उच्चतम न्यायालय ने आज आदेश दिया कि 1 अप्रैल 2020 से भारत स्टेज 4 (बीएस-4) उत्सर्जन मानक वाले किसी भी मोटर वाहन की बिक्री या पंजीकरण देश में नहीं होगा। इसके साथ ही देश में बीएस-6 मानक वाले वाहनों की शुरुआत हो जाएगी।
पिछले साल इसके पहले दिए गए एक फैसले में न्यायालय ने निर्देश दिया था कि 1 अप्रैल 2017 और उसके बाद से बीएस-4 का अनुपालन न करने वाले वाहनों की बिक्री कोई विनिर्माता, डीलर या मोटर वाहन कंपनी नहीं करेगी। इस आदेश में सभी मोटर वाहनों को शामिल किया गया था, चाहे वह दोपहिया, तिपहिया, चारपहिया या वाणिज्यिक वाहन हों। हालांकि इसमें कुछ अपवाद भी डाले गए थे। न्यायालय ने भारत स्टेज का अनुपालन करने वाले ईंधनों को लागू करने पर भी आदेश दिया था। लेकिन विनिर्माता कुछ आधारों पर इस बदलाव का विरोध कर रहे थे।
न्यायमूर्ति मदन लोकुर की अध्यक्षता में पीठ ने आज आदेश देते हुए यह साïफ किया है कि इसमें अनुच्छेद 142 के मुताबिक न्यायालय को मिले असाधारण संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल किया गया है। न्यायालय ने कहा कि सरकार ने प्रदूषण वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से बाहर करने के लिए नीति बनाई है और विनिर्माताओं द्वारा प्रदूषण करने वाले वाहन बनाने को हतोत्साहित कर रही है। यह धीरे धीरे किया जा रहा है।
भारत अभी भी यूरोप से बहुत पीछे है, जिसने 2009 में यूरो 4 ईंधन पेश कर दिया था। फैसले में कहा गया है, 'हम एक दिन की भी देरी बर्दाश्त नहीं कर सकते। यह समय की मांाग है कि यथासंभव जल्द से जल्द हम स्वच्छ ईंधन की ओर बढ़ें।'
फैसले में प्रमुख विनिर्माताओं का इस दिशा में काम करने की क्षमता का भी उल्लेख किया गया है और न्यायालय ने कहा, 'कुछ विनिर्माता इसका अनुपालन 31.03.2020 से नहीं करना चाहते। ऐसा इसलिए नहीं कि उनके पास तकनीक नहीं है, बल्कि ऐसा इसलिए है कि तकनीक के इस्तेमाल से उनके वाहनों की लागत बढ़ जाएगी, जिसकी वजह से बिक्री पर असर पड़ सकता है और आखिरकार उनका मुनाफा प्रभावित होगा।'
बहरहाल न्यायालय ने कहा, 'नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ समझौता नहीं किया जा सकता और अगर स्वास्थ्य व संपदा में से एक चुनना हो तो संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता) के मुताबिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाएगी। कुछ वाहन विनिर्माताओं की लालच पर लाखों लोगों की सेहत को प्राथमिकता दी जाएगी।'
जनहित याचिका पर न्यायालय की सहायता के लिए नियुक्त वकील ने इस बात पर जोर दिया कि जो वाहन बीएस-6 मानकों का अनुपालन करते हैं, उन्हें ही 2020 के बाद अनुमति दी जानी चाहिए। इस मसले पर फैसले में कहा गया है, 'हम उम्मीद कर रहे थे कि हमारे पहले के आदेश को ध्यान में रखते हुए वे खुद स्वैच्छिक रूप से 31 मार्च 2020 तक बीएस 6 मानकों को अपना लेंगे।
दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ और कुछ विनिर्माता चाहते थे कि कुछ दिन या कुछ महीने तक समय सीमा बढ़ाई जाए। इसकी और कोई वजह नहीं बल्कि थोड़ा और धन बनाना ही मकसद है।' न्यायालय ने कहा कि तय की गई नई तिथि करीब डेढ़ साल दूर है और अभी कंपनियों के पास पर्याप्त वक्त है।