आईटीआर फॉर्म में लिया जाएगा ईपीएफ निकासी का ब्योरा | तिनेश भसीन / October 07, 2018 | | | | |
सितंबर से जो लोग आयकर रिटर्न भर रह हैं, उन्हें कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) निकासी का अलग-अलग विस्तृत विवरण मुहैया कराना पड़ रहा है। यह उन कुछेक बदलावों में से एक है, जो केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने टैक्स फाइलिंग यूटिलिटी और आईटीआर फॉर्मों में हाल में किया है। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि ईपीएफ की निकासी करने वाले कर्मचारी उचित कर का भुगतान करें।
नांगिया एडवाइजर्स की कार्यकारी निदेशक नेहा मल्होत्रा ने कहा, 'आयकर विभाग आय के उचित खुलासे के लिए ये ब्योरे मांग रहा है। अगर किसी व्यक्ति की ईपीएफ निकासी पर कर बनता है तो इस पर अलग-अलग मदों के तहत कर लगेगा क्योंकि इसके कई हिस्से होते हैं जैसे कर्मचारी और नियोक्ता का योगदान और ब्याज।'
नियमों के मुताबिक अगर कर्मचारी का सेवाकाल पांच साल से कम है तो ईपीएफ की निकासी पर कर लगेगा। कर इस पर निर्भर करेगा कि व्यक्ति ने धारा 80सी के तहत कर छूट का दावा किया है या नहीं। अगर कर्मचारी ने लाभ नहीं लिया है तो केवल कर्मचारी के हिस्से पर वेतन आय के रूप में कर लगेगा।
इस पर अर्जित ब्याज पर अन्य स्रोतों से आय के रूप में कर लगेगा। अगर व्यक्ति ने आयकर लाभ लिया था तो उसके योगदान को उसकी आमदनी में जोड़ा जाएगा और लागू होने स्लैब के आधार पर कर लगेगा। अगर कर्मचारी ने सेवा में पांच साल पूरे कर लिए हैं तो निकासी पर कोई कर नहीं लगेगा। आयकर विभाग ने पहले कर नियमों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए निकासी पर स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) को अनिवार्य बनाया था।
अगर ईपीएफ ग्राहक पर कर बनता है और निकासी की राशि 50,000 रुपये से अधिक है तो कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) फंड को हस्तांतरित करने से पहले विदहोल्डिंग टैक्स काटता है। अगर ग्राहक पैन का ब्योरा देता है तो टीडीएस 10 फीसदी काटा जाता है। अन्यथा कर 34.6 फीसदी कर काटा जाता है (उस वित्त वर्ष के लिए लागू अधिकतम सीमांत दर या एमएमआर)।
ईपीएफ पर कर केवल निकासी पर ही नहीं लगता है। पीडब्ल्यूसी इंडिया में पार्टनर और लीडर (पर्सनल टैक्स) कुलदीप कुमार ने कहा, 'अगर कोई व्यक्ति नौकरी नहीं कर रहा है, लेकिन उसे ब्याज मिल रहा है तो उसे नौकरी न करने के वर्षों में प्राप्त ब्याज पर कर का भुगतान करना होगा। इस मामल में यह मायने नहीं रखता कि वह व्यक्ति कितने समय सेवाएं दे चुका है।
नियमों के मुताबिक ईपीएफ खाते से मिलने वाले ब्याज में केवल कर्मचारियों को ही कर छूट है। जब कोई व्यक्ति काम नहीं कर करता है तो उसे कर्मचारी नहीं माना जाता है और इसलिए उस अवधि के दौरान प्राप्त ब्याज पर कर लगता है।
विभिन्न आयकर अपीलीय न्यायाधिकरणों (आईटीएटी) ने यह बात दोहराई है कि जब व्यक्ति सेवा में नहीं है तो उस दौरान अर्जित ब्याज पर कर लगाया जाना चाहिए। पिछले साल आईटीएटी की बेंगलूरु शाखा ने एक सेवानिवृत्त व्यक्ति के मामले में यही आदेश दिया था।
अगर कोई व्यक्ति 55 साल की उम्र के बाद सेवानिवृत्त हो जाता है तो ईपीएफओ तीन साल में ब्याज का भुगतान कर देता है। इसके बाद खाते को निष्क्रिय माना जाता है। बेंगलूरु के एक कर्मचारी ने सेवानिवृत्ति के बाद अपने ईपीएफ को बढऩे दिया। उन्होंने निकासी पर सेवानिवृत्ति के बाद मिले ब्याज पर कर नहीं चुकाया। असेसिंग अधिकारी ने सेवानिवृत्ति के बाद मिले ब्याज पर कर लगाया था। आईटीएटी ने असेसिंग अधिकारी से सहमति जताई।
हालांकि कर विभाग ने यह साफ नहीं किया है कि कर सालाना चुकाया जाना चाहिए या निकासी पर एक साथ चुकाया जाना चाहिए। कर विशेषज्ञों ने ऐसी स्थितियों में कर के भुगतान के संबंध में विरोधाभासी राय दी है। अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट से सलाह-मशविरा कर यह फैसला करें कि आप ब्याज पर किस तरह कर का भुगतान करना चाहते हैं।
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