आईएलऐंडएफएस लेगी 30 अरब रुपये का कर्ज | देव चटर्जी और अभिजित लेले / मुंबई September 07, 2018 | | | | |
इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग ऐंड फाइनैंशियल सर्विसेज (आईएलऐंडएफएस) के बोर्ड ने आज एक आपात बोर्ड बैठक में दो शेयरधारकों - लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एलआईसी) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से 30 अरब रुपये का ऋण लेने का निर्णय लिया है। बोर्ड ने यह सुनिश्चित करने के लिए 15 सितंबर को एक बैठक आयोजित करने का भी निर्णय लिया है कि आईएलऐंडएफएस और अन्य समूह कंपनियां किसी आगामी पुनर्भुगतान में विफल न रहें। आईएलऐंडएफएस समूह कंपनियों द्वारा विभिन्न वित्तीय संस्थानों के लिए ताजा डिफॉल्ट के बाद यह कोष उगाही बेहद जरूरी मानी जा रही है। लगभग 1 लाख करोड़ रुपये के कुल कर्ज से लदी आईएलऐंडएफएस को परियोजनाओं के क्रियान्वय में विलंब के अलावा इन्फ्रास्ट्रक्चर परियाजनाओं के निर्माण के लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियों से भुगतान में भी विलंब का सामना करना पड़ रहा है।
इस घटनाक्रम से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि एलआईसी और एसबीआई, दोनों ने कंपनी में निवेश करने पर सहमति जता दी है। उन्होंने कहा कि आईएलऐंडएफएस की सड़क परियोजनाओं को खरीदने के लिए तीन बड़ी कंपनियां दौड़ में हैं। इनमें लोन स्टार, आईस्क्वार्ड कैपिटल और नैशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड शामिल हैं। बोर्ड ने शुरू में 45 अरब रुपये के राइट्स इश्यू को मंजूरी प्रदान की थी जो कंपनी को अपनी वित्तीय जरूरतें पूरी करने के लिए बेहद जरूरी है। हालांकि कुछ निवेशकों ने कंपनी द्वारा मांगे गए ऊंचे प्रीमियम को लेकर आपत्ति जताई थी। अगस्त के आखिरी सप्ताह में आयोजित एक बैठक में आईएलऐंडएफएस के बोर्ड ने नकदी खर्च बचाने और अपनी सहायक इकाइयों की वित्तीय जरूरतों के लिए रकम मुहैया कराने के लिए लाभांश को 6 रुपये प्रति शेयर से घटाकर 1 रुपये कर दिया। साथ ही बोर्ड ने गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर जारी कर अन्य 50 अरब रुपये जुटाने की योजना को भी मंजूरी प्रदान की थी।
इंडिया रेंटिंग्स ने परिवहन, ऊर्जा और वित्तीय खंडों में कंपनी के कुछ निवेश पर दबाव का हवाला देते हुए 24 अगस्त को आईएलऐंडएफएस की रेटिंग घटा दी थी। वित्तीय स्थिति पर दबाव को ध्यान में रखते हुए इस साल जुलाई में एलआईसी के पूर्व प्रबंध निदेशक हेमंत भार्गव को कंपनी में गैर-कार्यकारी चेयरमैन के तौर पर नियुक्त किया गया था। अपनी वित्त वर्ष 2018 की सालाना रिपोर्ट में आईएलऐंडएफएस ने इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में उसके बढ़ते एनपीए को जिम्मेदार करार दिया जिसकी वजह से बैंकों ने इस सेक्टर के लिए नकारात्मक रुख अपनाया और कर्ज देना बंद कर दिया।
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