मैं पांच वर्षों की समय-सीमा के लिए प्रतिमाह 4,000 रुपये का निवेश दो इक्विटी डाइवर्सिफाइड योजनाओं में करना चाहता हूं। इसके लिए मैंने डीएसपीबीआर टॉप 100 इक्विटी और रिलायंस ग्रोथ का चुनाव किया है। कृपया इन फंडों का मूल्यांकन समझाइए। - भावेशं आनंद म्युचुअल फंडों का चुनाव करते समय उसका पिछला प्रदर्शन और एकरूपता अहम मायने रखती है। हालांकि, पिछला प्रदर्शन इस बात की गारंटी नहीं प्रदान करता है कि कमोवेश भविष्य में भी प्रदर्शन इसी अनुरुप रहेगा। कोई फंड अच्छा है या खराब, इसका आकलन करने के लिए सदैव उक्त फंड की तुलना में अन्य फंडों एवं इसके फंड हाऊस के अन्य फंडों के प्रदर्शन को आधार बनाये। आपने अच्छे फंडों का चुनाव किया हुआ है। लेकिन ध्यान रहे कि रिलायंस ग्रोथ मिड-कैप फंड है और ऐसे फंड अस्थिर होते हैं। मसलन, इस फंड में निवेश करने या नहीं करने का ताल्लुक आपके समस्त पोर्टफोलियो पर निर्भर करता है। समस्त पोर्टफोलियो में मिड-कैप फंडों का हिस्सा आंशिक रुप में होना चाहिए, और उतार-चढ़ाव भरे समय में निवेशक को लार्ज-कैप फंडों में बने रहना चाहिए। यदि आप फंडों के चुनाव में बदलाव लाने के इच्छुक हैं, तो 4-स्टार या 5-स्टार रेटिंग वाले फंडों का चयन करें जिनका पिछला प्रदर्शन अच्छा रहा हो। बिड़ला सन लाइफ फ्रंटलाइन इक्विटी, डीएसपीबीआर टॉप 100 इक्विटी, एचएसबीसी इक्विटी और एचडीएफसी टॉप 200 जैसे कुछ इक्विटी डाइवर्सिफाइड फंडों पर गौर कर सकते हैं। लंबी अवधि के निवेश के लिए कुछ कर बचत कराने वाले (टैक्स सेविंग) म्युचुअल फंडों के बारे में जानकारी दीजिए। - शरद गोयल अच्छी रेटिंग वाले टैक्स सेविंग फंडों का चयन करें जिनका पिछला प्रदर्शन बढ़िया रहा है और जिनके प्रदर्शन में अधिक उतार-चढ़ाव न हो। मैग्नम टैक्सगेन, सुंदरम बीएनपी पारिबास टैक्ससेवर और फ्रैंकलिन इंडिया टैक्सशील्ड जैसे कुछ फंडों पर गौर कर सकते हैं। गिल्ट फंड क्या है और ब्याज दरों का इन पर कैसे प्रभाव पड़ता है? क्या यह सावधि जमा की तरह सुरक्षित हैं? क्या बैंकों की एफडी की भांति इनमें भी मूलधन सुरक्षित रहने की गारंटी होती है? - अंजि गिल्ट फंड म्युचुअल फंड हैं जो अपना निवेश सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) में करते हैं। यहां सबसे पहले सरकारी प्रतिभूतियों और ब्याज दरों का संबंध भलीभांति समझ लिया जाए। दोनों का आपस में विपरीत संबंध होता है। ब्याज दरों में गिरावट आने से सरकारी प्रतिभूतियों की कीमतों में उछाल आता है और इसी तरह ब्याज दरों में बढ़ोतरी से सरकारी प्रतिभूतियों की कीमतों में गिरावट आती है। हाल में वित्तीय तंत्र में तरलता बढ़ाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने कई मर्तबा ब्याज दरों में कटौती की है। ब्याज दरों में कटौती से सरकारी प्रतिभूतियों की कीमतों में खासा उछाल देखा जा रहा है। नतीजतन, गिल्ट फंडों को इसका लाभ मिल रहा है। लेकिन बता दें कि ये फंड जोखिमपूर्ण होने के साथ-साथ बैंकों की सावधि जमा की भांति निश्चित रिटर्न की गारंटी भी नहीं देते हैं। ब्याज दरों में बदलाव की योजना के चलते गिल्ट फंड काफी अस्थिर हो जाते हैं। सरकारी प्रतिभूतियों की आय पर गिल्ट फंडों का प्रदर्शन आधारित होता है। गिल्ट की आय में काफी उतार-चढ़ाव रहता है। ऐसे में जब आप गिल्ट फंड में निवेश करते हैं तो आपका मूलधन सुरक्षित नहीं होता है। गिल्ट फंड में नुकसान की संभावना भी बनी रहती है। गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड में निवेश करके मैंने लगभग 5,000 रुपये की अल्पावधि पूंजी आय हासिल की है। मुझे कर का भुगतान कैसे करना होगा? - रोजिता डिसूजा कर प्रयोजन के लिए गोल्ड ईटीएफ को डेट फंडों के अनुरुप ग्राह्य माना जाता है। रीडेम्पशन के दौरान, गोल्ड ईटीएफ के यूनिट आपके पास एक वर्ष से अधिक की अवधि से हैं तो यह बिना इंडेक्शन के लंबी अवधि की आय पर 11.33 फीसदी की दर से कर लागू होगा, या इंडेक्शन के साथ 22.66 फीसदी की दर पर कर लागू होगा। यदि आपने गोल्ड ईटीएफ के यूनिट का एक वर्ष से कम अवधि में रीडेम्पशन किया तो वैयक्तिक निवेशक की आय में अल्पावधि पूंजी लाभ को जोड़ दिया जाता है। ईटीएफ पर कर निर्धारण निवेशक के कर-दायरे के अनुसार वसूला जाता है। आपके मामले में ऐसा होगा कि गोल्ड ईटीएफ से अर्जित किए गए 5,000 रुपये के लाभ को आपकी आय में जोड़ दिया जाएगा और आप जिस कर-दायरे की श्रेणी में आते हैं उसी आधार पर आपसे कर वसूला जाएगा। डेट, इक्विटी और अन्य फंडों के पूंजी लाभ पर लागू होने वाले कर के बारे में विस्तार से समझाएं। कृपया बताएं कि एक वर्ष से कम या अधिक समय-सीमा तक फंड में बने रहने पर किस प्रकार से कर वसूला जाता है। - मोहित वर्मा जब कोई निवेशक पूंजी परिसंपत्ति को बेचता है और उससे मुनाफा कमाता है, तो इसे पूंजी लाभ कहते हैं। जब उसे इससे घाटा होता है, तो इसे पूंजी हानि कहते हैं। पूंजी परिसंपत्ति में बने रहने की समय-सीमा के आधार पर इससे हासिल होने वाले लाभ को कर निर्धारण के लिए दो भाग में वर्गीकृत किया गया है- दीर्घावधि पूंजी लाभ और अल्पावधि पूंजी लाभ। इससे हासिल होनेवाले लाभ पर वसूले जाने वाले कर को पूंजी लाभ कर कहते हैं। म्युचुअल फंड के मामले में यदि आप अपने यूनिट को 12 महीनों की समयावधि के बाद बेच देते हैं तो इस पर दीर्घावधि पूंजी लाभ कर (एलटीसीजी) लागू हो जाता है। लेकिन, आप यूनिट की खरीदारी की समयावधि के एक वर्ष के भीतर ही इसे बेच देते हैं तो अल्पावधि पूंजी लाभ कर (एसटीसीजी) लागू होता है। यही नियम डेट के साथ-साथ इक्विटी म्युचुअल फंडों पर लागू होता है। इक्विटी फंडों के लिए वैयक्तिक निवेशकों के साथ-साथ कार्पोरेट निवेशकों से समान कर वसूला जाता है। इक्विटी फंडों की दीर्घावधि पूंजी लाभ को कर के दायरे से बाहर रखा गया है। अल्पावधि पूंजी लाभ पर 16.99 फीसदी की दर से कर वसूला जाता है, जिसमें पूंजी लाभ कर के साथ-साथ अधिभार और उपकर (15 फीसदी +10 फीसदी + 3 फीसदी) का समावेश होता है। म्युचुअल फंडों में रीडेम्पशन या किसी इक्विटी फंड से अन्य फंड में स्विच करने पर प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) भी 0.25 फीसदी की दर से वसूला जाता है।
