मुश्किल है रुपये-रेनमिनबी में द्विपक्षीय कारोबार की राह | शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली October 05, 2018 | | | | |
भारत सरकार अमेरिकी डॉलर के बजाय चीन के साथ वहां की मुद्रा रेनमिनबी और रुपये में सीधे कारोबार पर बातचीत की योजना बना रही है, लेकिन ऐसा होना संभव नहींं लगता। इस व्यवस्था के लागू होने पर कम लेन देन लागत से कारोबारियों को फायदा होगा, लेकिन इस मुद्रा में कारोबार के नुकसान भी हैं। चीन अपने मौद्रिक और विदेश नीति के हितों के मुताबिक रेनमिनबी के मूल्य में स्वैच्छिक बदलाव करता रहता है, जो कारोबार में बड़ी बाधा है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई अंतर मंत्रालयी बैठक में यह योजना सामने आई थी। यह बैठक विभिन्न क्षेत्रों में घरेलू उत्पादन और निर्यात की क्षमता को बढ़ाने पर विचार करने को लेकर आयोजित की गई थी।
बहरहाल अगर ऐसा होता है तो अमेरिकी डॉलर को छोड़ दोनों पड़ोसी देश आसानी से कारोबार कर सकते हैं, यह किए जाने के बजाय कहना आसान है। फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, '2009-10 में चीन की मुद्रा का इस्तेमाल करने पर वह 15 प्रतिशत तक कारोबारी छूट दे रहा था। लेकिन मुद्रा में अस्थिरता की वजह से देशों ने ऐसा करना बंद कर दिया।' बहरहाल अगर ऐसा किया जाना संभव होता है तो भारत के कारोबारियों के लिए यह बहुत लाभदायक होगा क्योंकि उन्हें अपने लेन देन की हेजिंग में बड़ी लागत लगानी पड़ती है। सहाय ने कहा, 'इस समय हेजिंग की लागत, जो निर्यातकों और आयातकों को अमेरिकी डॉलर में भुगतान पर आती है, कुल लागत का 4-5 प्रतिशत होती है। यह खत्म हो जाएगा और इससे भारतीय कारोबारियोंं की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ेगी।'
चालू वित्त वर्ष के पहले 5 महीने में कारोबारी घाटा 8,000 करोड़ डॉलर से ज्यादा बढ़ गया है। इसकी वजह रुपये में गिरावट और कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी है। 2017-18 में भारत का कुल कारोबारी घाटा 162 अरब रुपये था, जिसमें चीन के साथ हुआ कारोबारी घाटा 76 अरब रुपये है। जवाहर लाल नेहलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और वरिष्ठ कारोबार विशेषज्ञ विश्वजीत धर ने कहा, 'अमेरिकी डॉलर की तरह रुपया परिवर्तनीय मुद्रा नहीं है। इसलिए अगर हम चीन को उसके आयात के लिए रुपये में भुगतान करते हैं तो चीन के लिए यह सवाल होगा कि वह रुपये के अतिरिक्त भंडार का इस्तेमाल कैसे करेगा। कारोबार उनकी तरफ पूरी तरह से झुका हुआ है, ऐसे में बड़ी मात्रा में रुपया उनके पास जाएगा, जिसका वे सिर्फ भारत में निवेश के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।'
धर ने कहा कि इसी वजह से 1991 में यूएसएसआर के विभाजित होने के बाद से रुपया रूबर कारोबार अचानक लडख़ड़ा गया था। भारत के पास बहुत ज्यादा रूबल था, जिसका मूल्य बहुत ज्यादा गिर गया। 2008 से चीन अपने विभिन्न कारोबारी साझेदारों के साथ अपनी मुद्रा में कारोबार पर जोर दे रहा है। परिणामस्वरूप उसने ऐतिहासिक ररूप से तमामल द्विपक्षीय मुद्रा अदला बदली समझौता किया है, जिससे रेनमिनबी में कारोबार हो सके और इससे परिचालन संबंधी कुशलता, लेन देन की लागत में कमी और बाजार में विश्वास बन सके। चीन ने 30 से ज्यादा द्विपक्षीय मुद्रा अदला बदली समझौता दिसंबर 2008 के बाद किया है।
बहरहाल अगर इस तरह की कोई व्यवस्था बन जाती है तो कारोबारी बाधाएं बनी रहेंगी। वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि खासकर ऐसे सामान जो गैर शुल्क वाले हैं, वहां भारत को कठिनाइयों का सामना करना होगा। यह दवा क्षेत्र के लिए मामले में अहम है, जो भारत के हिसाब से बहुत महत्त्वाकांक्षी है। मार्च में चीन के वाणिज्य मंत्री झोंग शान भारत आए थे। उन्होंने दोनों देशों के बीच कारोबारी घाटा कम करने के लिए दवा क्षेत्र को चिह्नित किया था। दोनों देशों ने सितंबर 2014 में द्विपक्षीय कारोबारी संतुलन 2019 तक हासिल करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। 5 साल का कार्यक्रम संयुक्त मध्यावधि खाका था, जिसमें कारोबार व निवेश को प्रोत्साहन दिया जाना था।
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