►12.3 लाख करोड़ रुपये 2018-19 में जीएसटी से आने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन मासिक संग्रह उम्मीद से कम
►चालू वित्त वर्ष के पहले 7 महीने में सिर्फ 2 महीने में कर संग्रह एक लाख करोड़ रुपये के पार गया है
►लक्ष्य पूरा करने के लिए शेष 5 महीनों में औसतन हर माह वसूलने होंगे 1.11 लाख करोड़ रुपये, जो अब तक की वसूली से 14 प्रतिशत ज्यादा
अक्टूबर महीने में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 1 लाख करोड़ रुपये से पार पहुंचने से सरकार खुश हुई है। लेकिन अगर हम पूरे वित्त वर्ष की अब तक की स्थिति देखेंं तो 7 महीने में से सिर्फ 2 महीने ऐसे रहे, जब कर संग्रह 1 लाख करोड़ रुपये तक के आंकड़े को छू पाया है। परिणामस्वरूप विश्लेषकों को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2019 में केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) के संग्रह में 500 अरब रुपये की कमी आएगी।
मौजूदा गिरावट के बावजूद सरकार को भरोसा है कि वह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.3 प्रतिशत राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल कर लेगी। क्या इसका मतलब यह है कि जीएसटी के लिए सचमुच के अच्छे दिन आ गए हैं या सरकार व्यय की भरपाई के लिए राजस्व के अन्य स्रोतों पर विचार करेगी?
वित्त वर्ष 2019-20 का अंतरिम बजट 3 महीने से कम समय में पेश होना है। इसे देखते हुए कर विभाग के अधिकारियों का लक्ष्य कठिन है। वित्त वर्ष 2018-19 के शेष 5 महीने में जीएसटी से औसत मासिक राजस्व पिछले 7 महीने में हुए संग्रह की तुलना में कम से कम 14 प्रतिशत ज्यादा होने की जरूरत है, जो प्रेक्षकों को असंभव लगता है।
कुछ सरकारी अधिकारियों व विशेषज्ञों का कहना है कि इस बात की ज्यादा संभावना है कि अक्टूबर में हुई बढ़ोतरी त्योहारी सीजन में खपत में हुई बढ़ोतरी की वजह से हुई हो और इसमें बढ़े अनुपालन की भूमिका कम हो।
2018-19 में कुल जीएसटी संग्रह 12.3 लाख करोड़ रुपये या 1.03 लाख करोड़ रुपये प्रति माह होने का अनुमान लगाया गया था। अब तक 7 महीनों में (अप्रैल से अक्टूबर) जीएसटी से औसत मासिक राजस्व 970 अरब रुपये रहा है, जो लक्ष्य से 6 प्रतिशत कम है। अनुमानित राजस्व की भरपाई के लिए सरकार को शेष 5 महीने में औसतन 1.11 लाख करोड़ रुपये प्रतिमाह संग्रह करने होंगे, जो पहले 7 महीने के मासिक औसत से 14 प्रतिशत ज्यादा होगा।
आईजीएसटी के अस्थायी समायोजन को अंतिम रूप दिए जाने से केंद्र सरकार को और राजस्व मिल सकते हैं। बगैर उपयोग किया हुआ मुआवजा उपकरण भी केंद्र व राज्य के वित्त वर्ष के लिए उपलब्ध होगा।
आईजीएसटी संग्रह का बंटवारा केंद्र व राज्यों के बीच दो तरह से होता है। पहला नियमित निपटान, जिसके तहत दोनों मिलकर आपूर्ति को चिह्नित करते हैं और दूसरा तदर्थ निपटान, जिसके तहत आईजीएसटी की कुछ राशि जरूरत पडऩे पर दोनों के बीच बराबर बराबर बंटती है। शुरुआती अनुमान के मुताबिक केंद्र सरकार को 500 अरब रुपये के बजट अनुमान की तुलना में ज्यादा मिलेंगे।