सस्ते में बढिय़ा सामान चाहें तो रीफर्बिश्ड माल पर नजर दौड़ाएं | प्रियदर्शिनी माजी / September 16, 2018 | | | | |
आपको किसी सामान की जरूरत होती है तो आप क्या करते हैं? या तो बाजार से एकदम नया सामान खरीद लेते हैं या कहीं से उसे किराये पर ले लेते हैं। लेकिन अब आपके पास एक और विकल्प है। आप चाहें तो पहले इस्तेमाल किए गए सामान को भी खरीद सकते हैं और जाहिर है कि उसके लिए आपको नए सामान के मुकाबले काफी कम कीमत अदा करनी पड़ेगी। ऐसे सामान को पहले 'सेकंड हैंड' कहा जाता था, लेकिन अब उसे 'रीफर्बिश्ड' का नाम दिया जाता है। मोबाइल फोन जैसे गैजेट हों, टीवी, फ्रिज और एयरकंडीशनर जैसा सामान हो या फर्नीचर हो, हर श्रेणी में रीफर्बिश्ड सामान की बिक्री जोर पकड़ रही है। इस बाजार में मौजूद संभावनाओं का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नामी खुदरा कंपनी वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने भी पिछले दिनों इस बाजार में कदम रख दिया है। फ्लिपकार्ट ने रीफर्बिश्ड उत्पादों के लिए एक अलग पोर्टल '2गुड' शुरू किया है।
उद्योग के जानकारों का कहना है कि कम दाम में बेहतरीन सामान खरीदने के अरमान ने रीफर्बिश्ड सामान के बाजार को गरमा दिया है। इसके अलावा कई बार इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों और फर्नीचर आदि की जरूरत थोड़े से वक्त के लिए ही होती है, जिसे पूरा करने के लिए रीफर्बिश्ड सामान एकदम मुफीद होता है। फ्लिपकार्ट के बिज़नेस हेड चाणक्य गुप्ता कहते हैं, 'इस मैदान में अभी तक किसी ने भी बड़े स्तर पर हाथ ही नहीं आजमाया है। इसीलिए इसमें आ रही तेजी को वृद्घि कहना गलत होगा क्योंकि इसमें कारोबार शुरू ही हो रहा है। मगर इस बाजार में अगले पांच से छह साल तक 2,000 करोड़ डॉलर से भी अधिक का कारोबार होने की संभावना है।'फ्लिपकार्ट के अलावा एमेजॉन इस बाजार में लंबे समय से रही है। रीफर्बिश्ड सामान के बाजार में जिन दूसरी कंपनियों की अहम भागीदारी है, उनमें ग्रीनडस्ट, टोगोफोगो, वैल्यूकार्ट अैर गोबोल के नाम सबसे आगे हैं। गैजेट (मोबाइल फोन, लैपटॉप, कैमरे, टैबलेट, टीवी, इलेक्ट्रॉनिक सामान), गेमिंग कंसोल, घर एवं रसोईघर के उपकरण, घर का फर्नीचर और यहां तक कि परिधान भी अब रीफर्बिश्ड होकर आ रहे हैं और खासे लोकप्रिय भी हैं।
कितना खरा है सामान
विशेषज्ञ बताते हैं कि देश में अभी तक जिस तरीके से रीफर्बिश्ड सामान बेचा जाता था, उसमें ग्राहक अक्सर घाटे में रहते थे क्योंकि वे तय ही नहीं कर पाते थे कि उस सामान की वाजिब कीमत क्या होनी चाहिए। साथ ही सामान कितना बढिय़ा या घटिया है, यह जांचने का जिम्मा भी ग्राहक के ही मत्थे होता था। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। फ्लिपकार्ट ने कुछ पैमाने बनाए हैं, जिनके जरिये सामान को उसकी गुणवत्ता के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में रख दिया जाता है। इसके तहत रीफर्बिश्ड सामान को पांच श्रेणियों में बांटा जाता है। ये श्रेणियां हैं - अनबॉक्स्ड (नया जैसा), सुपर्ब, वैरी गुड, गुड और ओके। आपको जिस तरह का सामान चाहिए, उसे ध्यान में रखते हुए आप श्रेणी चुन सकते हैं और उसमें मौजूद सामान खरीद सकते हैं। गुप्ता कहते हैं, 'रीफर्बिश्ड सामान खरीदने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप बेहद किफायती दाम में मनचाहे सामान का इस्तेमाल कर पाते हैं। लेकिन ग्राहक को कुछ मामलों में समझौता करना पड़ता है, जैसे सामान पर खरोंचें पड़ी हो सकती हैं यानी पता चल जाता है कि उसका इस्तेमाल पहले किया जा चुका है। अलग-अलग श्रेणियों में इस तरह की खरोंच आदि कम-ज्यादा होती हैं।'
यहां आपको असली हुनर यह पहचानने में दिखाना होता है कि सामान को वाकई में रीफर्बिश किया गया है या नहीं यानी उसमें सुधार किया गया है या नहीं। कहीं ऐसा तो नहीं कि उसे केवल साफ किया गया हो और डिब्बे में बंद कर बेच दिया गया हो। कंपनियों की सामान को वापस करने की नीति यानी रिटर्न पॉलिसी इसी जगह काम आती है। रीफर्बिश्ड उत्पाद एकदम सही काम कर रहा है या उसमें किसी तरह की खामी है, यह पता लगाने में कुछ वक्त लग सकता है। यदि खामी है तो रिटर्न पॉलिसी से आपको मदद मिलेगी। यदि कंपनी के पास रिटर्न पॉलिसी ही नहीं है या उचित पॉलिसी नहीं है तो आईफोन 10 के लिए आधी कीमत चुकाने के बाद भी आपके हाथ में डेमो सेट यानी नकली आईफोन आ सकता है।
वारंटी बेहद जरूरी
कोई भी रीफर्बिश्ड सामान खरीदना हो तो पहले देखिए कि उसे बेचने वाले के पास वारंटी की कैसी योजना है। एक जमाना था, जब खरीदारी के बाद किसी तरह की वारंटी मुश्किल से ही मिलती थी यानी सामान में अगर कोई खामी निकल आती थी तो आफ्टर-सेल्स वारंटी जैसा कुछ आम तौर पर नहीं होता था। लेकिन अब ज्यादातर कंपनियां खरीदारी के बाद 3 से 12 महीने तक के लिए वारंटी देती हैं। साथ ही 7 से 15 दिन के भीतर कोई खामी निकलने पर मुफ्त में सामान वापसी की सुविधा भी मिलती है। फ्लिपकार्ट के 2गुड में सभी श्रेणियों के सामान पर 10 दिन की रिटर्न पॉलिसी है। ग्रीनडस्ट और गोबोल जैसी कंपनियां ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हैं और कई शहरों में उनके स्टोर भी मौजूद हैं।
सामान के दाम
नया सामान खरीदने के बजाय रीफर्बिश्ड सामान चुनने के पीछे सबसे बड़ी वजह उसकी कीमत होती है क्योंकि यह कम दाम में मिल जाता है। सामान किस तरह का है, उसका मॉडल कौन सा है और वह कितना पुराना या खराब है, यह सब देखने के बाद उसे नए सामान के मुकाबले 40 से 85 फीसदी तक कीमत पर बेच दिया जाता है। उदाहरण के लिए अगर आप 2गुड पर जाते हैं और 16 जीबी मेमरी वाला आईफोन 6 प्लस खरीदते हैं तो उसके लिए आपको केवल 29,999 रुपये चुकाने होंगे, जब इसी मॉडल का नया फोन इस समय 36,000 रुपये में मिल रहा है। अगर आप टोगोफोगो से 16 जीबी मेमरी वाला बिल्कुल ऐसा ही प्रमाणित फर्निश्ड ऐपल आईफोन 6 प्लस खरीदते हैं तो आपको केवल 19,200 रुपये ही चुकाने होंगे।
जाहिर है कि रीफर्बिश्ड सामान बहुत फायदेमंद है। अगर आप बेहतर ब्रांड का सामान इस्तेमाल करना चाहते हैं और ज्यादा रकम भी खर्च नहीं करना चाहते हैं तो रीफर्बिश्ड सामान आपके लिए ही हैं। तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आप किसी भरोसेमंद जगह से रीफर्बिश्ड इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खरीदते हैं तो आपको काफी कम दाम में ऐसा समान मिल सकता है, जो एकदम नए उपकरण की तरह काम करता हो। लेकिन एक बात समझ लीजिए। रीफर्बिश्ड सामान खरीदना है तो खरोंचों या मामूली निशानों की तरफ बिल्कुल भी ध्यान मत दीजिए क्योंकि इस्तेमाल किए हुए सामान में ऐसे निशान होना लाजिमी है और कम कीमत के लिए इतना समझौता तो किया ही जा सकता है।
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