आपूर्ति में कमी और ठंडे मौसम की शुरुआत के कारण पोल्ट्री उत्पादों के दामों में पिछले एक महीने के दौरान 50 प्रतिशत तक का इजाफा हो चुका है। पोल्ट्री क्षेत्र के प्रसिद्ध ऑनलाइन मंच पोल्ट्रीबाजार डॉट नेट द्वारा एकत्रित किए गए आंकड़े बताते हैं कि चिकन के दाम 51 प्रतिशत बढ़कर फिलहाल 98 रुपये प्रति किलोग्राम चल रहे हैं। एक महीने पहले ये दाम 65 रुपये प्रति किलोग्राम थे। इसी प्रकार मुंबई और रायपुर में चिकन के दाम प्रति किलोग्राम क्रमश: 99 रुपये और 74 रुपये बोले जा रहे हैं जो करीब एक महीने पहले क्रमश: 66 रुपये और 63 रुपये प्रति किलोग्राम थे। चिकन के अलावा अंडे के दामों में भी इस समीक्षाधीन अवधि में 20 प्रतिशत तक का इजाफा हो चुका है। मैसूर और चेन्नई में प्रति इकाई अंडे के दाम क्रमश: 4.07 रुपये और 4.10 रुपये बोले जा रहे हैं जबकि पहले इनके दाम 3.40 रुपये और 3.45 रुपये थे। आपूर्ति में कमी की वजह से पोल्ट्री उत्पादों की कीमतों में होने वाला यह इजाफा मुख्य रूप से पश्चिमी और दक्षिणी भारतीय राज्यों में नजर आया है। वहां कमजोर मांग के कारण कई मुर्गी-पालकों ने अपने उत्पादन में कटौती कर दी थी। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि पोल्ट्री के दाम शीर्ष स्तर पर पहुंच चुके हैं तथा भविष्य में मौजूदा स्तर से और बढ़ोतरी होने की संभावना नहीं है। गोदरेज एग्रोवेट के प्रबंध निदेशक बलराम यादव ने कहा कि पोल्ट्री उत्पादों की मौजूदा कीमतों का श्रेय आपूर्ति में कमी और मांग के शीर्ष सीजन यानी अक्टूबर-फरवरी की शुरुआत होने के बाद उपभोक्ता मांग में इजाफे को दिया जा सकता है। आपूर्ति में संभावित वृद्धि और स्थिति सामान्य होने से पहले पोल्ट्री के दाम 6-8 सप्ताह की अवधि के दौरान मजबूत रहने के आसार हैं। ग्रीष्म काल की प्रचंड गर्मी, मॉनसूनी बारिश और इसके बाद त्योहारों की वजह से मार्च और सितंबर की अवधि के दौरान भारत में पोल्ट्री के दाम आमतौर पर नरम रहते हैं। लेकिन अक्टूबर में सर्दी के मौसम की शुरुआत से इसके दामों में धीरे-धीरे इजाफा होने लगता है। इस तरह मुर्गी-पालकों के लिए इस मांग की पूर्ति की योजना के बिना ही उपभोग के शीर्ष सीजन वाले चरण की शुरुआत हो चुकी है। पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया केअध्यक्ष रमेश खत्री ने कहा कि कमजोर मांग और उत्पादन की बढ़ती लागत के कारण पिछले कुछ महीनों में मुर्गी-पालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। सरकार ने खरीफ के कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में इजाफा किया है जिससे उत्पादन लागत बढ़ गई है। इस उत्पादन और श्रम लागत के मद्देनजर चिकन उत्पादन की लागत 84 रुपये प्रति किलोग्राम बैठती है जो पहले 65-70 रुपये थी। इससे कम आमदनी होने से मुर्गी-पालकों को नुकसान होगा। इसलिए मौजूदा कीमत वृद्धि मुर्गी-पालकों के लिए स्पष्टï तौर पर सामान्य है। विशेषज्ञों का मानना है कि मक्का, सोयाबीन और सोया आहार जैसे कच्चे माल के दाम पिछले एक महीने में बढ़ चके हैं। खत्री ने कहा कि आपूर्ति की बहाली इतनी आसानी से संभव नही है क्योंकि किसान रातोंरात पक्षियों की संख्या नहीं बढ़ा सकते हैं। इसलिए पोल्ट्री के दाम दो महीने में सामान्य होने के आसार हैं।
