► मंत्रिमंडल ने गेहूं और चावल से इतर फसलों का एमएसपी मुहैया कराने के लिए पीएम-आशा योजना शुरू की ► पीएम-आशा में तीन योजनाएं- वर्तमान मूल्य समर्थन योजना, कीमत अंतर भुगतान योजना और निजी कारोबारियों की खरीद योजना शामिल ► राज्य किसी एक योजना या ज्यादा योजनाएं चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे, लेकिन कीमत अंतर भुगतान योजना केवल तिलहनों के लिए होगी
केंद्र सरकार ने खरीफ फसलों की कटाई का सीजन शुरू होने से पहले आज गेहूं एवं चावल से इतर फसलों की अपनी बहुप्रतीक्षित खरीद प्रणाली की घोषणा कर दी। इन फसलों की खरीद बढ़े न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जाएगी। इसके अलावा मध्यवर्ती शीरे और गन्ने के रस से उत्पादित एथनॉल की खरीद कीमतें बढ़ाई गई हैं।
फसल खरीद की खातिर अगले दो वित्त वर्षों के लिए 150 अरब रुपये से अधिक आवंटित किए गए हैं। इस राशि में से 62 अरब रुपये इस साल खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा नेफेड जैसी खरीद एजेंसियों को 160 अरब रुपये से अधिक की अतिरिक्त बैंक गारंटी मिलेगी। यह गारंटी वर्तमान 290 अरब रुपये के अलावा होगी।
इस खरीद योजना को प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम आशा) नाम दिया गया है। योजना में तीन विकल्प दिए गए हैं। पहला, मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस)। दूसरा, मध्य प्रदेश की भावांतर जैसी कीमत अंतर भुगतान योजना (पीडीपीएस)। तीसरी, दाम घटने पर प्रायोगिक आधार पर निजी कारोबारियों से खरीद कराकर स्टॉक करना। राज्य इन तीन योजनाओं में किसी को भी अपनाने के लिए स्वतंत्र होंगे, लेकिन एक ही फसल के लिए एक साथ दो योजनाएं नहीं चला सकते।
सूत्रों ने कहा कि कीमत अंतर भुगतान योजना में 25 फीसदी तक के सरप्लस उत्पादन के लिए धन मुहैया कराया जाएगा। वहीं निजी कारोबारियों से खरीद कराने की योजना में उन्हें एमएसपी पर 15 फीसदी तक प्रोत्साहन राशि मुहैया कराई जा सकती है। हालांकि किसान संगठनों ने एमएसपी खरीद घोषणा की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इसमें कुछ नया नहीं है और इन योजनाओं के बारे में लोग पहले ही जानते हैं। जय किसान आंदोलन के अविक साहा ने कहा, ‘इस फैसले में कुछ नया नहीं है। यह पुरानी योजनाओं की रीपैकेजिंग है। जहां तक निजी कारोबारियों की भागीदारी का सवाल है, पूरी समस्या की जड़ ही मंडी हैं, जो एमएसपी का भुगतान नहीं करती हैं। इसके अलावा धन मुहैया कराने का तरीका भी बहुत स्पष्ट नहीं है।’
उन्होंने कहा कि खरीफ सीजन की उड़द की फसल बड़ी मात्रा में बाजार में आ चुकी है और इसके दाम एमएसपी से 40 फीसदी कम बने हुए हैं। बाजरे का भी यही हाल है। हालांकि सरकार को भरोसा है कि नए प्रस्ताव से किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी। कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा, ‘पीएम-आशा का मकसद उपज की लाभप्रद कीमतें मुहैया कराना है, जिनकी घोषणा 2018 के केंद्रीय बजट में की गई है। यह एक ऐतिहासिक फैसला है।’ सरकार ने कहा है कि मध्य प्रदेश की भावांतर योजना की तर्ज पर बनाई गई कीमत अंतर भुगतान योजना केवल तिलहनों के लिए होगी।
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