पारंपरिक आईटी कारोबार पर असर से झटका | देवाशिष महापात्र / बेंगलूरु September 13, 2018 | | | | |
आईटी सेवा कंपनियां अपने पारंपरिक कारोबार में लगातार गिरावट का सामना कर रही हैं, वहीं डिजिटल सेवा क्षेत्र बढ़त की राह पर है। लेकिन डिजिटल कारोबार अभी उस ऊंचाई पर नहीं पहुंच पाया है कि वह पारंपरिक कारोबार की भरपाई कर सके। वित्त वर्ष 2019 की जून तिमाही में चार अग्रणी आईटी सेवा कंपनियों टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इन्फोसिस, विप्रो और एचसीएल टेक ने अपने पारंपरिक कारोबार में गिरावट दर्ज की जबकि डिजिटल कारोबार में इसकी बढ़त की रफ्तार तेज रही। आईटी दिग्गज अपने राजस्व का 70 फीसदी से ज्यादा हिस्सा पारंपरिक कारोबार से हासिल करते हैं और इसके तहत वे ऐप्लिकेशन डेवलपमेंट, रखरखाव और टेस्टिंग सेवाओं की पेशकश वैश्विक क्लाइंटों को करते हैं।
विदेश में केंद्रित आईटी सेवा फर्मों में कॉग्निजेंट इकलौती कंपनी रही जिसने पारंपरिक व डिजिटल दोनों कारोबारों में बढ़ोतरी दर्ज की। इन्फोसिस के मुख्य परिचालन अधिकारी यू बी प्रवीण राव ने कहा, आईटी बजट का करीब 60-70 फीसदी कारोबार के परिचालन पर खर्च किया जाता है। सिर्फ 20-30 फीसदी कारोबार के कायापलट पर खर्च होता है। साथ ही क्लाइंट इस पर विचार कर रहे हैं कि लागत कैसे घटाई जा सकती है और कायापलट पर कैसे पुननिर्वेश किया जा सकता है। अप्रैल-जून की अवधि में इन्फोसिस ने पारंपरिक कारोबार में एक फीसदी की गिरावट दर्ज की, जो कुल आय में करीब 72 फीसदी का योगदान करता है। इसकी तुलना में डिजिटल सेवाओं का राजस्व 27 फीसदी बढ़ा और कुल आय में इसका योगदान 28 फीसदी रहा।
इसी तरह बाजार की दिग्गज टीसीएस ने पारंपरिक कारोबार के राजस्व में साल दर साल के हिसाब से दो फीसदी की गिरावट दर्ज की, जो इसके कुल कारोबार का 75 फीसदी है। हालांकि कुल राजस्व में डिजिटल का योगदान 25 फीसदी रहा और इस अवधि में इस क्षेत्र में 46 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई। बेंगलूरु की विप्रो ने अपने पारंपरिक कारोबार के राजस्व में तेज गिरावट दर्ज की और पहली तिमाही में यह सात फीसदी फिसला। आईटी सेवा के कुल राजस्व में पारंपरिक कारोबार का योगदान 72 फीसदी रहा। इसकी तुलना में डिजिटल की हिस्सेदारी कुल राजस्व में 28 फीसदी रही। एचसीएल टेक पर नजर डालें तो इसका पारंपरिक राजस्व साल दर साल के हिसाब से 8 फीसदी घटा जबकि डिजिटल रास्व में 56 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई।
एचएफएस रिसर्च के प्रबंध निदेशक (भारत) प्रतीक जैन ने कहा, देसी आईटी फर्म कम से कम अगले 3 से 5 सालों में सिर्फ डिजिटल पर ध्यान केंद्रित कर आगे नहीं बढ़ सकती। राजस्व में ठीक-ठाक बढ़ोतरी के लिए उन्हें पारंपरिक कारोबार से जुड़े ज्यादा से ज्यादा सौदे हासिल करने होंगे। उन्होंंने कहा, पारंपरिक और डिजिटल सेवाओं से संबंधित पोर्टफोलियो उन्हें पंक्तिबद्ध करना होगा। दोनों कारोबारों के लिए कंपनी के पास अलग-अलग रणनीति होनी चाहिए, जिससे उन्हें पारंपरिक कारोबार में हो रही गिरावट को थामने में मदद मिलेगी।
इस पृष्ठभूमि में कंपनियां अब पारंपरिक राजस्व में हो रही गिरावट को थामने के लिए नए खाका खींच रही है, साथ ही इस क्षेत्र में कीमत पर पड़ रहे दबाव से निपटने की कोशिश में भी जुटी है। उदाहरण के लिए इन्फोसिस अपने पारंपरिक कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए स्वचालन व उत्पादन में सुधार की रणनीति का इस्तेमाल कर रही है। इसी तरह टीसीएस कायापलट वाले बड़े सौदे हासिल करने के लिए खुद को प्रतिस्पर्धियों से अलग दिखा रही है। पिछले साल दिसंबर से अब तक कंपनी ने 5.6 अरब डॉलर के तीन बड़े सौदे हासिल किए हैं।
|