हाउसिंग फाइनैंस, रियल्टी शेयरों पर बना रहा दबाव | पुनीत वाधवा, दीपक कोरगांवकर और ऐश्ली कुटिन्हो / नई दिल्ली/मुंबई September 25, 2018 | | | | |
रियल एस्टेट, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों के शेयरों पर मंगलवार को भी दबाव बना रहा और दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉरपोरेशन, इंडियाबुल्स रियल एस्टेट, इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस और केनफिन होम्स के शेयर कारोबारी सत्र में 10 फीसदी से ज्यादा टूट गए। पिछले छह कारोबारी सत्र में निफ्टी रियल्टी इंडेक्स 13 फीसदी टूटकर 52 फीसदी से निचले स्तर 232 पर आ गया। निफ्टी फाइनैंशियल सर्विसेज इंडेक्स का प्रदर्शन भी बाजार के मुकाबले कमजोर रहा और इसमें 6.4 फीसदी की गिरावट आई जबकि इस अवधि में निफ्टी-50 इंडेक्स में 3.9 फीसदी की गिरावट आई।
विश्लेषकों को निकट भविष्य में एनबीएफसी के लिए किसी तरह की राहत नहीं दिख रही क्योंकि आईएलऐंडएफएस में नकदी की समस्या से सेंटिमेंट बिगड़ गया है। फंडामेंटल के आधार पर विश्लेषकों का तर्क है कि नकदी की सख्त स्थिति से आने वाले समय में कम बढ़त और मार्जिन दिख सकता है। पिछले महीने तेज गिरावट के बावजूद 30 फीसदी एनबीएफसी शेयर अभी भी पांच साल के औसत पीई वैल्यू से ऊपर हैं। यह जानकारी यूबीएस के विश्लेषकों ने दी। यूबीएस सिक्योरिटीज के भारतीय शोध प्रमुख गौतम छावछरिया ने हालिया रिपोर्ट में कहा है, म्युचुअल फंडों ने अपनी ऋण प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों का 17 फीसदी एनबीएफसी में लगाया है। वित्त वर्ष 2013-18 में एनबीएफसी के खाता-बही की सालाना चक्रवृद्धि रफ्तार 14 फीसदी थी और वित्त वर्ष 2010 के बैंक क्रेडिट 21 फीसदी के मुकाबले बढ़कर 34 फीसदी हो गया है। नकदी के हालत को देखते हुए कहा जा सकता है कि एनबीएफसी के लिए मुश्किल बनी रह सकती है। बॉन्ड बाजार में प्रतिकूल सेंटिमेंट से भी उनकी उधारी लागत ज्यादा रह सकती है। ये कंपनियां आगे कम बढ़त व कम मार्जिन का सामना कर सकती हैं।
मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषक इससे सहमत हैं। उन्होंने कहा, भारत में उधारी दर थोक फंडिंग लागत के मुकाबले धीमी रफ्तार से बढ़ी है, जो उधारी पर शुद्ध ब्याज मार्जिन के दबाव का संकेत दे रहा है। मॉर्गन स्टैनली ने एक नोट में कहा, अगर फंडिंग की लागत बढ़ती रही तो और मुश्किल हो सकती है। इस पृष्ठभूमि में आय अनुमान घट सकता है और आय गुणक सुस्त रह सकता है। मंगलवार को कारोबार के दौरान डीएचएफएल का शेयर 35 फीसदी टूटकर 52 हफ्ते के निचले स्तर 256 रुपये को छू गया, लेकिन आंशिक रूप से सुधरकर 301 रुपये यानी 23 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ। पिछले तीन कारोबारी सत्र में यह शेयर 51 फीसदी टूटा है।
कुछ विश्लेषकों का हालांकि मानना है कि हालिया गिरावट खरीदारी का अच्छा मौका हो सकता है। एचएसबीसी ने एक नोट में कहा, बढ़ती दरें एनबीएफसी के लिए वास्तविक जोखिम है, लेकिन यह अज्ञात नहीं है। उच्च दरें एनबीएफसी के लाभ पर असर डालती है, लेकिन यह साइक्लिकल होता है। इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक और प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम ने कहा, हालिया गिरावट में अच्छे शेयर भी पिटे हैं और यह गिरावट खरीदारी का मौका देता है। हालांकि हमें आय परिदृश्य, प्रवर्तक की गुणवत्त्ता और बैलेंस शीट पर नजर डालकर ही इनमें निवेश करना चाहिए। रियल्टी कंपनियों में ओबेरॉय रियल्टी पर दांव लगाया जा सकता है। एमके के विश्लेषकों का मानना है कि हालिया घटनाक्रम से बजाज फाइनैंस, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा फाइनैंशियल सर्विसेज लिमिटेड और एचडीएफसी लिमिटेड को फायदा मिलेगा।
|