खामियां पहचानने की एजेंसियों की क्षमता पर संदेह | नम्रता आचार्य / October 16, 2018 | | | | |
यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया भारतीय रिजर्व बैंक के त्वरित उपचारात्मक कदम (पीसीए) के दायरे में है क्योंकि इसका काफी कर्ज एनपीए में तब्दील हो गया है। बैंक के नए प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अशोक कुमार प्रधान ने नम्रता आचार्य को दिए साक्षात्कार में अपने इरादे के बारे में बताया। पेश हैं मुख्य अंश:
अगले साल के लिए आपका विजन क्या है, खास तौर से पीसीए से बाहर निकलने को लेकर?
हम पहले ही निचले स्तर को छू चुके हैं और यहां से चीजें सुधरनी शुरू होंगी। अभी हम पूंजी के अवरोध का सामना कर रहे हैं। हम 4 सीएन का तरीका अपनाएंगे : पूंजी संरक्षण, नियंत्रण और अनुपालन, लागत को व्यावहारिक बनाना, तकनीकी सहजता और गैर-प्रबंधनाधीन आस्तियों का प्रबंधन। अगले छह महीने में हम इस फॉर्मूले को अपनाएंगे।
लागत को व्यावहारिक बनाना महत्वपूर्ण है। हमारी लागत आय का अनुपात ऊंचा है यानी 60 फीसदी से ऊंचा जबकि क्षेत्र का औसत 45 फीसदी है। इसे व्यावहारिक बनाने के लिए आप कौन सा कदम उठा रहे हैं?
हमने पिछले साल कोई नियुक्ति नहीं की, यहां तक कि अवकाश लेने वाले कर्मचारियों की जगह पर भी नहीं और अगले एक साल में नियुक्ति की कोई योजना नहीं है। हम अपने खर्च के हर हिस्से पर नजर डाल रहे हैं। उदाहरण के लिए किराया प्रमुख मद है, इसके बाद स्टेशनरी और पोस्टेज आदि की बारी आती है।
इस साल कितनी पूंजी की जरूरत होगी?
हमें 26-27 अरब रुपये की पूंजी चाहिए और हमने इस बाबत सरकार से अनुरोध किया है। हमें इस तिमाही कुछ रकम मिलने की उम्मीद है।
पीसीए सीमा के लिहाज आप अभी कहां हैं?
पूंजी पर्याप्तता के मामले में हम अभी भी बेंचमार्क का पालन कर रहे हैं। सकल एनपीए के मामले में हम काफी पीछे हैं और इसे घटाने पर काम कर रहे हैं। इस वित्त वर्ष के आखिर में हमारा सकल एनपीए 14-15 फीसदी और शुद्ध एनपीए 9 फीसदी के नीचे होगा। यह हमें पीसीए के रेडार से बाहर निकाल लेगा। हमें उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष के आखिर तक हमारा रिटर्न सकारात्मक हो जाएगा और चौथी तिमाही में लाभ में आ जाएंगे।
बिजली क्षेत्र के कर्ज को लेकर आपका क्या आकलन है?
अगर बिजली कंपनियां एनसीएलटी जाती हैं तो बैंकों को भारी कटौती झेलनी होगी। इनमें से ज्यादातर परिसंपत्तियां पूरी हो चुकी हैं, लेकिन ईंधन आपूर्ति की व्यवस्था की प्रतीक्षा कर रही हैं। इस क्षेत्र में हमारा कर्ज करीब 120 अरब रुपये का है। अगर ये एनसीएलटी जाती हैं तो बैंकों को 50 फीसदी से ज्यादा नहीं मिलेगा। अगर एनटीपीसी इन इकाइयों के उद्धार के लिए सामने आती है तो बैंक बड़ा हिस्सा वसूल सकता है।
एनसीएलटी से आप कितनी रिकवरी की उम्मीद कर रहे हैं? बड़े डिफॉल्टरों की आरबीआई की पहली दो सूची में आपके फंसे कर्ज की क्या स्थिति है?
इनमें से ज्यादातर मामले 180 दिन से आगे जा रहे हैं, जो कानून के तहत फैसला लेने की तय अवधि है। कुछ मामले छह महीने से ज्यादा पुराने हैं, ऐसे में ये चीजें उम्मीद के मुताबिक आगे नहीं बढ़ रही हैं। इन सूचियों से विभिन्न बैंक 40 फीसदी से ज्यादा रिकवर कर सकते हैं।
क्या आईएलऐंडएफएस के पास आपके बैंक का कर्ज है? क्या आपने इसके लिए प्रावधान किया है?
हमारा अच्छा खासा कर्ज इनके 8 से 10 खाते में है। आईएलऐंडएफएस का समाधान होगा क्योंकि सरकार ने इसे देखने के लिए प्रोफेशनल को तैनात किया है। संभावना है कि बैंकोंं को 10-15 फीसदी की कटौती लेनी पड़ सकती है। यहां शायद कुछ पुनर्गठन भी देखने को मिल सकता है।
आईएलऐंडएफएस में आपका खासा कर्ज है, क्या आपको इसके संकट का आभास मिला था?
चूंकि रेटिंग एजेंसियां आईएलऐंडएफए को एएए व एए रेटिंग दे रहे थे, लिहाजा हमने इस पर बहुत ज्यादा नजर नहीं डाली। इन कंपनियों की खामियों की पहचान करने की रेटिंग एजेंसियों की क्षमता पर हमें गंभीर संदेह है। ऐसी रेटिंग का क्या मतलब है, अगर इससे सहजता न मिलती हो? ऐसी रेटिंग पर आप छह महीने भी निर्भर नहीं रह सकते। इस संकट से बारे में बैंकरों को जानकारी नहीं थी। जिस तरह से आईएलऐंडएफएस समय-समय पर मदद मांग रही थी, हमें समस्या का आभास तो हुआ, लेकिन इतना ज्यादा नहीं जितना अभी दिख रहा है।
क्या यूबीआई विलय का उम्मीदवार बन सकता है?
मजबूती के साथ हमारा मानना है कि पूर्वी इलाके के परिवारों में यूबीआई जाना पहचाना नाम है। मुझे लगता है कि केंद्र सरकार इसे स्वतंत्र बैंक के तौर बनाए रखेगी। इसके लिए हमारी टीम को कड़ी मेहनत करनी होगी। हमें चौथी तिमाही से बैंक के लाभ में आने की उम्मीद है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बैंक निश्चित तौर पर लाभ में आ जाएगा।
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