चने को मजबूत करता कमजोर रकबा | |
सुशील मिश्र / मुंबई 11 12, 2018 | | | | |
रबी सीजन में रकबा कम होने की आशंका के चलते चना हर दिन दमदार हो रहा है। वायदा बाजार में चना करीब एक साल के ऊंचे स्तर पर पहुंच चुका है। चालू महीने में चने के दाम 20 फीसदी से बढ़कर 4,700 रुपये प्रति क्विंटल पार कर गए। देशभर में चने की बुआई करीब 33 फीसदी और दलहन की फसलों की बुआई लगभग 28 फीसदी पिछड़ती दिख रही है। कमजोर बुआई और बेहतरीन मांग की वजह से चने में आगे भी तेजी बनी रहने की संभावना है।
वायदा बाजार में करीब एक साल के बाद चना 4,700 रुपये की सीमा को पार कर गया। एनसीडीईएक्स में कारोबार के दौरान चना 4,741 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। हालांकि 4,700 रुपये के नीचे कारोबार बंद हुआ। एक नवंबर को वायदा बाजार में चने की बोली 3,942 रुपये प्रति क्विंटल रही। वायदा की तरह हाजिर बाजार में भी महीने के शुरुआत में चना 4,000 रुपये प्रति क्विंटल के नीचे कारोबार कर रहा था। इस समय हाजिर बाजार में चने के दाम बढ़कर 4,700 रुपये प्रति क्विंटल के करीब पहुंच गए हैं। हाजिर बाजार में लगभग पूरा साल चना न्यूनतम समर्थन मूल्य के नीचे बिक रहा था। इस बार सरकार ने चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4,400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
चने के दामों में अचानक तेजी की मुख्य वजह चालू रबी सीजन में चने के रकबा का कम होना माना जा रहा है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी फसल बुआई के आंकड़ों के मुताबिक 9 नवंबर तक देश में 27.137 लाख हेक्टेयर में चने की बुआई हुई है जो पिछले साल की सामान्य अवधि में देश में चने का रकबा 40.462 लाख हेक्टेयर पहुंच गया था। चना उत्पादक सभी प्रमुख राज्यों में रकबा कम दिखाई दे रहा है।
सबसे अधिक चना उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में रकबा 25.37 फीसदी कम है। मध्य प्रदेश में 10 लाख हेक्टेयर में चने की बुआई हो सकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 13 लाख हेक्टेयर में चने की बुआई हो चुकी थी। महाराष्ट्र में 51 फीसदी, कर्नाटक में 44 फीसदी, उत्तर प्रदेश 35 फीसदी और राजस्थान में चने की बुआई 22 फीसदी पिछड़ी हुई है। रबी सीजन में दलहन का कुल रकबा भी पिछले साल की अपेक्षा 28 फीसदी कम है। चालू रबी सीजन का चना प्रमुख दलहन फसल है।
चना उत्पादक प्रमुख राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में बुआई संतोषजनक नहीं होने से उत्पादन कम होने की आशंका अभी से जताई जाने लगी है। बढ़ती आशंकाओं के कारण कारोबारी जमकर चने की खरीद रहे हैं। चना कारोबारी संतोष सिंह कहते हैं कि पिछले कई महीनों से मिलों की तरफ से मांग सुस्त थी जो इस समय रफ्तार पकड़ चुकी है। त्योहारी सीजन के बाद शुरू हो रहे शादी विवाह के सीजन को देखते हुए मिलों में चने की मांग बढ़ी है। घरेलू मांग के साथ विदेशी मांग भी बढऩे की बात कही जा रही ही है। अप्रैल से सितंबर के बीच चने का निर्यात 172 फीसदी बढ़कर 120,664 टन हुआ है।
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