पतंजलि की आकर्षक पेशकशों की वजह से अपने व्यवसाय और मुनाफे पर दबाव महसूस कर चुकी डाबर, कोलगेट-पामोलिव, इमामी जैसी सूचीबद्घ एफएमसीजी कंपनियों के निवेशकों के लिए अच्छी खबर है। योग गुरु बाबा रामदेव समर्थित पतंजलि आयुर्वेद ने कुछ साल पहले उपभोक्ता क्षेत्र में धूम मचा दी थी, लेकिन अब उसे कंज्यूमर स्टैपल्स, पर्सनल केयर जैसे अपने मौजूदा व्यवसायों के लिए परिचालन के मोर्चे पर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
आईआईएफएल द्वारा कराए गए एक ताजा सर्वे की रिपोर्ट 'क्यों कमजोर पड़ रही पतंजलि' से पता चलता है कि वितरण संबंधित समस्याओं की वजह से कई रिटेल आउटलेटों में पतंजलि उत्पादों की बिक्री दो साल पहले के स्तर से घटकर आधी रह गई है। साथ ही उत्पाद पेशकश और नवाचार के संदर्भ में सूचीबद्घ कंपनियों के लगातार प्रयास से उन्हें अपना खोया आधार लौटाने में मदद मिल सकती है।
इस मुद्दे पर आगे बढऩे से पहले इतिहास को अच्छी तरह से समझने की जरूरत होगी। हानिरहित हर्बल और जैविक उत्पादों के तौर पर पहचान हासिल करने वाली पतंजलि ने पिछले तीन वर्षों में पसंदीदा ब्रांड की छवि हासिल की है और कंज्यूमर स्टैपल्स तथा पर्सनल केयर बाजार में वह कम समय में बड़ी भागीदारी में सफल रही है। जहां वित्त वर्ष 2016 में कंपनी का राजस्व 50 अरब रुपये था वहीं वित्त वर्ष 2017 में यह 100 अरब रुपये के आंकड़े को पार कर गया और वित्त वर्ष 2018 में 120 अरब रुपये तक पहुंच गया।
दूसरी तरफ, उपभोक्ताओं द्वारा डाबर, कोलगेट आदि जैसी पुरानी पसंद से हटते जाने और पतंजलि के उत्पादों को पसंद करने से सूचीबद्घ कंपनियों की घरेलू बिक्री वृद्घि में भारी गिरावट आने लगी। पतंजलि से कड़ी प्रतिस्पर्धा से नुकसान पहुंचने की बात कई बड़ी उपभोक्ता कंपनियां भी स्वीकार कर चुकी थीं।
इससे निवेशक रुझान भी प्रभावित हुआ, क्योंकि बिक्री वृद्घि और बाजार भागीदारी का रुझान उपभोक्ता कंपनियों के लिए प्रमुख प्रदर्शन मानक है। पतंजलि के कारोबार में कमजोरी आने की मुख्य वजह जटिल वितरण प्रणाली है जिससे सभी रिटेलरों की उत्पाद आपूर्ति प्रभावित हुई है। आईआईएफएल का कहना है कि रिटेलरों ने पतंजलि के कुछ उत्पादों का स्टॉक रखना बंद कर दिया है।
इसके अलावा, पर्याप्त विज्ञापन के अभाव, रिटेलरों (रिपोर्ट के अनुसार, कई विशेष रिटेलरों का औसत मासिक कारोबार दो साल पहले की तुलना में 50 प्रतिशत घटा है) के बजाय जनरल स्टोरों के जरिये पहुंच बढ़ाने का विपरीत प्रभाव ऐसे कई अन्य कारक हैं जो पतंजलि के खिलाफ साबित हो रहे हैं। इसके अलावा आकर्षक व्यापार मार्जिन के अभाव और पतंजलि के उत्पादों पर ज्यादा स्कीमों या ऑफरों के अभाव से इन्हें बेचने वाले रिटेलर संतुष्ट नहीं हैं और इनकी बिक्री को ज्यादा प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं।
दूसरों के संकट से लाभ उठाना आम बात है। एफएमसीजी कंपनियां भी इसका फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। एसबीआईकैप सिक्योरिटीज में विश्लेषक नितिन गुप्ता कहते हैं, 'पतंजलि से आयुर्वेदिक पेशकशों के लिए मांग में मजबूत तेजी के बाद सूचीबद्घ उपभोक्ता कंपनियों ने भी अपना आयुर्वेद पोर्टफोलियो बढ़ाया है। पहले से मजबूत सूचीबद्घ उपभोक्ता कंपनियों के शानदार वितरण नेटवर्क को देखते हुए, पतंजलि में आपूर्ति से संबंधित समस्याओं से भी इन कंपनियों को मदद मिलनी चाहिए।'
भले ही पतंजलि के उत्पादों के लिए उपभोक्ता मांग अभी भी मजबूत बनी हुई है, पर गुप्ता का मानना है कि खासकर वितरण/आपूर्ति से जुड़ी समस्याओं का समाधान पतंजलि के लिए जटिल और समय गंवाने वाला होगा। इससे सूचीबद्घ कंपनियों को ओरल और पर्सनल केयर श्रेणियों, शहद जैसे सेगमेंट की बिक्री में कुछ सुधार देखने को मिलेगा। उन्हें अपने खोए हुए आधार को लौटाने और अपनी फ्रेंचाइजी को मजबूत बनाने के लिए समय भी मिलेगा।
फिलिप कैपिटल में एवीपी विशाल गुटका कहते हैं, 'पतंजलि से बड़ी प्रतिस्पर्धा टूथपेस्ट श्रेणी, घी और हेयर ऑयल में है। इस वजह से, इन श्रेणियों में सूचीबद्घ कंपनियां पतंजलि में मौजूदा समस्याएं बरकरार रहने पर लाभ उठा सकती हैं। इसके अलावा, पतंजलि के कुछ उत्पादों में गुणवत्ता के संदर्भ में समस्या भी देखी गई है।'
दरअसल, कुछ सूचीबद्घ एफएमसीजी कंपनियों ने भी पतंजलि से बाजार भागीदारी झटकने की बात कही है। उदाहरण के लिए, सितंबर में इमामी ने कहा कि उसका केश किंग ब्रांड पतंजलि से हेयर ऑयल श्रेणी में बाजार भागीदारी छीनने में कामयाब रहा। सूचीबद्घ कंपनियों के प्रोत्साहन प्रयासों और उत्पाद नवीनता से जुड़ी कोशिशें भी इस तरह की बढ़त में अहम हैं। पतंजलि प्रबंधन से इस बारे में प्रतिक्रिया हासिल नहीं की जा सकी है। हालांकि पतंजलि ने क्षमताओं पर निवेश किया है, लेकिन वह इन समस्याओं को कितनी जल्द दूर कर लेगी, इस पर नजर रखे जाने की जरूरत होगी।
आगामी तिमाहियों में बाजार की नजर पतंजलि और सूचीबद्घ एफएमसीजी कंपनियों के बीच बाजार भागीदारी की होड़ पर स्थिति और अधिक स्पष्ट होने पर लगी रहेगी। विश्लेषकों का कहना है कि फिलहाल बिक्री वृद्घि और बाजार भागीदारी में तेजी का रुझान सूचीबद्घ एफएमसीजी कंपनियों और उनकी शेयर कीमतों के लिए शुभ संकेत होगा।
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