शेयर बाजार में बनी रह सकती है तेजी | समी मोडक / November 11, 2018 | | | | |
यदि पिछले आंकड़ों को संकेतक माना जाए तो बाजारों में मौजूदा सुधार की रफ्तार बरकरार रह सकती है। इलारा सिक्योरिटीज द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि वर्ष 2006 से (जब निफ्टी में 10 प्रतिशत या इससे भी ज्यादा गिरावट आई थी) यह सूचकांक तीन महीने के अंदर अपने ज्यादातर गिरावट की भरपाई करने में सफल रहा। बाजारों में गिरावट के ऐसे 16 उदाहरण मौजूद हैं जिनमें 2008 का वैश्विक वित्तीय संकट भी शामिल है। विश्लेषणों से पता चलता है कि ज्यादातर मामलों में बाजार तीन महीने के अंदर अपने नुकसान से पहले के स्तर पर वापस आने में कामयाब रहा।
गिरावट के बाद बाजार में सुधार के संदर्भ में एलारा का मानना है कि इतिहास फिर से दोहराएगा। इलारा में विश्लेषक रवि मुथुकृष्णन का कहना है, 'हमें उम्मीद है कि बाजार मौजूदा स्तरों से वापसी करेगा, क्योंकि फिलहाल मूल्यांकन आरामदायक स्तर पर है, कच्चे तेल की कीमतों में नरमी आई है, रुपये में गिरावट का सिलसिला थमा है।' सितंबर और अक्टूबर में लगातार गिरावट के बाद अपने ऊंचे स्तर से 15 प्रतिशत नीचे आया है। पिछले दो सप्ताह में लार्ज-कैप सूचकांक 10,030 के अपने आठ महीने के निचले स्तर से 5.5 प्रतिशत का सुधार दर्ज करने में सफल रहा है। इस सूचकांक ने 26 अक्टूबर को यह स्तर (10,030) छुआ था। शुक्रवार को सूचकांक 10,585 पर बंद हुआ।
अन्य विश्लेषकों का कहना है कि गिरावट के बाद मूल्यांकन कुछ हद तक आरामदायक स्तर पर आ गया है। निफ्टी का मूल्यांकन बढ़कर अपनी एक वर्ष आगे की अनुमानित आय के 20 गुना पर पहुंच गया था। मौजूदा समय में, यह सूचकांक लगभग 16 गुना पर कारोबार कर रहा है जो उसके दीर्घावधि मूल्यांकनों के नजदीक है। इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमतें अक्टूबर के शुरू में 86 डॉलर प्रति डॉलर की अपनी चार वर्षीय ऊंचाई से लगभग 20 प्रतिशत नीचे आई हैं। रुपया अब 73 से नीचे कारोबार कर रहा है जबकि 9 अक्टूबर को यह डॉलर के मुकाबले 74.4 के निचले स्तर पर था।
इलारा ने एक रिपोर्ट में कहा है, 'गिरावट के 16 मामलों के दौरान, निफ्टी में औसत तौर पर 14 प्रतिशत की गिरावट आई और गिरावट की अवधि लगभग दो महीने की थी। गिरावट के बाद, निफ्टी ने तीन महीने की अवधि में पूरे नुकसान की भरपाई कर ली। गिरावट और भरपाई का स्तर लार्ज-कैप की तुलना में मिड-कैप के लिए ज्यादा ऊपर-नीचे रहा है।' हालांकि ऐसा नहीं है कि भारी गिरावट के बाद बाजार में सुधार की गारंटी हो। ऐसे भी उदाहरण सामने आए जिनमें गिरावट के बाद सुधार की रफ्तार काफी धीमी रही और इसमें काफी लंबा वक्त लगा।
उदाहरण के लिए, 2012 और 2015 की गिरावट के बाद निफ्टी को अपने ऊंचे स्तर पर फिर से पहुंचने में 6 महीने लग गए थे। अध्ययन में कहा गया है कि चार ऐसे अन्य उदाहरण भी थे जब निफ्टी 6 महीने के बाद भी अपने ऊंचे स्तर पर फिर से पहुंचने में नाकाम रहा।
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