शीर्ष पांच में लौटी माइक्रोमैक्स | |
अर्णव दत्ता / नई दिल्ली 10 23, 2018 | | | | |
हैंडसेट बनाने वाली प्रमुख भारतीय कंपनी माइक्रोमैक्स ने बाजार में दोबारा अपनी वापसी की है। कभी स्थानीय स्मार्टफोन उद्योग में धूम मचाने वाली इस कंपनी को पिछले दो साल के दौरान चीन की कंपनियों से जबरदस्त झटका लगा। लेकिन गुडग़ांव की इस कंपनी ने सितंबर तिमाही में शीर्ष पांच स्मार्टफोन ब्रांडों की जमात में अपनी जगह बनाने में सफल रही।
विश्लेषक फर्म काउंटरपॉइंट रिसर्च ने यह खुलासा किया है। जून से सितंबर की अवधि के दौरान देश में मंगाए गए कुल स्मार्टफोन में माइक्रोमैक्स की हिस्सेदारी 9 फीसदी रही और वह चीन की कंपनी ओप्पो को पछाड़कर चौथे पायदान पर काबिज रही।
कंपनी ठीक दो साल बाद शीर्ष पांच कंपनियों की जमात में अपनी वापसी की है। सितंबर 2016 तिमाही में यह 10 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के साथ सैमसंग के बाद दूसरे पायदान पर रही थी।
विश्लेषकों ने कहा कि बाजार में माइक्रोमैक्स की अचानक वापसी अधिक समय तक टिकी नहीं रहेगी। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में आगामी विधान सभा चुनावों के मद्देनजर माहौल गरमाने के कारण माइक्रोमैक्स की बाजार में वापसी हो पाई है क्योंकि राज्य सरकार द्वारा मुफ्त उपहार बांटने के लिए स्मार्टफोन की बिक्री को बल मिला है।
राज्य सरकार ने अपने राज्य में छात्रों एवं महिलाओं के बीच 50 लाख हैंडसेट वितरित करने की योजना बनाई है और इसके लिए रिलायंस जियो के साथ माइक्रोमैक्स को आपूर्ति का ठेका दिया गया है। हालांकि इस अनुबंध के खत्म होते ही माइक्रोमैक्स द्वारा मंगाए जाने वाले स्मार्टफोन की संख्या में फिर गिरावट आएगी।
पिछली 11 तिमाहियों के दौरान माइक्रोमैक्स की बिक्री को चीन के हैंडसेट ब्रांडों से जबरदस्त झटका लगा क्योंकि चीन की कंपनियां स्थानीय बाजार में प्रतिस्पर्धी कीमत पर हैंडसेट उतार रही थीं।
यही कारण है कि श्याओमी इस बाजार की अग्रणी कंपनी सैमसंग को पछाड़कर शीर्ष पायदान पर पहुंच गई और विवो एवं ओप्पो ने साथ मिलकर करीब 15 फीसदी बाजार पर कब्जा कर लिया। इस प्रकार आधे से अधिक भारतीय स्मार्टफोन बाजार पर चीन की कंपनियों का कब्जा हो गया। जबकि इस दौरान माइक्रोमैक्स की बाजार हिस्सेदारी 5 फीसदी पर बरकरार रही।
इस बीच, माइक्रोमैक्स को बिक्री में गिरावट के अलावा शीर्ष दो पेशेवरों का भी नुकसान उठाना पड़ा। कंपनी के चेयरमैन और एयरटेल के पूर्व प्रबंध निदेशक संजय कपूर ने 2015 के उत्तरार्ध में इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा माइक्रोमैक्स इन्फॉर्मेटिक्स के तत्कालीन प्रबंध निदेशक विनीत तनेजा ने भी कंपनी छोड़ दिया।
सूत्रों ने बताया कि कंपनी के मूल्यांकन को लेकर माइक्रोमैक्स के सह-संस्थापकों के साथ सहमति न बन पाने के कारण उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था। वास्तव में 2014-15 से ही कंपनी के राजस्व में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। साल 2014-15 में माइक्रोमैक्स का राजस्व अपनी सर्वकालिक ऊंचाई 104.51 अरब रुपये पर था जो घटकर 2016-17 में महज 56.14 अरब रुपये रह गया।
कंपनी मामलों के मंत्रालय के तहत कंपनी रजिस्ट्रार के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इन दो वर्षों में माइक्रोमैक्स की बिक्री 46 फीसदी लुढ़क गई। इस बीच, अपनी बिक्री को मजबूती देने के लिए माइक्रोमैक्स ने अपने कारोबार का विस्तार प्लैट पैनल टेलीविजन, एयर कंडीशनर, वाशिंग मशीन आदि अन्य उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में किया। माइक्रोमैक्स के सह-संस्थापक राहुल शर्मा और राजेश अग्रवाल को किए गए फोन कॉल एवं मैसेज का कोई जवाब नहीं आया।
काउंटरपॉइंट के आंकड़ों से पता चलता है कि शीर्ष कंपनियों की जमात में अपनी वापसी के बाद सैमसंग दोबारा दूसरे पायदान पर पहुंच चुकी है। श्याओमी 27 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के साथ फिलहाल शीर्ष पायदान पर मौजूद है जबकि सैमसंग कुल शिपमेंट में 23 फीसदी हिस्सेदारी के साथ उसके बाद है। विवो ने 10 फीसदी हिस्सेदारी हासिल की और ओप्पो 8 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के साथ पांचवे पायदान पर रही।
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