मंद पड़ेगा वैश्विक हीरा उत्पादन! | दिलीप कुमार झा / मुंबई September 13, 2018 | | | | |
प्रमुख उत्पादकों द्वारा खदानों में उत्खनन कार्य स्थगित करने केकारण कैलेंडर वर्ष 2018 के दैरान वैश्विक हीरा उत्पादन में गिरावट आने के आसार हैं। गुरुवार को जारी डी बीयर्स समूह की एक ताजा रिपोर्ट डायमंड इनसाइट में कहा गया है कि अलरोजा के स्वामित्व वाली मीर खदान ने इस साल परिचालन स्थगित कर दिया है। इसके अलावा रियो टिंटो ने भी अपने परिचालन उत्पादन में गिरावट दिखाई है जिसके परिणामस्वरूप 2018 में कच्चे हीरे के अनुमानित उत्पादन में गिरावट आने की संभावना है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भविष्य के लिहाज से उत्पादन में गिरावट जारी रहने के आसार हैं क्योंकि नई परियोजनाएं और खनन क्षेत्र में किया जा रहा विस्तार खदानों के बंद होने के नुकसान की भरपाई करने में असफल रहा है। 2028 तक कई बड़ी खदानों का जीवनकाल खत्म होने की कगार पर पहुंच जाएगा जबकि केवल कुछेक नई परियोजनाओं पर ही काम चल रहा है। कैलेंडर वर्ष 2017 के दौरान 14 प्रतिशत इजाफे के साथ 16.4 करोड़ कैरट का वैश्विक हीरा उत्पादन दर्ज हुआ है जबकि पिछले वर्ष यह 14.4 करोड़ कैरट था।
वर्ष 2017 में कच्चे हीरे का कुल उत्पादन मूल्य 17.5 अरब डॉलर रहने का अनुमान है जिसमें 2016 की तुलना में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्पादन में डी बीयर्स समूह का योगदान सबसे ज्यादा (61 लाख कैरट) रहता है। इसके बाद रियो टिंटो (37 लाख कैरट) और अलरोजा (23 लख कैरेट से अधिक) का स्थान रहता है। रूस ने कैरट और मूल्य के हिसाब से सबसे बड़े उत्पादक देश के रूप में अपनी स्थिति बरकरार रखी है। इस बीच 2018 की पहली छमाही में हीरा तराश केंद्रों को बेचे गए कच्चे हीरे की बिक्री 2017 में इसी अवधि की तुलना में अधिक रही है। रूस की अलरोजा ने पहली छमाही में 70 लाख कैरेट का स्टॉक बेचा और कच्चे हीरे के राजस्व में आठ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। दूसरी ओर मात्रा के लिहाज से डी बीयर्स समूह की बिक्री कम रही हालांकि तराश केंद्रों को की गई बिक्री का मूल्य ऊंचा रहा। 2017 में तराश केंद्रों को की गई बिक्री 16.6 अरब डॉलर रही जिसमें पिछले कैलेंडर वर्ष की तुलना में दो प्रतिशत का इजाफा हुआ।
डी बीयर्स समूह सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता के रूप में बना रहा हालांकि इसकी हिस्सेदारी कम होकर 34 प्रतिशत रह गई जबकि 2016 में इसकी हिस्सेदारी 37 प्रतिशत थी। 2017 में अलरोजा के हिस्से में भी गिरावट आई और यह कुल बिक्री का 25 प्रतिशत रहा जबकि 2016 में यह हिस्सेदारी 27 प्रतिशत थी। नोटबंदी कार्यक्रम से कुछ समय के व्यवधान के बाद भारत में 2017 के दौरान करोबारी हालात स्थिर बने रहे। 2017 में भारत का कच्चा हीरा उत्पादन ऊंचे स्तर पर रहा। इस दौरान भारत का सालाना कच्चा हीरा आयात बढ़कर 19.5 करोड़ कैरट हो गया। सरकार के 2016 के नोटबंदी कार्यक्रम से मुख्य रूप से 2017 की पहली तिमाही के अंत तक विनिर्माण और स्टॉक में स्थिरता के हालात पैदा हो गए थे।
डी बीयर्स का अनुमान है कि 2017 में हीरे के वैश्विक आभूषणों की बिक्री में मिलेनियल और जेन जेड केआभूषणों का योगदान दो-तिहाई रहा है। इस दौरान हीरे के गहनों की मांग 82 अरब डॉलर के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। मिलेनियल 21 से 39 साल के आयु वर्ग वाले उपभोक्ताओं को आपूर्ति करती है जो दुनिया की 29 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करता है और वर्तमान में हीरा उपभोक्ताओं का सबसे बड़ा समूह है।
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