एस्सार के लिए बढ़ी बोली | |
देव चटर्जी और ईशिता आयान दत्त / मुंबई/कोलकाता 09 10, 2018 | | | | |
► आर्सेलरमित्तल ने एस्सार के लिए की 420 अरब रुपये की पेशकश
► न्यूमैटल-जेएसडब्ल्यू की बोली 370 अरब रुपये की
► आर्सेलरमित्तल के प्रस्ताव पर बैंक लेंगे कानूनी सलाह
► उत्तम गैल्वा और केएसएस पेट्रोन के बकाये के भुगतान का वादा
दुनिया की सबसे बड़ी स्टील निर्माता कंपनी आर्सेलरमित्तल ने एस्सार स्टील के लिए अपनी पेशकश 31 फीसदी बढ़ाकर आज 420 अरब रुपये कर दी। इस तरह कंपनी ने न्यूमैटल-जेएसडब्ल्यू स्टील की 370 अरब रुपये की बोली को पीछे छोड़ दिया है। एल एन मित्तल की अगुआई वाली कंपनी ने साथ ही राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय पंचाट (एनसीएलएटी) के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। पंचाट ने आर्सेलरमित्तल को एस्सार स्टील पर बोली लगाने से पहले उत्तम गैल्वा स्टील्स (यूजीएलएल) और केएसएस पेट्रोन के बकाये का भुगतान करने को कहा था।
लेकिन ऋणदाताओं की आज शाम मुंबई में हुई बैठक में आर्सेलरमित्तल की पेशकश पर कानूनी सलाह लेने का फैसला किया गया क्योंकि एनसीएलएटी ने मित्तल को पहले यूजीएलएल और केएसएस पेट्रोन के बकाये का भुगतान करने को कहा है। उसके बाद ही कंपनी एस्सार स्टील के लिए बोली लगाने की पात्र होगी। आर्सेलरमित्तल इन दोनों ऋण चूककर्ता कंपनियों में सह प्रवर्तक थी और समाधान पेशेवर ने ऋणशोधन अक्षमता और दिवालिया (आईबीसी) संहिता, 2016 के नियम 29 ए (सी) के तहत उसे एस्सार स्टील में बोली लगाने के लिए योग्य नहीं पाया था। इस नियम के तहत अगर कोई कंपनी एक साल से अधिक समय से गैर निष्पादित परिसंपत्ति है तो उसके प्रवर्तक कंपनियों पर बोली नहीं लगा सकते हैं।
ऋणदाताओं की बैठक में शामिल हुए एक सूत्र ने कहा, 'इस बारे में एनसीएलएटी का आदेश साफ है। आर्सेलरमित्तल को पहले यूजीएसएल और केएसएस पेट्रोन के बकाये का भुगतान करना होगा। उसके बाद ही वह एस्सार स्टील में बोली लगाने की पात्र होगी। लेकिन कंपनी पहले बोली जीतना चाहती है और फिर भुगतान करना चाहती है। इसलिए हमें कानूनी राय लेने की जरूरत है। इसलिए हमारी बैठक बेनतीजा रही।'
इस बैठक में एस्सार स्टील पर दूसरे दौर में लगाई गई बोलियों को खोला गया। एनसीएलएटी के आदेश के मुताबिक आर्सेलरमित्तल के दो ऋण चूककर्ता कंपनियों को बकाये का भुगतान करने की समयसीमा मंगलवार को खत्म हो रही है। सूत्र ने कहा, 'हमारा मानना है कि यह मामला उच्चतम न्यायालय में जाएगा क्योंकि निश्चित रूप से दूसरे पक्ष अपनी आपत्तियां उठाएंगे।'
माना जा रहा है कि एल एन मित्तल की कंपनी आर्सेलरमित्तल ने 420 अरब रुपये की पेशकश के अलावा ओडिशा स्लरी पाइपलाइन के लिए भी अतिरिक्त राशि की पेशकश की है जो एस्सार के संयंत्र के लिए बेहद अहम है। न्यूमैटल-जेएसडब्ल्यू स्टील के एक सूत्र ने कहा कि कानून साफ है कि बैंक चूककर्ता बोली नहीं लगा सकता है। सूत्र ने कहा, 'हम भी उच्चतम न्यायालय में अपना पक्ष रखेंगे। अगर चूककर्ताओं को शर्तों के साथ बोली लगाने की अनुमति दी जाती है तो फिर आईबीसी कानून का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।'
एस्सार स्टील को ऋण का भुगतान नहीं करने के कारण राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट (एनसीएलटी) भेजा गया था। इसके अधिग्रहण के लिए मुख्य रूप से आर्सेलरमित्तल और रूस के वीटीबी बैंक के समर्थन वाली न्यूमैटल के बीच जंग चल रही है। तीसरी बोलीदाता वेदांत ने आक्रामक बोली नहीं लगाई थी। भारतीय रिजर्व बैंक ने जब एस्सार स्टील को ऋण समाधान के लिए एनसीएलटी में भेजा था तो उस पर 450 अरब रुपये का कर्ज था। सूत्रों का कहना है कि आर्सेलरमित्तल एस्सार के सुरक्षित ऋण पर शत प्रतिशत मूलधन की पेशकश कर रहा है। आर्सेलरमित्तल ने एक बयान में इस बात की पुष्टि की कि उसने एस्सार स्टील के अधिग्रहण के लिए कर्जदाताओं की समिति को संशोधित प्रस्ताव दिया है।
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