फैब्रिक और परिधान निर्माता रेमंड का बाजार पूंजीकरण पिछले ढाई वर्षों के दौरान दोगुना बढक़र 46 अरब रुपये हो गया है जो उसके कई प्रतिस्पर्धियों की तुलना में ज्यादा है। कंपनी के राजस्व में जहां सालाना चक्रवृद्घि दर महज 3 फीसदी रही वहीं शुद्घ लाभ में 26 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया। रेमंड का प्रदर्शन ऐसेट-लाइट रिटेल विस्तार, मौजूदा अपैरल ब्रांडों की बढ़ती लोकप्रियता और शानदार बी2बी आंकड़ों की मदद से मजबूत हुआ है। रेमंड गु्रप के चेयरमैन गौतम सिंघानिया का कहना है, ‘रेमंड में बेहद यादगार अवसरों में से एक वह था जब मैंने 2015 में शेयरधारक नियंत्रण हासिल किया था और बड़े फैसले लेने में सफल रहा था और मेरे लिए यह एक नई पारी की शुरुआत थी।’पिछले तीन साल के दौरान म्युचुअल फंडों ने अपनी शेयरधारिता चार गुना तक बढ़ाकर 16 प्रतिशत की है, और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अपनी हिस्सेदारी एक-तिहाई तक बढ़ाकर 10 प्रतिशत की है। सिंघानिया कहते हैं कि रेमंड रोजाना 14,000 या एक साल में 40 लाख से अधिक सूट तैयार करती है और इस तरह से वह दुनिया में सूट की चौथी सबसे बड़ी निर्माता बन गई है और अपने स्टोरों की संख्या बढ़ा रही है। कंपनी औसतन प्रतिदिन एक स्टोर खोल रही है। जून 2017 में कंपनी ने सालाना 24 लाख सूट की क्षमता के साथ इथियोपिया में एक इकाई शुरू की और वह यूरोप तथा अमेरिका के अपने उत्पादों का निर्यात करेगी। कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी संजय बहल का कहना है कि फैक्टरी के उत्पादों को अमेरिका में 15 वर्षों के लिए सीमा शुल्कों से छूट हासिल है।सात साल पहले कंपनी ने ‘पी-99’ परियोजना शुरू की थी जिसे राजस्थान के चोमू और बिहार के जयनगर जैसे छोटे शहरों में 99 स्टोरों पर पेश किया गया था। पिछले साल सिंघानिया ने ‘मिशन-300’ शुरू किया जिसमें मिनी स्टोर खोलने पर ध्यान दिया गया। चूंकि कंपनी का मुख्य व्यवसाय ब्रांडेड फैब्रिक में सालाना आधार पर 10 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, लेकिन प्रतिष्ठिïत ब्रांड धीरे धीरे अपनी पकड़ मजबूत बना रहे हैं। बहल कहते हैं कि कारोबार आकार में ज्यादा तेजी टियर-4 और 6 शहरों में देखी जा रही है जहां स्मॉल फॉर्मेट सही ढंग से काम करता है। इक्विटी विश्लेषक वृद्घि के लिए दो वाहकों पर जोर दे रहे हैं। एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग में विश्लेषक अभिजीत कुंडू कहते हैं, ‘एक यह है कि रिटेल फ्रेंचाइजिंग की गति काफी तेज है और दूसरा, सभी ब्रांडों की उत्पाद पेशकशों में डिजाइन और बाजार की पसंद के संदर्भ में सुधार आया है।’जहां कंपनी में फैब्रिक व्यवसाय मजबूत है, वहीं अपैरल व्यवसाय अगले तीन वर्षों में प्रमुख वाहक होगा। बहल कहते हैं कि अपैरल व्यवसाय पिछले चार वर्षों में 8 अरब रुपये से बढक़र लगभग 14 अरब रुपये हुआ है जो 16 प्रतिशत की सालाना चक्रवृद्घि दर है, वहीं फैब्रिक वृद्घि 9 प्रतिशत सालाना रही है। कंपनी का कर्ज लगभग 21 अरब रुपये है और वह कर्ज घटाने तथा संपत्तियों की बिक्री करने के विकल्पों पर विचार कर रही है। कुंडू कहते हैं, ‘कंपनी का शुद्घ कर्ज-पूंजी अनुपात लगभग 1:1 है, जो चिंताजनक नहीं है।’
