बिजली क्षेत्र में फंसा कर्ज ► परिवर्तन के तहत दबाव वाली बिजली संपत्तियों के लिए बनेगी परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी ► एनटीपीसी होगी इसकी परिचालन एवं प्रबंधन साझेदार ► परिवर्तन के लिए 11,470 मेगावॉट ताप बिजली परियोजनाओं की पहचान ► एनसीएलटी में जा चुकीं परिसंपत्तियों पर भी लागू होगा परिवर्तन बिजली क्षेत्र की दबाव वाली परिसंपत्तियों के समाधान के लिए रूरल इलेक्ट्रीफिकेशन कॉरपोरशन (आरईसी) द्वारा तैयार की जा रही परिर्वतन योजना को दिवालिया अदालत में चल रहे मामलों में भी लागू किया जाएगा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आरईसी की प्रस्तावित परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी (एआरसी) को रियायत देने से इनकार करने के बाद यह कदम उठाया गया है। आरईसी ने आरबीआई को एआरसी के लिए जरूरी अनिवार्य सदस्यता शुल्क में रियायत देने का अनुरोध किया था। केंद्रीय बैंक के नियमों के मुताबिक ऋणदाता को एआरसी द्वारा चिह्नित परिसंपत्तियों के शुद्ध मूल्य की 15 फीसदी राशि का सदस्यता शुल्क के रूप में भुगतान करना होगा। चूंकि आरबीआई ने कोई रियायत देने से इनकार कर दिया है, इसलिए आरईसी ने न्यूनतम सदस्यता शुल्क के योगदान के लिए अन्य ऋणदाताओं से संपर्क साधा है। इससे पहले चिह्नित बिजली संयंत्रों के लिए 180 दिन की विशेष मोहलत देने की सरकार के अनुरोध को आरबीआई ने खारिज कर दिया था। आरबीआई ने बिजली क्षेत्र में और परियोजनाओं को दबाव वाली परिसंपत्तियों की सूची में जाने से रोकने के लिए एक परिपत्र जारी किया था। इसके बाद आरईसी ने इसके लिए परिवर्तन योजना बनाई थी। अब कंपनी सभी ऋणदाताओं के बीच आम सहमति बनाने की कोशिश मे जुटी है ताकि राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट एनसीएलटी में जाने वाली परिसंपत्तियों में समाधान की इस व्यवस्था का इस्तेमाल किया जा सके। आरबीआई ने 12 फरवरी के परिपत्र में 40,000 मेगावॉट की दबाव वाली बिजली परियोजनाओं के समाधान के लिए 180 दिन की समयसीमा निर्धारित की थी जो 27 अगस्त को समाप्त हो गई। परिपत्र के मुताबिक ऋणदाताओं को समयसीमा खत्म होने के बाद 15 दिन के भीतर ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के तहत दिवालिया के लिए आवेदन करना था। एक बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि समयसीमा खत्म होने तक कई मुद्दों पर ऋणदाताओं के बीच सहमति नहीं बन पाई। इनमें यह मुद्दा भी शामिल था कि परिसंपत्तियों का प्रबंधन कैसे करना है। साथ ही इस बात पर भी सहमति नहीं बन पाई कि उनका हस्तांतरण किस कीमत पर होगा। पावर फाइनैंस कॉरपोरेशन, पंजाब नैशनल बैंक, ऐक्सिस बैंक, यूनियन बैंक और सेंट्रल बैंक जैसे मुख्य ऋणदाताओं परिवर्तन का हिस्सा बनने के लिए अब तक अपनी मंजूरी नहीं दी है। इसमें भी पेच है कि इन बिजली परिसंपत्तियों का प्रबंधन कौन करेगा और अगले दो-तीन वर्षों में उनकी पूंजीगत जरूरतों को पूरा करेगा। बैंक अधिकारी ने कहा, 'अगर हम इन परिसंपत्तियों को एनसीएलटी में भी ले जाएं, तब भी प्रवर्तक में बदलाव से संबंधित आईबीसी की धारा 29ए के कारण बिजली खरीद समझौतों को नए सिरे से अंजाम देना होगा।' अधिकारियों ने बताया कि बिजली मंत्रालय में आज हुई बैठक में आरईसी ने 11,470 मेगावॉट की परियोजनाओं को चिह्नित किया जो पूरी हो चुकी हैं। बैंकों से इसी तरह की सूची मांगी गई है। पीएफ सी की तीन संपत्तियां एनसीएलटी जाएंगी पावर फाइनैंस कॉरपोरेशन की दबाव वाली तीन बिजली परिसंपत्तियों के दिवालिया अदालत में जाने की आशंका है। कंपनी उन्हें बेचना चाहती है लेकिन ऋणदाताओं का समूह उनके लिए कोई खरीदार नहीं ढूंढ पाया है।
