116 ब्रोकरों पर हो सकती है कार्रवाई | |
श्रीमी चौधरी और समी मोडक / मुंबई 09 12, 2018 | | | | |
► सेबी के निदेशक मंडल की अगले सप्ताह होने वाली बैठक में लिए जा सकते हैं कई फैसले
► निवेशकों की राशि में धांधली के मामले में ब्रोकरों पर कार्रवाई करेगा सेबी निदेशक मंडल
► निष्पक्ष बाजार पहुंच पर गठित विश्वनाथन समिति के सुझावों पर विचार
► बड़ी कंपनियों के लिए बॉन्ड बाजार से एक-चौथाई उधारी जुटाना अनिवार्य करने पर चर्चा
बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) 40 अरब रुपये की निवेश राशि में धांधली के आरोपी 116 ब्रोकरों के खिलाफ उठाए जाने वाले कदम पर अगले सप्ताह फैसला करेगा। हालांकि कुल 54 अरब रुपये की निवेश राशि में यह धांधली हुई थी जिसमें कुल 147 ब्रोकरों के शामिल होने का पता चला था। लेकिन 31 ब्रोकरों के सेबी के पास पंजीकृत नहीं होने से बाजार नियामक उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पा रहा है।
सेबी के निदेशक मंडल की 18 सितंबर को होने वाली बैठक में 116 पंजीकृत ब्रोकरों के खिलाफ फैसला किया जाएगा। मुंबई पुलिस के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने एनएसईएल मामले की जांच के बाद इन ब्रोकरों को निवेशकों की रकम के साथ गड़बड़ी करने का दोषी पाया है। सूत्रों के मुताबिक 17 बड़े ब्रोकरों ने ही मिलकर 80 फीसदी राशि में गड़बड़ी की थी।
कानूनी जानकारों का कहना है कि दोषी ब्रोकरों पर भारी जुर्माना लगाने, शेयर बाजार में कारोबार से प्रतिबंधित किए जाने या उनका फिटनेस दर्जा छीन लेने जैसा कदम उठाया जा सकता है। करीब 13,000 निवेशकों की तरफ से ब्रोकरों के जरिये निवेश की गई राशि में छेड़छाड़ का यह मामला 5 साल पुराना है। इस मामले में कुछ बड़े ब्रोकरों के भी शामिल होने की चर्चा है।
सेबी बोर्ड कुछ दूसरे अहम मसलों पर भी फैसला कर सकता है। पूर्व विधि सचिव टी के विश्वनाथन की अध्यक्षता में बनी समिति के सुझावों को लागू करने के बारे में भी फैसला लिया जा सकता है। निष्पक्ष बाजार संपर्क पर गठित विश्वनाथन समिति ने निगरानी, जांच और प्रवर्तन गतिविधियों में सुधार कर भेदिया कारोबार पर रोक लगाने की अनुशंसाएं की हैं। सघन कारोबार और अभिकलनात्मक कारोबार के संदर्भ में भी कुछ सुझाव समिति ने दिए हैं।
समिति ने सेबी को संदिग्ध फोन कॉल इंटरसेप्ट करने और उन्हें टैप करने का अधिकार देने को भी कहा है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि सेबी इस तरह की शक्तियां लेने के पहले सरकार से समुचित नियंत्रण एवं संतुलन पर परामर्श लेना चाहेगा।
सेबी बोर्ड न्यायमूर्ति ए आर दवे की अध्यक्षता में बनी एक अन्य समिति के सुझावों पर भी गौर करेगा। दवे समिति ने विवाद समाधान एवं गोपनीयता संबंधी मसौदा अमेरिका की तर्ज पर लाने की बात कही है। सेबी इरादतन चूककर्ताओं और भगोड़े आर्थिक अपराधियों को सहमति-आधारित समाधान मशीनरी के दायरे से बाहर रखने पर भी विचार कर सकता है।
सेबी बोर्ड की बैठक में बड़े कर्जदारों को कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजार की तरफ धकेलने वाले मसौदे पर भी मुहर लगाई जा सकती है। इस कदम के पीछे मकसद यह है कि बैंकिंग प्रणाली पर पड़ रहा बोझ कम हो और खुशहाल कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजार बनाया जा सके। इस साल के बजट में घोषित इरादे के अनुरूप लाए जा रहे इस मसौदे को अगले वित्त वर्ष से लागू किया जाएगा। इसके बाद बड़ी कंपनियों के लिए अपनी उधारी का एक चौथाई हिस्सा बॉन्ड बाजार से जुटाना अनिवार्य हो जाएगा।
सेबी की इस बैठक में प्रवर्तकों का वर्गीकरण सामान्य शेयरधारक के तौर पर करने की अनुमति देने पर भी निर्णय होने की संभावना है। फिर प्रवर्तक को ऐसा कदम उठाने के पहले शेयरधारकों की मंजूरी लेनी जरूरी हो जाएगी। बाजार नियामक कंपनियों के बीच अंतर-परिचालन की भी इजाजत दे सकता है जिससे कारोबार की लागत में कमी आएगी। सेबी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए समान आवेदन फॉर्म लाने पर भी फैसला कर सकता है।
|