आचार संहिता का उल्लंघन नहीं | |
श्रीमी चौधरी / मुंबई 11 05, 2018 | | | | |
► सेबी ने वीडियोकॉन मामले में 16 अक्टूबर को बैंक को व्यक्तिगत सुनवाई के लिए पेश होने को कहा था
► बैंक ने कारण बताओ नोटिस में लगाए सभी आरोपों से किया इनकार
► बैंक के नियमों के अनुसार रिश्तेदारों की फर्मों से जुड़ी जानकारी का खुलासा करना जरूरी नहीं
► चंदा कोछड़ ने सेबी से व्यक्तिगत सुनवाई के लिए मांगी मोहलत
आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन मामले में खुलासा नियमों के उल्लंघन के आरोपों का सामना कर रहे निजी क्षेत्र के बैंक ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेेबी) को अपना जवाब सौंपा है। बैंक ने कहा कि उसकी आचार संहिता नीति में बैंक के कर्मचारी के परिजनों की फर्मों से जुड़े निवेश या लेनदेन के बारे में खुलासा करने की अनिवार्यता नहीं है। सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि 16 अक्टूबर को सेबी के समक्ष आईसीआईसीआई बैंक के वकीलों और वरिष्ठ कार्याधिकारियों ने व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान बैंक का पक्ष रखा। एक शख्स ने बताया कि अपने ऊपर लगाए सभी आरोपों से इनकार करते हुए आईसीआईसीआई बैंक ने कहा कि बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी चंदा कोछड़ की ओर से स्टॉक एक्सचेंजों को सभी जरूरी जानकारियों का खुलासा किया गया था।
एक सूत्र ने कहा, 'बैंक की आचार संहिता में बैंक के अधिकारी के रिश्तेदारों की ओर से किए गए निवेश का खुलासा करना जरूरी नहीं है। ऐसे में पूर्व प्रबंध निदेशक को भी इस ताह का खुलासा करने की जरूरत नहीं थी।' इस बारे में पक्ष जानने के लिए आईसीआईसीआई बैंक को ईमेल किया गया लेकिन उसका जवाब नहीं आया। वीडियोकॉन समूह और दीपक कोछड़ की कंपनी न्यूपावर रीन्यूएबल्स के बीच सौदे में हितों के टकराव के मामलें की सुनवाई में सेबी के सक्षम बैंक की ओर से व्यक्तिगत पेशी हुई थी।
इस मामले में आरोप है कि वीडियोकॉन समूह के प्रवर्तक वेणुगोपाल धूत ने चंदा कोछड़ के पति की कंपनी न्यूपावर रीन्यूएबल्स को कुछ कर्ज मुहैया कराया था। इसके छह माह बाद वीडियोकॉन को आईसीआईसीआई बैंक द्वारा 2012 में 32.5 अरब रुपये का कर्ज आवंटित किया गया। इसके बाद धूत ने अपने निवेश फर्म का मालिकाना हक दीपक कोछड़ के ट्रस्ट को 9 लाख रुपये में हस्तांतरित कर दिए। सूत्रों ने कहा कि न्यूपावर और वीडियोकॉन के बीच कथित वित्तीय लेनदेन के आरोप को अब तक साबित नहीं किया जा सका है। यह आपराधिक षड्यंत्र से जुड़ा मामला है जिसकी जांच सीबीआई और बैंक द्वारा नियुक्त उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बीएन श्रीकृष्ण की अध्यक्षता वाली समिति कर रही है।
मामले के जानकार एक शख्स के मुताबिक बैंक ने कहा कि चंदा कोछड़ ने 2009 से जून 2018 के बीच आचार संहिता के तहत सभी खुलासे किए हैं और उसके अनुरूप नियामकीय प्राधिकरण को उसकी जानकारी दी गई है। सूत्रों ने कहा कि बैंक ने सुनवाई के दौरान बैंकिंग नियमन अधिनियम और बैंक की आचार संहिता का हवाला देते हुए कहा कि बैंक की ओर से किसी भी प्रतिभूति नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया है। सेबी का खुलासा नियम सभी सूचीबद्घ फर्मों के लिए अनिवार्य है, जिसका पालन कंपनी के निदेशकों और प्रमुख प्रबंधन के साथ ही सभी कर्मचारियों को करना होता है। अन्य अनुपालन के अलावा, इन नियमों में हितों के टकराव एवं नैतिकता संबंधी मसले भी शामिल हैं।
सेबी की ओर से 23 मई को चंदा कोछड़ को भेजे कारण बताओ नोटिस में आचार संहिता से जुड़ा मामला प्रमुख था। सेबी इस बारे में जांच कर रहा है कि आईसीआईसीआई बैंक ने स्टॉक एक्सचेंज के खुलासा नियमों का कहीं उल्लंघन तो नहीं किया है। सूत्रों ने कहा कि आईसीआईसीआई बैंक से इस्तीफा देने के बाद कोछड़ का बैंक से कोई संबंध नहीं है और वह इस कानूनी मामले को स्वतंत्र रूप से देख रही हैं। कोछड़ ने अपने ऊपर लगे आरोपों के बीच पिछले महीने ही बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी पद से इस्तीफा दिया था। हालांकि बैंक के बोर्ड द्वारा बाहरी जांच समिति नियुक्त करने के बाद से वह जून से ही अनिश्चितकालीन अवकाश पर थीं।
दिलचस्प है कि सेबी की प्रारंभिक जांच के दौरान कोछड़ ने स्वीकार किया था कि उनके पति के पिछले कई वर्षों से वीडियोकॉन समूह के साथ कारोबारी संबंध थे। उन्होंने यह भी स्वीकार किया था कि दीपक कोछड़ और वेणुगोपाल धूत न्यूपावर के सह-संस्थापक और प्रवर्तक थे। इस बीच, चंदा कोछड़ ने सेबी के समक्ष व्यक्तिगत सुनवाई के लिए पेश होने के लिए और मोहलत मांगी है। नियामक ने 19 नवंबर को व्यक्तिगत सुनवाई की तिथि मुकर्रर की है।
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