वित्त वर्ष 2019 में 102 ब्लॉकों की नीलामी को तैयार राज्य | |
जयजित दास / भुवनेश्वर 10 02, 2018 | | | | |
खनिज संपदा से संपन्न 10 राज्यों में 102 ब्लॉकों की इलेक्ट्रॉनिक नीलामी इस वित्त वर्ष में होने को है। इसमें सबसे ज्यादा 20 ब्लॉक झारखंड के हैं। वहीं राजस्थान के 16 और मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के 13-13 ब्लॉक हैं। कतारबद्ध ब्लॉकों में 42 चूना पत्थर, 19 बॉक्साइट, 11 मैगनीज, 8 तांबे, 6 लौह अयस्क, 6 ग्रेफाइट, 3 जिंक और 2-2 पन्ना और सोने की खदाने हैं। संशोधित खदान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) नीति 2015 लागू होने और खनिज नीलामी नियम तैयार किए जाने के बाद 50 ब्लॉकों की सफल नीलामी की गई है। कर्नाटक में 12 लौह अयस्क खदानों की नीलामी हुई है, जो खनिज संपन्न राज्यों में सबसे ज्यादा है। राजस्थान, झारखंड और मध्य प्रदेश में 6 ब्लॉकों की नीलामी हुई है। नए एमएमडीआर अधिनियम के बाद खनन पट्टों के आवंटन का विवेकाधीन अधिकार खत्म हो गया है और नीलामी के माध्यम से पारदर्शी तरीके से नीलामी की व्यवस्था बनी है।
केंद्रीय खनन मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि 50 साल पट्टे की अवधि के लिए नीलाम किए गए ब्लॉकों से सभी राज्यों से आने वाला कुल राजस्व 1.81 लाख करोड़ रुपये हो सकता है। राजस्व अनुमान में रॉयल्टी और जिला खनन फाउंडेशन (डीएमएफ) और राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (एनएमईटी) में दी राशि शामिल है। खनिज ब्लॉकों की नीलामी की रफ्तार सुस्त हुई है। नियम में यह अनिवार्य किया गया है कि जिन ब्लॉकों का उत्खनन जी-2 स्तर तक हो सकता है, वही ऑनलाइन नीलामी के योग्य होंगे।
देश में खनिज अन्वेषण की रफ्तार सुस्त होने की वजह से चिह्नित किए गए ब्लॉकों की नीलामी का ग्रेड नहीं बन सका। स्टील व अन्य उपभोक्ता उद्योग मानकों में छूट दिए जाने की मांग कर रहे हैं, जो नीलामी के लिए लागू हैं। उनका मानना है कि जी-2 स्तर का मानक राज्यों द्वारा ई नीलामी आसान करने में अहम है। उन्होंने जी-2 मानक की जरूरतोंं पर स्थिर रहने के मसले पर फिर से विचार करने की मांग की है, जिसमें खनिज (खनिज की मात्रा के साक्ष्य) नियम, 2015 शामिल है।
इसकी जगह पर उन्होंने सुझाव किया है कि पर्याप्त आयामों वाले खनिज ब्लॉकों को नीलामी के लिए रखा जा सकता है और खदान पाने वाले के लिए यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि जी-1 स्तर का अनुपालन 5 साल के भीतर किया जाए। एक स्टील कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'भू भौतिकी, भू रासायनिक और हवाई इलेक्ट्रोमैगनेटिक सर्वे में उन्नत तकनीकें आ गई हैं, जिसकी वजह से गहराई तक खनिज भंडार का पता लगाया जा सकता है और सतह के नीचे 70-80 प्रतिशत सटीक स्तर के अनुमान तक पहुंचा जा सकता है। यहां तक कि जी-2 स्तर के अन्वेषण से भी इतना सटीक अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।'
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