संकट पर लेनदारों की सामूहिक चर्चा नहीं | अभिजित लेले / मुंबई September 20, 2018 | | | | |
आईएलऐंडएफएस समूह में संकट के बावजूद स्थिति की समीक्षा और क्षति को सीमित करने की खातिर उठाए जाने वाले कदमों को लेकर लेनदारों की सामूहिक बैठक अभी तक नहीं हो पाई है। आईएलऐंडएफएस समूह की होल्डिंग कंपनी इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग ऐंड फाइनैंशियल सर्विसेज (आईएलऐंडएफएस) लिमिटेड की अग्रणी बैंकर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया है। आईएलऐंडएफएस लिमिटेड के ऊपर सकल कर्ज 910 अरब रुपये है। आईएलऐंडएफएस ने 10 सितंबर को सिडबी के 1 अरब रुपये के पुनर्भुगतान में चूक की। यह भुगतान में कई चूक के बाद हुआ, जिसकी शुरुआत 28 अगस्त को हुई जब आईएलऐंडएफएस फाइनैंशियल सर्विसेज (मुख्य सहायकों में से एक) ने कुछ वाणिज्यिक प्रतिभूतियों की देनदारी पूरी करने में देर की।
एक निजी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी (कॉरपोरेट बैंकिंग) ने कहा, हर लेनदार इस समूह की इकाइयों को दिए गए कर्ज की समीक्षा कर रहा है। हालांकि अभी तक कोई सामूहिक फैसला नहीं लिया गया है। एक सरकारी बैंक के निदेशक मंडल के सदस्य ने कहा, लेनदारों की संयुक्त बैठक नहीं हुई है। आईएलऐंडएफएस, होल्डिंग कंपनी और प्रोजेक्ट डेवलपर व फाइनैंसर की भूमिका निभा रही है। 31 मार्च को बैंक कर्ज के तौर पर आईएलऐंडएफएस की कुल देनदारी बैंकों के कुल कर्ज का 0.5-0.7 फीसदी था। रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा, हमें नहीं लगता कि किसी अच्छे बैंक का कर्ज उसके लोनबुक का 2 फीसदी से ज्यादा होगा। साथ ही समूह के मुख्य शेयरधारकों की वित्तीय स्थिति मजबूत है। हालांकि अब तक मुख्य शेयरधारकों की तरफ से सार्वजनिक तौर पर विशेष समर्थन की प्रतिबद्धता नहीं जताई गई है। आईएलऐंडएफएस समूह के नकदी संकट पर चेतावनी देते हुए मूडीज ने कहा कि यह बैंकों के लिए और भारतीय ऋण बाजार के लिए नकारात्मक है। इस चूक से म्युचुअल फंड, पेंशन फंड और बीमा कंपनियां प्रभावित होंगे।
जीवन बीमा निगम, ओरिक्स कॉरपोरेशन ऑफ जापान, भारतीय स्टेट बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया आईएलऐंडएफएस के प्रमुख शेयरधारकों में शामिल हैं। एसबीआई और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की लेनदार व शेयरधारक के तौर पर दोहरी भूमिका है। आईएलऐंडएफएस के निदेशक मंडल में भारतीय स्टेट बैंक का प्रतिनिधित्व है।
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