इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग ऐंड फाइनैंशियल सर्विसेज लिमिटेड (आईएलऐंडएफएस) मामला दुर्भाग्यपूर्ण है। आरबीआई में गैर-सरकारी निदेशक एस गुरुमूर्ति का कहना है कि सिर्फ वाणिज्यिक बैंकों के लिए लागू एनपीए नियमों पर गलत तरीके से अमल किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आईएलएफएस में जो कुछ हो रहा है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। आईएलएफएस परिसंपत्तियां 10 वर्ष के ऋण पर 30 वर्षीय प्रतिफल से जुड़ी हुई हैं। इन्हें प्रत्येक 10 वर्ष पर पुनर्वित्त किए जाने की जरूरत होगी। यह आईएलएफएस का ढांचागत मॉडल है। गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) से संबंधित जो नियम सिर्फ वाणिज्यिक बैंकों के लिए लागू हैं, उन पर सही तरीके से अमल नहीं हो रहा है।
बेसेल नियम सभी भारतीय बैंकों के लिए नहीं बल्कि वाणिज्यिक बैंकों के लिए बनाए गए हैं। अन्य बैंकों के लिए एनपीए मानकों को लागू करना ठीक उसी तरह होगा जैसे किसी से फुटबॉल को हॉकी की तरह खेलने को कहना। पेशे से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट, स्तंभ लेखक, राजनीतिक और आर्थिक विश्लेषक और तुगलक पत्रिका के संपादक गुरुमूर्ति का कहना है कि दुर्भाग्य की बात यह है कि एक अच्छे संस्थान को बरबाद किया जा रहा है।