लंबी अवधि के लिए खरीदें वित्तीय कंपनियों के शेयर | पुनीत वाधवा / नई दिल्ली September 28, 2018 | | | | |
सीएलएसए के प्रबंध निदेशक और इक्विटी रणनीतिकार ने निवेशकों को भेजे साप्ताहिक नोट में कहा है कि वित्तीय कंपनियों के शेयरों में आई हालिया गिरावट का इस्तेमाल इसे लंबी अवधि के लिए खरीदने में करना चाहिए। वुड ने लिखा है, आरबीआई की घोषणा, गैर-बैंक वित्तीय कंपनियों के लिए थोक फंडिंग की लागत आदि के चलते पिछले हफ्ते भारतीय वित्तीय क्षेत्र के शेयरों में काफी हलचल देखने को मिली है। इस झटके को लंबी अवधि की खरीद के मौके के रूप में देखा जाना चाहिए। ऐसे शेयर वाले पोर्टफोलियो के लिए तेल की उच्च कीमत की जोखिम से बचने के लिए हेजिंग करना चाहिए। वुड ने अपने लंबी अवधि के एशियाई (जापान को छोड़कर) पोर्टफोलियो में मारुति सुजूकी के बदले 4 फीसदी निवेश रिलायंस इंडस्ट्रीज में किया है, जिसके बारे में उनका कहना है कि यह वास्तव में भारत का एकमात्र लार्जकैप है।
हाउसिंग फाइनैंस कंपनी समेत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियोंं के शेयर पिछले कुछ सत्रों से दबाव में हैं और इनमें से ज्यादातर 52 हफ्ते के निचले स्तर को छू चुके हैं। वैयक्तिक शेयरों में डीएचएफएल को सबसे ज्यादा झटका लगा है और यह सितंबर में अब तक 56 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है। ऐस इक्विटी के आंकड़ों से पता चलता है कि श्रेय इन्फ्रा, एडलवाइस फाइनैंशियल, पीएनबी हाउसिंग फाइनैंस, केन फिन होम्स, इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस और बजाज फाइनैंस इस अवधि में 22 फीसदी से लेकर 48 फीसदी तक टूटे हैं। इसकी तुलना में एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स 6 फीसदी फिसला है। विश्लेषकों को अल्पावधि में एनबीएफसी के लिए किसी तरह की राहत नहीं दिख रही है क्योंकि आईएलऐंडएफएस के नकदी संकट को देखते हुए माहौल खराब हो चुका है। फंडमेंटल के आधार पर विश्लेषकों का तर्क है कि नकदी की सख्त स्थिति से आने वाले समय में कम बढ़त और मार्जिन देखने को मिल सकता है।
विश्लेषकों ने कहा, एनबीएफसी को उधारी न देने की इच्छा बनी रह सकती है क्योंकि रेटिंग एजेंसियों और एनबीएफसी के क्रेडिट प्रोफाइल को लेकर पूंजी बाजार के लेनदारों की अनिश्चितता जारी है। एमके ग्लोबल के जिग्नेश शिअल, के पारिख और हिमांशु तलूजा ने एक रिपोर्ट में कहा है, ऐसी अनिच्छा जारी रहने से एनबीएफसी के लिए आसान रकम हासिल करना सीमित हो गया है। डिफॉल्ट की संभावना हालांकि काफी कम है, लेकिन ज्यादातर एनबीएफसी के मार्जिन पर दबाव निश्चित तौर पर पड़ेगा।
एडलवाइस सिक्योरिटीज के विश्लेषक इससे सहमत हैं और इन्हें एचडीएफसी बैंक व आईसीआईसीआई बैंक पसंद हैं क्योंकि इनका भी मानना है कि दीवान हाउसिंग, रेप्को और मणप्पुरम के लिए फंडिंग महंगा बन जाएगा। हालांकि उनका यह भी मानना है कि एनबीएफसी की बढ़त में नरमी के बीच जोखिम उठाने की निवेशकों की इच्छा कम हो जाएगी। एडलवाइस के विश्लेषक कुणाल शाह ने कहा, हमें मजबूत बैलेंस शीट वाली, अच्छे जोखिम प्रबंधन वाली कंपनियां मसलन एचडीएफसी (खरीद की सलाह), श्रीराम ट्रांसपोर्ट आदि पसंद हैं।
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