रिफाइनिंग मार्जिन पर दबाव संभव | |
अमृता पिल्लई और रोमिता मजूमदार / मुंबई 10 15, 2018 | | | | |
►सात विश्लेषकों का मानना है कि आरआईएल 1.40 लाख करोड़ रुपये का एकीकृत राजस्व दर्ज करेगी
►दस विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी की शुद्ध आय 96.29 अरब रुपये रहने के आसार हैं
सितंबर तिमाही में मुकेश अंबानी की अगुआई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज का प्रदर्शन स्थिर रहने की संभावना है, जिसे पेट्रोकेमिकल कारोबार का सहारा मिलेगा। तेल से लेकर दूरसंचार क्षेत्र की दिग्गज हालांकि कंपनी रिफाइनिंग मार्जिन में दबाव का सामना कर सकती है।
आरआईएल सितंबर तिमाही के नतीजे बुधवार को घोषित करेगी। इसके अलावा विभिन्न कारोबारी क्षेत्र में कंपनी के प्रदर्शन के अलावा बाजार की नजर आने वाले समय में होने वाले पूंजीगत खर्च की योजना पर भी होगी। ब्लूमबर्ग की रायशुमारी में सात विश्लेषकों का मानना है कि आरआईएल 1.40 लाख करोड़ रुपये का एकीकृत राजस्व दर्ज कर सकती है जबकि 10 विश्लेषकों को कंपनी की शुद्ध आय 96.29 अरब रुपये रहने की उम्मीद है।
पिछले साल की समान अवधि में आरआईएल का शुद्ध लाभ 81.09 अरब रुपये का रहा था। विश्लेषकों का मानना है कि पेट्रोकेमिकल कारोबार इस लाभ में अहम योगदान करेगा।
एमके रिसर्च के विश्लेषकों ने एक रिपोर्ट में कहा है, हमारा मानना है कि आरआईएल का प्रदर्शन स्थिर रहेगा, जिसे पेट्रोकेमिकल से सहारा मिलेगा। उधर नोमूरा का मानना है कि पेट्रोकेमिकल एक बार फिर रिकॉर्ड एबिटा दर्ज करेगा और साल दर साल के हिसाब से इसमें 70 फीसदी की बढ़ोतरी होगी, वहीं रिफाइनिंग एबिटा में सुस्ती की संभावना है।
कंपनी का सकल रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) दबाव में रह सकता है और विश्लेषकों का अनुमान है कि यह 9.6 डॉलर प्रति बैरल से 10.5 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में रह सकता है जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 12 डॉलर प्रति बैरल रहा था।
सीएलएसए ने एक नोट में कहा है, रिलायंस का जीआरएम घटकर 9.8 डॉलर प्रति बैरल रह सकता है। अगर कंपनी अनुमानित दायरे के निचले स्तर पर जीआरएम दर्ज करती है तो दिसंबर 2014 की तिमाही के बाद पहला मौका होगा जब कंपनी एक अंक में जीआरएम दर्ज करेगी।
जीआरएम इसका संकेतक है कि एक बैरल कच्चे तेल को तैयार उत्पाद में बदलने पर कंपनी कितना अर्जित करती है। पिछली कुछ तिमाहियों में रिलायंस ने अपने विभिन्न कारोबार के लिए कई घोषणाएं की है और मोबाइल हैंडसेट पेश करने की बात कही है। आने वाले समय में बाजार पूंजीगत खर्च की योजना और खुदरा व दूरसंचार कारोबार की वित्तीय स्थिति पर स्पष्टता पर नजर रखेगा।
रिलायंस रिटेल और रिलायंस जियो के पारस्परिक कारोबार पर टिप्पणी की संभावना है क्योंकि जियो के ग्राहक आधार को क्रॉस-सेलिंग दिग्गज कंपनी की भविष्य की बड़ी योजना हो सकती है। इसके अलावा रिटेल व दूरसंचार इकाइयों के बीच राजस्व के वास्तविक प्रवाह का भी इंतजार है।
दूरसंचार विश्लेषकों का अनुमान है कि जियो क्रमिक आधार पर राजस्व में 10-13 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज कर सकती है और औसत राजस्व प्रति ग्राहक 2-3 फीसदी घटेगा। मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट में कहा गया है, जियो मासिक आधार पर ग्राहक जुड़ाव में सुधार जारी रखे हुए है और उद्योग के कुल ग्राहक जुड़ाव में इसकी हिस्सेदारी असंगत है, लिहाजा जियो सितंबर तिमाही में करीब 3.5 करोड़ ग्राहक जोड़ सकती है।
क्रमिक तौर पर एआरपीयू 2 फीसदी घट सकता है, जिसके चलते राजस्व में तिमाही दर तिमाही 13 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। हमारा मानना है कि एबिटा में तिमाही दर तिमाही 10 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि सितंबर तिमाही में जियो का राजस्व तिमाही दर तिमाही 11 फीसदी की बढ़त के साथ 90 अरब रुपये रहेगा जबकि ग्राहकों की संख्या क्रमिक तौर पर 14 फीसदी बढ़कर 24.5 करोड़ हो जाएगी। साथ ही एआरपीयू 3 फीसदी घटकर 130 रुपये रहेगा।
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