नकदी संकट के कारण घट सकती है कर्ज की वृद्धि दर | |
अभिजित लेले और अद्वैत राव पालेपू / मुंबई 10 15, 2018 | | | | |
►रिजर्व बैंक ने 320 अरब रुपये नकदी डाली है, अक्टूबर में 240 अरब रुपये और डाली जाएगी
►वित्त वर्ष 2019 के दौरान भारतीय स्टेट बैंक 450 अरब रुपये की एनबीएफसी कर्ज की परिसंपित्तयां खरीदेगा
►क्रेडिट सुइस का कहना है कि एनबीएफसी वृद्धि में सुस्ती से अर्थव्यवस्था में आएगा नकदी संकट
►अगस्त 2018 में बैंकों के कर्ज की वृद्धि दर 12 प्रतिशत रही, जो वित्त वर्ष 19 के आखिर तक घटकर 10 प्रतिशत रह सकती है
►प्रमुख 15 एनबीएफसी की 5 लाख करोड़ की कर्ज परिसंपत्ति प्रतिभूतिकरण के लिए तैयार
विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय स्टेट बैंक द्वारा वित्तीय व्यवस्था में नकदी में सुधार की कवायद सिर्फ अस्थायी साबित हो सकती है। इस समय संभवत: पिछले 5 साल में नकदी संकट का सबसे खराब दौर चल रहा है। उनका कहना है कि कर्ज के बाजार को सामान्य स्तर पर लाने के लिए और ज्यादा नकदी की जरूरत है।
पिछले महीने के दौरान केंद्रीय बैंक ने व्यवस्था में 320 अरब रुपये नकदी डाली है और उम्मीद की जा रही है कि अक्टूबर में ओपन मार्केट ऑपरेशन के माध्यम से 240 अरब रुपये और डालेगा। वहीं दूसरी तरफ सरकार बैंकों को गैर बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) से संपत्तियां खरीदने को प्रोत्साहित कर रही है, जिससे मौजूदा चुनौतियों के तूफान से उन्हें निपटने में मदद मिल सके।
स्टेट बैंक ने घोषणा की है कि वह 2018-19 में एनबीएफसी से 450 अरब रुपये की परिसंपत्तियां खरीदेगा, जो इन संगठनोंं के लिए नकदी का एक अतिरिक्त स्रोत बनेगा। बैंकों को अनुमति दी गई है कि अपने पास रखे वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) प्रतिभूतियों का 2 प्रतिशत इस्तेमाल कर सकते हैं।
इंडिया रेटिंग ऐंंड रिसर्च के एसोसिएट डायरेक्टर सौम्यजित नियोगी ने कहा, 'इन कदमों से व्यवस्थित तरलता को स्थिर करने में मदद मिलेगी, खासकर त्योहारी सीजन के दौरान नकदी खत्म होने की संभावना की स्थिति में इससे फायदा होगा। कुछ बैंक, जिनके पास पर्याप्त पूंजी है, संपत्ति खरीद को विस्तार दे सकते हैं, जिससे एनबीएफसी के वित्तपोषण का एक और विकल्प मिल सके।'
गुरुवार को स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स द्वारा आयोजित वेबिनार में हिस्सा लेने वालों ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि एक से तीन महीने के बीच नकदी की स्थिति बेहतर होगी। बैंकों ने क्रेडिट लाइन वापस नहींं ली है और उन्होंने दरअसल कम अवधि का कर्ज दिया है।
श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनैंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी उमेश रेवंकर ने कहा, 'कंपनियों को दीर्घावधि वित्तपोषण की ओर देखने की जरूरत है, जिससे निश्चित ररूप से कर्ज की वृद्धि पर असर पड़ेगा। लेकिन यह नकारात्मक नहीं है, इसका सिर्फ इतना मतलब है कि इस साल एनबीएफसी की वृद्धि दर सुस्त रहेगी।'
उन्होंंने कहा, 'हम प्राथमिकता के क्षेत्र के कर्ज के कर्ज का प्रतिभूतिकरण कर रहे हैं। इसलिए हमारी दरें कम हैं। लेकिन यह अब चुनौती हो सकती है। कर्ज की दरें 100 आधार अंक बढ़ी हैं।' ऐसा लगता है कि प्रतिभूतिकरण- बैंकों को कर्ज बेचना प्राथमिक उपचार बनकर उभरा है।
एनबीएफसी के लिए इससे सेवा में लगे कर्ज की लागत घटी है। बैंकों को बेहतर गुणवत्ता का कर्ज मिला है। इंडिया रेटिंग ने कहा कि 15 प्रमुख एनबीएफसी की कर्ज परिसंपत्ति 5 लाख करोड़ रुपये है, जिसके लिए प्रतिभूतिकरण होना है।
नियोगी ने कहा, 'मौजूदा माहौल में बैंक एनबीएफसी से चुनिंदा संपत्तियां ले सकते हैं। इसके बदले एनबीएफसी को अपर्याप्त नकदी के संकट से कुछ राहत मिलेगी। यह एनबीएफसी के लिए भी एक अवसर है जिससे वह कम अवधि के वित्त पोषण पर निर्भरता कम कर सकते हैं।'
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