चीनी निर्यात सब्सिडी से डब्ल्यूटीओ जाएंगे ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया | रॉयटर्स / साओ पाउलो September 13, 2018 | | | | |
ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया के चीनी उद्योग अपनी सरकारों के साथ मिलकर भारत द्वारा चीनी निर्यात पर संभावित सब्सिडी देने के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में शिकायत करने पर विचार कर रहे हैं। ब्राजील के चीनी उद्योग से जुड़े एक शीर्ष अधिकारी ने रॉयटर्स को यह जानकारी दी। ब्राजील के गन्ना उद्योग समूह यूनिका में कार्यकारी निदेशक एड्वार्डो लेओ ने एक साक्षात्कार में बताया कि ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया हाल ही में चीनी की कीमतों में गिरावट से उबरे हैं और भारत द्वारा सब्सिडी देने से इसे बड़ा झटका लगेगा। उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच इस बात पर सहमति हुई है कि अगर भारत चीनी उत्पादकों को निर्यात सब्सिडी देता है तो वे डब्ल्यूटीओ में शिकायत दर्ज कराएंगे।
चीनी कारोबारी और विश्लेषकों का मानना है कि भारत इस वर्ष रिकॉर्ड चीनी उत्पादन और चीनी अधिशेष के चलते कारोबारियों को निर्यात पर सब्सिडी दे सकता है। साथ ही, आगामी सीजन में भी चीनी के बेहतर उत्पादन की संभावनाएं हैं। लेओ ने कहा, 'हमने सुना है कि भारत निर्यात सब्सिडी दे सकता है। यह स्वीकार्य नहीं होगा और हम ब्राजील सरकार से इसके खिलाफ कदम उठाने की मांग करते हैं।' न्यूयॉर्क में कच्ची चीनी के दाम 22 अगस्त को 10 साल के निम्नतम स्तर, 9.91 सेंट पर थे और अब जाकर स्थिति थोड़ी ठीक हुई है। भारतीय व्यापार मंत्रालय से इस मामले पर कोई त्वरित प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
भारतीय अधिकारियों ने पहले कहा था कि देश का चीनी निर्यात डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन नहीं करता और विदेश में बिक्री के लिए भारत ने कोई सब्सिडी नहीं दी है। भारत किसानों को गन्ना उत्पादन पर सब्सिडी दे रहा है। यूनिका निदेशक का कहना है कि ऑस्ट्रेलियाई चीनी उद्योग के प्रतिनिधियों से इस विषय पर बातचीत की जा रही है, जिससे आवश्यकता पडऩे पर डब्ल्यूटीओ में एक संयुक्त रणनीति के साथ अपील की जा सके। ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री साइमन बर्मिंघम ने गुरुवार को ऐसी किसी औपचारिक शिकायत की पुष्टि या नकारने को सीधे मना कर दिया। हालांकि उन्होंने अपनी चिंता जरूर जाहिर की।
बर्मिंघम ने रॉयटर्स को ई-मेल के जरिये भेजे जवाब में कहा, 'यह स्पष्ट है कि भारत और पाकिस्तान सरकार द्वारा हाल ही में दी गई निर्यात सब्सिडी से वैश्विक बाजारों में चीनी की आपूर्ति काफी अधिक मात्रा में हो रही है। हमने सभी संभावित माध्यमों से भारत और पाकिस्तान सरकारों से अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं।' ऑस्ट्रेलिया विश्व के सबसे बड़े चीनी निर्यातक देशों में से एक है और इस वर्ष वहां रिकॉर्ड 48 लाख टन पैदावार होने की उम्मीद है। ऑस्ट्रेलियन ब्यूरो ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसोर्स इकोनॉमिक्स एंड साइंसेज ने ये अनुमान व्यक्त किए हैं।
लेओ ने कहा, 'यूरोप, थाईलैंड और भारत में अधिक उत्पादन के कारण बाजार में गिरावट आई है। लेकिन अब स्थिति ठीक हो रही है और हमें भारत की ओर से निर्यात सब्सिडी की जरूरत महसूस नहीं होती।' बाजार का अनुमान है कि इस बार भारत में 1 करोड़ टन चीनी अधिशेष होगा। चीनी की कीमतें हालिया बाजार से अधिक हैं और निर्यात बढ़ाने के लिए सरकार मिलों को सहायता दे सकती है। यूनिका के निदेशक का कहना है कि कीमतों में सुधार आ रहा है और भारतीय मिलें इन कीमतों पर चीनी निर्यात कर सकेंगी। उन्होंने कहा, 'कई मिलों की वित्तीय स्थिति गंभीर होने के कारण ब्राजील सरकार इस मामले पर काफी गंभीर है।' ब्राजील ने 31 अगस्त को चीनी निर्यात पर चाइना के सुरक्षा उपायों को लेकर डब्ल्यूटीओ में एक बातचीत शुरू की है।
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