू हो गए हैं। यहां 20 नवंबर को दूसरे चरण के चुनाव होने हैं। इस क्षेत्र में 17 हाथियों का एक समूह घूम रहा था। बिसन कहते हैं, 'इस योजना के तहत उन्हें मोहनपुर और चंद्रपुर के जंगलों में 1,600 एकड़ क्षेत्र में ले जाया गया है।' हाथियों के लिए पीने के पानी के बड़े तालाब बनाने के साथ ही उन्होंने कुछ ऐसे कदम भी उठाए हैं, जिन्हें वह बिल्कुल अनूठी पहल बताते हैं। वह कहते हैं, 'तालाब के किनारे हमने रसोई जैसा माहौल तैयार किया है जहां हाथियों की पसंद के सभी खाद्य पदार्थ रखे गए हैं।' गन्ना और नमक आदि कई सामानों को इस प्राकृतिक रसोई में रखा गया है। बिसन कहते हैं, 'हाथियों का समूह उस स्थान पर आ रहा है और वे जंगल के इस इलाके में सीमित हो गए हैं।' वह बताते हैं कि इन प्रबंधों के साथ ही इलाके के चारों ओर सौर बाड़ भी लगाई गई है, जिससे हाथी जंगल से बाहर ना जाएं।
इससे ग्रामीण काफी उल्लसित और अच्छा महसूस कर रहे हैं हालांकि उनके दरवाजे पर एक और चुनौती दस्तक दे रही है। बिसन कहते हैं, 'सुंदरगढ़ क्षेत्र की ओर से 25 हाथियों का एक समूह इस दिशा में आ रहा है और हमारे तंत्र ने इसकी पुष्टि की है।' कुल मिलाकर सरगुजा क्षेत्र में 125 हाथियों की पहचान की गई है जो मुख्यत: खनन और निर्वनीकरण के चलते ओडिशा से इस क्षेत्र में पलायन कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के कई घने जंगलों में किसी भी गतिविधि पर रोक लगी हुई है जिससे यहां का बहुत सा कोयला बहुल क्षेत्र खनन से बचा हुआ है। इसके चलते छत्तीसगढ़ हाथियों के लिए काफी सुरक्षित जगह बनी हुई है।
हसदेव अरंड कोलफील्ड इस क्षेत्र की सात खदानों में सबसे बड़ी है जो कुल 1,878 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल पर फैली है। इसमें से 1,502 वर्ग किलोमीटर का रकबा वन्य क्षेत्र है। यहां विश्व स्तरीय उच्च क्षमता वाला 5.179 अरब टन का अनुमानित भंडार है जिसमें से 1.369 अरब टन का खनन किया जा चुका है। यहां 30 से अधिक कोयला ब्लॉक बनाए गए थे लेकिन केवल 3 में ही खनन का काम हो रहा है। इस क्षेत्र में 4,000 मेगावॉट की अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट स्थगित है क्योंकि यह घने जंगलों वाले इलाके में आता है और इसे लेकर पर्यावरणीय मुद्दे उठ सकते थे। अधिक कोयले वाले क्षेत्र से हाथियों का भी आना-जाना लगा रहता है। ग्रीन एक्टिविस्ट आलोक शुक्ला का कहना है, 'अभी तक परिस्थितियां नियंत्रण में हैं लेकिन क्षेत्र में खनन गतिविधियां बढऩे पर हाथी-मानव संघर्ष बढ़ सकता है।'
विचरण करते हाथियों ने सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी के लिए कभी समस्या पैदा नहीं की। वास्तव में, सरकार को खनन या हरित मानकों के उल्लंघन जैसी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा। हाथी कभी राजनीतिक मुद्दा नहीं बने लेकिन पार्टी सरकार कुछ दूसरी हाथी जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है, जैसे होर्डिंग और दीवारों पर मौजूदगी के बाद भी जमीनी स्तर पर कमजोर पकड़। हरे हाथी के चुनाव चिह्न के साथ बहुजन समाज पार्टी ने क्षेत्र में प्रभावी छाप छोडऩे में नाकामयाब रही जिसने भाजपा के लिए कबाब में हड्डïी का काम किया। बसपा ने पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के साथ गठजोड़ कर लिया है जो कांग्रेस पार्टी के सामने बड़ी चुनैती खड़ी कर दी है। बसपा-जोगी टीम भाजपा विरोधी वोटों को बांट देगी जिससे सत्तासीन पार्टी को लाभ होगा।
सरगुजा क्षेत्र में 14 विधानसभा सीटें हैं और यहां कांग्रेस की अच्छी पकड़ है। साल 2013 के चुनावों में कांग्रेस और भाजपा ने 7-7 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस क्षेत्र में कांग्रेस को थोड़ी बढ़त हासिल है लेकिन कांग्रेस के वोट काटने के लिए भाजपा गठबंधन का दांव लगा रही है। हालांकि यह अधिक काम नहीं कर पाएगा क्योंकि इस गठबंधन का प्रभाव केवल दो या तीन विधानसभाओं में ही है।
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