व्हाट्सऐप: फर्जी खबरों से लड़ाई के लिए सड़क किनारे नाटकों का सहारा | रॉयटर्स / October 12, 2018 | | | | |
जयपुर की एक गर्म सुबह में हल्के हरे रंग में व्हाट्सऐप के लोगो से रंगा एक खुला ट्रक धूल भरी सड़क के किनारे रुका। इससे पांच आदमी बाहर निकले और सड़क किनारे नाटक का मंचन करने लगे। यह नाटक देश में मॉब लिंचिंग यानी भीड़ द्वारा हत्या का बड़ा कारण रही फर्जी खबरों को रोकने की व्हाट्सऐप की जमीनी मुहिम का एक हिस्सा है। भारत में विश्व के सबसे अधिक (20 करोड़) व्हाट्सऐप उपयोगकर्ता हैं। नाटक के सहारे लोगों को बताया जाता है कि ऑनलाइन गलत जानकारियां साझा करने से कैसे हिंसा को बढ़ावा मिलता है, खासतौर पर दूर-दराज के उन इलाकों में, जहां धार्मिक जड़ें काफी गहरी हैं। ये लोग अपने चारों ओर जल्दी ही एक अच्छी भीड़ इकट्ठा कर लेते हैं।
एक बोलता है, 'हमारा समाज उनके समाज से अच्छा है इसलिए तुमको उनसे नफरत करनी चाहिए।' भारत में व्हाट्सऐप पर बहुत अधिक फॉरवर्ड किए जा रहे एक मेसेज को दोहराते हुए वह कहता है, 'अगर तुम सच में हममें से एक हो तो इस मेसेज को और अधिक फैलाओ।' हालांकि दूसरा आदमी समझाता है कि इस तरह के मेसेज, वीडियो या फोटो का उद्देश्य विवाद को हवा देना है। देश के पश्चिमी रेगिस्तान में बसे राजस्थान की राजधानी में वे दर्शकों को बताते हैं कि फॉरवर्ड किए जाने वाले मेसेज की पहचान कैसे करें और व्हाट्सऐप का उपयोग पूरी जिम्मेदारी के साथ किया जाए।
देश में फर्जी खबरों और अफवाहों के चलते होने वाली मॉब लिंचिंग की घटनाओं के कारण फेसबुक और व्हाट्सऐप पर केंद्र सरकार काफी दवाब बना रही है। डेटा पोर्टल इंडियास्पेंड के अनुसार जनवरी 2017 के बाद से लगभग 70 हिंसा की वारदात में 30 से अधिक लोगों की मौत हुई है। हालांकि यह अभियान भी पूरी तरह से परोपकारी नहीं कहा जा सकता। यह रिलायंस जियो की साझेदारी के साथ चलाया जा रहा है। मुकेश अंबानी के नेतृत्व में तेजी से बढ़ती दूरसंचार कंपनी ने कुछ समय पहले ही अपने 20 डॉलर वाले जियो फोन में व्हाट्सऐप की उपलब्धता सुनिश्चित की है। इस नाटक के साथ ही कम आय वर्ग के भारतीयों को पहली बार इंटरनेट से जोडऩे वाले जियो फोन पर व्हाट्सऐप को इंस्टॉल करना तथा प्रयोग करना भी सिखाया जा रहा है। जियो, 10 शहरों में होने वाले रोड-शो अभियानों का हिस्सा है।
एक प्रवक्ता ने ई-मेल में बताया कि व्हाट्सऐप और जियो के 100 से अधिक लोग इस अभियान में मदद कर रहे हैं और व्हाट्सऐप के कुछ कर्मियों को कैलिफोर्निया से भी लाया गया है। उन्होंने लिखा कि कंपनी इससे संबंधित वित्तीय जानकारियां सार्वजनिक नहीं की हैं। इस मामले से जुड़े एक स्रोत ने बताया कि इस अभियान की अधिकांश लागत का वहन व्हाट्सऐप द्वारा ही किया जा रहा है।
राजनीतिक सरगर्मी
देश में फर्जी खबरों पर लगाम लगाने की व्हाट्सऐप की मुहिम के तहत कंपनी ने एक ऐसे बाजार में मेसेज फॉरवर्ड करने पर सीमा लगाई है, जहां किसी दूसरे देश की अपेक्षा अधिकांश उपयोगकर्ता मेसेज, फोटो और वीडियो एक दूसरे से साझा करते हैं। व्हाट्सऐप ने भारत में डिजिटल साक्षरता बढ़ाने के लिए अखबारों और रेडियो कार्यक्रमों के साथ ही दिल्ली स्थित गैर-लाभकारी डिजिटल सशक्तीकरण फाउंडेशन के साथ साझेदारी की है। कंपनी व्हाट्सऐप के उपयोग को लेकर पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भी प्रशिक्षण दे रही है। व्हाट्सऐप का कहना है, 'इस समय हमारा लक्ष्य विश्व में कहीं भी गलत तथ्यों के खिलाफ सबसे बड़ा जन-साक्षरता कार्यक्रम खड़ा करना है।' भारत के आईटी मंत्री ने कंपनी से कई अन्य कदम भी उठाने के लिए कहा है, जिसमें खतरनाक मेसेज शुरू करने वाले नंबर का पता लगाया जा सके। हालांकि कंपनी का कहना है कि वह इस तरह के कदम नहीं उठा सकती क्योंकि इससे एनक्रिप्शन और दूसरी निजता संरक्षण संबंधी उपायों को कमजोर होंगे।
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस तरह के सार्वजनिक कार्यक्रमों से लोगों के व्यवहार में किस स्तर तक बदलाव आएगा लेकिन इससे जयपुर निवासियों में कम से कम एक संदेश जरूर गया है। इस अभिनय को देखने वाले तथा कुछ महीने पहले ही व्हाट्सऐप का उपयोग शुरू करने वाले 35 वर्षीय अध्यापक भवानी शंकर राठौड़ कहते हैं, 'मैंने सीखा कि अजनबियों द्वारा बनाए गए किसी व्हाट्सऐप ग्रुप से बाहर कैसे निकलें।' उन्होंने कहा, 'मैंने यह भी सीखा कि किसी फॉरवर्ड किए गए मेसेज की पहचान कैसे करें और इसकी सत्यता को जांचे बिना आगे ना भेजें।'
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