देसी इक्विटी पर विदेशी ब्रोकरेज सतर्क | पुनीत वाधवा / नई दिल्ली October 09, 2018 | | | | |
नोमूरा, गोल्डमैन सैक्स और क्रेडिट सुइस जैसी ब्रोकरेज फर्में भारतीय इक्विटी को लेकर सतर्क हो गए हैं। नोमूरा के भारतीय इक्विटी रिसर्च प्रमुख सायन मुखर्जी ने एक रिपोर्ट में कहा है, हमें लगता है कि बाजार मौजूदा स्तर से और नीचे जाएगा। नीलोत्पल साहू व संजय कदम के साथ मिलकर मुखर्जी ने यह रिपोर्ट तैयार की है। इसमें कहा गया है, बाजार के मूल्यांकन में काफी गिरावट आई है और यह अगस्त 2018 के सर्वोच्च स्तर 18.8 गुने से 16.1 गुने (एक साल आगे की आय) पर आ गई है। साल की शुरुआत से प्रतिफल में इजाफे को देखते हुए मूल्यांकन काफी ज्यादा बढ़ा था। कुछ हद तक हालिया गिरावट से अतिरिक्त मूल्यांकन में कमी आई है। हालांकि ये अभी भी आकर्षक नहीं हैं और अल्पावधि में 5 से 10 फीसदी की गिरावट से इनकार नहीं किया जा सकता।
निफ्टी-50 की मार्च 2020 की 15 गुने आय के आधार पर नोमूरा ने सितंबर 2019 के लिए निफ्टी का लक्ष्य 11,270 तय किया है, जो मौजूदा स्तर से करीब 9 फीसदी की बढ़त का संकेत दे रहा है। पहले नोमूरा ने जून 2019 के लिए 11,892 अंकों का लक्ष्य तय किया था।अगस्त 2018 के 11,760 अंकों के सर्वोच्च स्तर से निफ्टी-50 करीब 12 फीसदी टूटा है और दुनिया भर में सबसे खराब प्रदर्शन वाला इक्विटी बाजार बन गया। इस तरह से इसने इस साल अब तक हुई बढ़त गंवा दी। ब्रोकरेज फर्मों ने कहा, आईएलऐंडएफएस के डिफॉल्ट और नकदी पर इसके असर, चालू खाते पर दबाव और राजकोषीय स्थिति, ब्रेंट क्रूड की बढ़ती कीमतें और रुपये में गिरावट कुछ ऐसे कारण हैं, जिससे बाजार में निवेशक कम जोखिम की ओर बढ़े हैं।
क्रेडिट सुइस के विश्लेषकों ने हालांकि अल्पावधि में शॉर्ट कवरिंग की संभावना से इनकार नहीं किया है। इनका भी कहना है कि कुल मिलाकर रुख गिरावट का बना हुआ है और ब्रोकरेज उम्मीद कर रहा है कि आगामी महीनों में भारतीय इक्विटी नीचे जाएगी। क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट के भारतीय इक्विटी शोध प्रमुख जितेंद्र गोहिल ने कहा, हमारा रुख वित्तीय, उपभोक्ता (वाहन समेत) क्षेत्र की अगुआई में आय में और गिराव के अनुमान पर आधारित है। बाजार अक्टूबर की आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी मानकर चल रहा था, जो अब अगले बैठक तक टल गई है। हमें बेंचमार्क 10 साल वाले प्रतिफल में और बढ़ोतरी की उम्मीद तब तक नहीं दिखती जब तक कि रुपये व कच्चे तेल की कीमतों में और बढ़ोतरी होती है।
क्षेत्र की बात करें तो नोमूरा ने वित्तीय क्षेत्र को ओवरवेट से घटाकर अंडरवेट कर दिया है, वहीं निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए ज्यादा भारांक वाली रेटिंग बरकरार रखी है। सीमेंट, बिजली और दूरसंचार को लेकर वे अंडरवेट बने हुए हैं जबकि इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर ओवरवेट। नोमूरी की रिपोर्ट में कहा गया है, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और एनबीएफसी के जरिए कर्ज प्रवाह में नरमी की वजह से बढ़ता व्यापार घाटा अल्पावधि के लिहाज से आर्थिक रफ्तार के लिए जोखिम के तौर पर उभरा है। मारुति सुजूकी, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, जेएसडब्ल्यू स्टील, लार्सन ऐंड टुब्रो, अपोलो हॉस्पिटल्स, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, ल्यूपिन, एचसीएल टेक और एआईए इंजीनियरिंग इसके पसंदीदा शेयर बने हुए हैं।
साल 2014 से भारतीय इक्विटी को लेकर रणनीतिक तौर पर ओवरवेट बनी रहने वाली वैश्विक शोध व ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स ने भी हाल में भारतीय रेटिंग ओवरवेट से घटाकर मार्केट-वेट कर दी है। इनका मानना है कि आम चुनाव से पहले बाजार एकीकृत होगा और 12 महीने के लिए इसका निफ्टी का लक्ष्य 12,000 है।
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