एल्युमीनियम आयात का आघात | जयजित दास / भुवनेश्वर September 23, 2018 | | | | |
एल्युमीनियम कबाड़ और उत्पादों के आयात की भरमार हमेशा ही वेदांत, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज और नैशनल एल्युमीनियम कंपनी (नालको) जैसी प्रमुख उत्पादकों के लिए कष्टïकारी रही है। लेकिन अब विनिर्माता इस वजह से नाराज हैं क्योंकि चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में एल्युमीनियम आयात का स्तर घरेलू खपत के 60 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच चुका है जो 2017-18 के आखिर में 54 प्रतिशत था।
पिछली तिमाही के दौरान एल्युमीनियम के कुल आयात में 19 प्रतिशत का इजाफा हो चुका है। इसे चीन द्वारा अमेरिकी कबाड़ पर आयात शुल्क लगाने से बढ़ावा मिला है। चीन के संरक्षणात्मक शुल्कों ने एल्युमीनियम के प्रमुख उत्पादकों के सामने अप्रत्याशित कठिनाई पैदा कर दी है। इस तिमाही के दौरान कबाड़ आयात में 24 प्रतिशत तक का इजाफा हो चुका है। भारत में अकेले अमेरिका से ही एल्युमीनियम कबाड़ के आयात में 128 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
कबाड़ के अलावा भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) वाले आसियान देशों से वायर रॉड और मिश्र धातु की ईंटों के आयात की बढ़ती प्रवृत्ति ने घरेलू उत्पादकों को नाराज कर दिया है। उद्योग के आंकड़ों के मुताबिक भारत में एफटीए देशों से वायर रॉड का प्रवाह समीक्षाधीन अवधि में 200 प्रतिशत बढ़ गया है।
नालको के प्रबंध निदेशक और चेयरमैन तथा एल्युमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएआई) के अध्यक्ष टीके चंद ने बताया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार के हालात की वजह से आयात में इजाफा हुआ है। इन हालात में अतिरिक्त शुल्क लगाया जाना भी शामिल है। भारत को अपने घरेलू बाजार को बढ़ते आयात से बचाने की जरूरत है।
एलएमई (लंदन मेटल्स एक्सचेंज) पर एल्युमीनियम के दाम 2,000 डॉलर से नीचे जा चुके हैं। एएआई ने आयात में क्यूआर (मात्रात्मक प्रतिबंध) का अनुरोध किया है। इसके अलावा एएआई ने कास्टिक सोडा पर उलटी शुल्क संरचना खत्म करने और ऊर्जा उपकर के लिए जीएसटी इनपुट के्रडिट को लेकर भी अनुरोध किया है क्योंकि एल्युमीनियम ऊर्जा-प्रधान उद्योग है।
इसके अतिरिक्त एएआई ने सरकार से एल्युमीनियम उद्योग को मुख्य उद्योग में शामिल करने का भी अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि एएआई ने अंतिम उपभोग वाले एल्युमीनियम उत्पादों के आयात पर सीमा शुल्क बढ़ाने की भी गुजारिश की है ताकि बड़ी संख्या में भारत के द्वितीयक उत्पादकों को बचाया जा सके।
आयात एल्युमीनियम की प्रमुख कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी और लाभप्रदता को लगातार खत्म कर रहा है। उद्योग के एक सूत्र ने कहा कि बढ़ते आयात ने घरेलू उत्पादकों को बाजार में कम कीमतों पर बिक्री के लिए मजबूर कर दिया है। मुनाफे पर गंभीर रूप से चोट पहुंची है।
इसके अलावा घरेलू एल्युमीनियम उद्योग चीन से आपूर्ति किए जाने वाले डाउनस्ट्रीम उत्पादों पर 167 प्रतिशत के डंपिंग रोधी शुल्क को लेकर भी काफी चिंतित है। घरेलू बाजार में एल्युमीनियम की मांग में सुधार जारी है। इसमें 10 प्रतिशत के साथ 9.2 लाख टन तक की वृद्धि हुई है। हालांकि चीन और आसियान देशों से कम लागत वाले सेमी और वायर रोड के आयात में वृद्धि होने से मांग को नुकसान पहुंचा है।
सूत्रों ने कहा कि हालिया घटनाक्रम के परिणामस्वरूप भारत चीन की ओर से बढ़ती डंपिंग के मद्देनजर बहुत असहाय है और इसका असर पहले ही नजर आ चुका है। इसे रोकने के लिए सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और एल्युमीनियम को आरसीईपी (क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी) वार्ता से पूरी तरह से बाहर रखा जाना चाहिए। वरना यह भारत के एल्युमीनियम उद्योग को बंद कर सकता है।
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