एफपीआई ने निकाले 196 अरब रुपये | दीपक कोरगांवकर और पुनीत वाधवा / मुंबई/नई दिल्ली September 27, 2018 | | | | |
विदेशी पोटफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय डेट एवं इक्विटी बाजार से सितंबर में अब तक 196 अरब रुपये की निकासी कर चुके हैं। कच्चे तेल की कीमतों में तेजी, रुपये में गिरावट और वैश्विक व्यापार युद्ध के कारण चालू खाते का घाटा बढऩे की चिंता में एफपीआई ने बिकवाली शुरू कर दी। एनएसडीएल के ताजा आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 3 सितंबर और 26 सितंबर के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इक्विटी बाजार से 107.46 अरब रुपये की शुद्ध निकासी की जबकि डेट बाजार से इस दौरान 88.78 अरब रुपये की निकासी हुई। इस प्रकार 3 से 26 सितंबर के बीच एफपीआई ने डेट एवं इक्विटी बाजार से कुल 196.24 अरब रुपये (2.7 अरब डॉलर) की निकासी की।
विश्लेषकों के अनुसार, रुपये में गिरावट, राजकोषीय घाटा और चालू खाते के घाटे को देखते हुए लेकर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक डेट बाजार को लेकर कहीं अधिक चिंतित हो गए। यूबीएस सिक्योरिटीज के प्रमुख (इंडिया रिसर्च) गौतम छावछरिया ने कहा, 'डेट बाजारों में भारत एफआईआई के लिए एक बेंचमार्क के इतर का दांव है। आगे चलकर इक्विटी में प्रवाह भी उभरते बाजारों में कुल प्रवाह पर निर्भर करेगा। थोड़ी चिंता जरूर दिख रही है क्योंकि हम आम चुनाव के करीब हैं। आईएलऐंडएफएस की हालिया घटना से भी निवेशकों का भरोसा कम हुआ है। यह कहना मुश्किल है कि अधिक निकासी होगी या नहीं लेकिन आगे चलकर थोड़ी नरमी जरूर दिखेगी।'
वित्त वर्ष 2019 के पहले छह महीनों में से पांच महीने के दौरान इक्विटी श्रेणी में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक अब तक शुद्ध बिकवाल रहे हैं। इस दौरान उन्होंने बाजार से 272 अरब रुपये की निकासी की। इस बीच, सेंसेक्स में इस महीने अब तक 5.6 फीसदी की गिरावट हो चुकी है और वह फरवरी 2016 के बाद सर्वाधिक मासिक गिरावट दर्ज करने के करीब है। जबकि मिडकैप एवं स्मॉलकैप सूचकांकों में भी क्रमश: 9.5 फीसदी और 11.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। दूसरी ओर, घरेलू म्युचुअल फंडों का तेजी का रुख अब भी बरकरार है और वे भारतीय शेयरों में लगातार निवेश कर रहे हैं। घरेलू म्युचुअल फंड लगातार 26वें महीने शुद्ध लिवाल बने रहे। बाजार नियामक सेबी के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2016 के बाद म्युचुअल फंडों ने इक्विटी में 2.41 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है।
हालांकि पिछले कुछ महीने के दौरान उनके निवेश की रफ्तार सुस्त पड़ी है। जुलाई से सितंबर के बीच उनका शुद्ध निवेश 157 अरब रुपये का रहा जो पिछली पांच तिमाहियों के दौरान औसतन 300 अरब रुपये रहा था। सितंबर के दौरान इक्विटी एवं डेट श्रेणी में उनका निवेश 288 अरब रुपये तक पहुंच गया। हालांकि उद्योग विशेषज्ञों ने निवेशकों को इसके बारे में कोई चेतावनी नहीं दी है और वे व्यापक म्युचुअल फंड क्षेत्र में बैलेंस्ड, आर्बिट्रेज, डेट एवं इक्विटी श्रेणियों में निवेश कर रहे हैं। लाभांश वितरण कर, दीर्घावधि लाभ कर और नियमित मुनाफे पर कराधान संबंधी असमंजस से भी बाजार की धारणा प्रभावित हुई और कुछ हद तक निवेश की रफ्तार कम हुई।
सुंदरम म्युचुअल के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी सुनील सुब्रमण्यन ने कहा, 'मैं इस गिरावट को किसी बड़ी नकारात्मक धारणा से संबद्ध नहीं करूंगा। सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) में काफी अच्छा निवेश हो रहा है। लेकिन म्युचुअल फंड में एचएनआई (धनाढ्य निवेशकों) के निवेश की रफ्तार कम हो गई है क्योंकि वे अब पोर्टफोलियो मैनेजमेंट (पीएमएस) और अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड (एआईएफ) में निवेश बढ़ा रहे हैं। इसलिए म्युचुअल फंड के निवेश का प्रवाह वास्तव में इन दो श्रेणियों की ओर मुड़ गया है। घरेलू निवेशक ऐसे समय में बाजार को गिरने से बचा रहे हैं जब विदेशी निवेशक लगातार बिकवाली कर रहे हैं।'
निफ्टी, बैंक निफ्टी के रोलओवर सौदे घटे
निफ्टी और बैंक निफ्टी अनुबंध के रोलओवर में काफी कमी दर्ज हुई और यह गुरुवार सितंबर सीरीज के डेरिवेटिव अनुबंध की एक्सपायरी के दिन एक साल के औसत से नीचे चला गया। विश्लेषकों ने कहा, रोलओवर में गिरावट निवेशकों के कमजोर सेंटिमेंट का संकेतक है। सितंबर सीरीज में निफ्टी छह फीसदी टूटा है, जो फरवरी 2018 के बाद का सबसे खराब साप्ताहिक प्रदर्शन है। सितंबर सीरीज के दौरान बैंक निफ्टी 11 फीसदी टूटा, जो फरवरी 2016 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है। सितंबर में निफ्टी रोलओवर 60 फीसदी रहा जबकि एक साल का औसत 66 फीसदी है। उधर, बैंक निफ्टी का रोलओवर 64 फीसदी रहा जबकि एक साल का औसत 69 फीसदी है। रोलओवर का मतलब डेरिवेटिव पोजीशन को एक्सपायरी के दिन एक सीरीज से दूसरे महीने की सीरीज में ले जाना होता है। गुरुवार को अगस्त सीरीज के डेरिवेटिव अनुबंध की एक्सपायरी थी। कुल मिलाकर बाजार में रोलओवर हाल के महीने में हुए 86 फीसदी रोलओवर के मुताबिक रहा।
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