प्याज फसल में कमी के आसार | |
राजेश भयानी / मुंबई 11 18, 2018 | | | | |
► खरीफ की कटाई से पहले शुष्क मौसम की वजह से महाराष्ट्र में दिखा बड़ा असर
► निर्यात में नरमी की वजह से अब तक नियंत्रित रही हैं कीमतें
► भारत के मुकाबले 40 प्रतिशत सस्ता प्याज बेच रहा पाकिस्तान
► जनवरी में होगी रबी की आवक
महाराष्ट्र में वर्षा की कमी रबी की बुआई और प्याज को प्रभावित कर रही है। उपभोक्ताओं के लिए संवेदनशील रहने वाली इस जिंस पर सबसे ज्यादा असर पडऩे के आसार हैं। कम बुआई, कम पैदावार और रबी की बुआई में गिरावट की वजह से देश में प्याज की कुल फसल 10-15 प्रतिशत कम रहने का अनुमान है। इसका सबसे ज्यादा असर महाराष्ट्र पर पड़ेगा। सूत्रों को डर है कि जनवरी में जब रबी की आवक का समय आएगा तो प्याज के दाम बढऩे के आसार रहेंगे। कुछेक तेजी के अलावा अब तक दाम नरम ही रहे हैं लेकिन ऐसा अव्यावहारिक निर्यात की वजह से हुआ है। इस वर्ष 18-19 के दौरान उत्पादन गिरकर दो करोड़ टन से कम रहने का अनुमान है जिससे लगातार दूसरे वर्ष उत्पादन कम रहेगा।
राज्य सरकार के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि देश में उत्पादित प्याज का करीब एक-तिहाई उत्पादन महाराष्ट्र करता है और राज्य में शुष्क मौसम के कारण 18-19 के दौरान प्याज की फसल करीब 30 प्रतिशत कम रहेगी क्योंकि रबी सीजन पर ज्यादा असर पड़ा है। यह फसल जनवरी में बाजार में आएगी। महाराष्ट्र की प्रमुख मंडी लासलगांव और आस-पास के इलाकों में खरीफ की फसल आनी शुरू हो चुकी है। हालांकि एक पखवाड़े पहले नजर आई तेजी नरम हो चुकी है लेकिन गुरुवार को लासलगांव में फिर से तेजी नजर आई है। बंद भाव 19 रुपये प्रति किलोग्राम रहा जबकि बुधवार को दाम 11.7 रुपये प्रति किलोग्राम थे। एक स्थानीय व्यापारी ने कहा कि उन्हें डर है कि इस सीजन में पैदावार कम रहेगी और रबी की बुआई उत्साहजनक नहीं रही है।
व्यापारी ने कहा कि गुरुवार को नई फसल की आवक भी 30 प्रतिशत कम रही जिससे दामों में इजाफा हुआ है। हालांकि कम फसल का असली असर जनवरी में महसूस किया जाएगा जब बाजार में रबी की आवक होती है। सरकारी अधिकारी ने आशंका जताई कि आपूर्ति में कमी से बाजार की धारणा बदल सकती है। भारतीय प्याज निर्यातक संघ के अध्यक्ष अजीत शाह ने कहा कि निर्यात मांग कम है क्योंकि भारत की प्याज ज्यादा महंगी है और इस वजह से आयातकों ने पाकिस्तान का रुख कर लिया है जो भारत के मुकाबले 40 प्रतिशत सस्ता बेच रहा है।
निर्यात के अव्यावहारिक होने से यह कीमतों को थामने का काम कर रहा है और दाम नियंत्रित रहे हैं। अगर आने वाले महीनों में निर्यात मांग जोर नहीं पकड़ती है तो रबी की फसल आने पर दामों पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। कुछ व्यापारियों को डर है कि गुरुवार को आवक में आई गिरावट एक संकेत है और अगर किसानों ने प्याज का कोल्ड स्टोरेजों में स्टॉक करना शुरू कर दिया तो कीमतों में मजबूती आने लगेगी और जनवरी में हालात बदतर हो सकते हैं। अगर पिछले मॉनसून की ही तरह अगले साल भी महाराष्ट्र में मॉनसून सामान्य से कम रहता है तो महाराष्ट्र में सूखे जैसी स्थिति और भूमिगत जल स्तर में कमी की वजह से रबी फसल को नुकसान की आशंका है।
2016-17 में भारत ने 2.25 करोड़ टन प्याज उत्पादन किया था और 2017-18 में भारत की फसल 2.2 करोड़ टन रहने का अनुमान है। अगर फसल में इस स्तर से 10 प्रतिशत की गिरावट आती है तो तंगी की स्थिति बद से बदतर होने का डर है। अव्यावहारिक निर्यात राहत की बात हो सकती है लेकिन यह स्थिति कितनी देर तक चलेगी यह एक मसला है।
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