जब राजधानी दिल्ली की फ्रेंड्स कालोनी में आधुनिक रेस्तरां यम यम ट्री ने सप्ताहांत की रातों के लिए वाइन डिनर यानी खाने के साथ शराब परोसने का फैसला किया तो उसने इनके प्रचार के लिए आम तरीकों का इस्तेमाल नहीं किया। यह रेस्तरां आमतौर पर प्रवासियों का पसंदीदा है। अपने प्रचार के लिए रेस्तरां ने न शहर के किसी परिशिष्ट या पत्रिका में विज्ञापन दिए और न ही पीवीआर का सहारा लिया, बल्कि इसके युवा मालिक तुली ने फेसबुक पर ज्यादा भरोसा किया। यम यम ट्री कम्युनिटी को अपडेट भेजे गए। इसमें पूरा मेन्यू, शराब का ब्योरा और कीमत (छह वक्त की शराब के साथ खाना 2000 रुपए से भी कम में) शामिल थी। इसे शुरू हुए अभी साल भर से थोड़ा ज्यादा ही हुआ है और रेस्तरां आम प्रचार के तौर-तरीकों का सहारा नहीं ले रहा। तुली कहते हैं, जहां तक विज्ञापन का सवाल है, हम इस पर खास खर्च नहीं करते। तुली अपने संदेश भेजने के लिए इंटरनेट का उपयोग करते हैं। तुली का कहना है कि हमारा मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचना है। हम सोशियल नेटवर्किंग साइटों, ब्लाग और मुफ्त में प्रचार करने वाली पोर्टल का सहारा लेते हैं। हम ट्रोवल पोर्टल तक को पैसे नहीं देते। तुली ने अपने प्रचार के लिए कोई पीआर फर्म नहीं रख रखी है। पर ऐसे अकेले तुली ही नहीं हैं। ज्यादा बजट और कारोबार वाले रेस्तरां अब प्रचार के लिए मुख्यधारा के मीडिया के बजाय नए और सस्ते तरीकों का सहारा ले रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह तो यह है कि मंदी उनका विज्ञापन बजट चाट गई है। पार्क होटल में कारपोरेट कम्युनिकेशन्स की निदेशक रुपा थॉमस स्वीकार करती हैं कि विज्ञापन बजट अब 60 प्रतिशत तक घट गया है। यह होटल समूह भी देश भर में अपने विभिन्न खान-पान और व्यंजन आउटलेटों, मनोरंजन केंद्रों और स्पा के प्रचार के लिए सोशियल नेटवर्किंग साइटों का व्यापक इस्तेमाल कर रहा है। उदाहरण के लिए फेसबुक पर ही 150 सदस्यों की अग्नि कम्युनिटी (दिल्ली में भारतीय रेस्तरां के संदर्भ में ) है। इसके अलावा इटालिया कम्युनिटी (बेंगलुरू के इतालवी रेस्तरां) और तंत्र कम्युनिटी (नाइट क्लब) भी है जिसके सदस्यों की संख्या महज दो ही महीनों में 400 से अधिक हो गई है। इस तरीके के दो बड़े फायदे हैं। पहला, यह बिल्कुल मुफ्त है। किसी साइट पर विज्ञापन देने के बजाय होटल की मार्केटिंग या पीआर टीम का सदस्य अपना पेज बनाता है और इसका लिंक अपने सभी दोस्तों को भेजता है। दूसरा, इस तरह की साइट के उपयोग का मतलब है कि आप सही लोगों को लक्ष्य करते हैं। थॉमस कहती हैं कि प्रिंट के विज्ञापन से किसी को यह पता नहीं चलता कि संदेश किसके पास जा रहा है। लेकिन सोशियल नेटवर्किंग साइट से संदेश ज्यादा कारगर और तत्काल होता है। इसी तरह एसएमएस भी पिछले कुछ सालों में प्रचार का अचूक हथियार बना है। इसमें लोगों की प्रतिक्रिया तत्काल होती है। असल में, डबलिन (आईटीसी मौर्या) जैसे स्थानों में आउटलेट मैनेजरों को मेहमानों के डाटा बैंक दिए गए हैं जिससे वे एसएमएस या ई-मेल से उनसे संपर्क कर सकते हैं। जेपी पैलेस होटल्स और रिजॉर्ट्स का आगरा और मसूरी में भी कारोबार है और वह भी इन्हीं नए तरीकों का आक्रामक तरीके से इस्तेमाल कर रहा है। यह समूह एसएमएस और नेटवर्किंग साइटों के अलावा ट्रैवल पोर्टल पर भी विज्ञापन करता है। इन पोर्टल पर विज्ञापन का खर्च प्रिंट के मुकाबले करीब दसवां हिस्सा ही पड़ता है।
