2018 में 4 लाख करोड़ रु. का एनपीए सुलझेगा | अभिजित लेले / मुंबई September 03, 2018 | | | | |
इंडिया रेटिंग्स के अनुसार वर्ष 2018 के अंत तक 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक के फंसे कर्ज का समाधान निकाले जाने का अनुमान है। बड़े कर्ज वाली शीर्ष-500 कंपनियों से संबंधित 10.2 लाख करोड़ रुपये के कुल फंसे ऋणों का लगभग 45 प्रतिशत हिस्सा ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के तहत वर्ष 2018 के अंत तक सुलझाए जाने की संभावना है जबकि बकाया फंसे कर्ज को 2019 के दौरान सुलझाया जाएगा। फंसे कर्ज में मार्च 2017 तक 'सी' या 'डी' क्रेडिट रेटिंग के साथ शीर्ष-500 कर्जदारों की कुल उधारी शामिल है। ये दोनों क्रेडिट रेटिंग गैर-निवेश श्रेणी की रेटिंग हैं।
सुलझाए गए कुल फंसे कर्ज (एनसीएलटी-पूर्व या एनसीएलटी के तहत चिह्निïत सबसे बड़े बोलीदाता) 0.82 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गए हैं। ऐसे ऋणों से जुड़े ऋणदाताओं को औसत 43 प्रतिशत नुकसान झेलना होगा, जो पूरे फंसे कर्ज पोर्टफोलियो पर 59 प्रतिशत के अनुमान की तुलना में कम है। विद्युत और धातु एवं खनन क्षेत्रों समेत इन्फ्रास्ट्रक्चर में ज्यादा फंसे कर्ज के समाधान लंबित हैं जिसके बाद रियल एस्टेट, दूरसंचार और पेट्रो रसायन शामिल हैं। रियल एस्टेट क्षेत्र में फंसे कर्ज की श्रेणी में शामिल होने से बचने के लिए कर्ज के पुनर्वित्त की जरूरत बढ़ सकती है। धातु एवं खनन, सीमेंट और वाहन और सहायक क्षेत्रों से संबंधित कुछ फंसे कर्ज अब तक सफलतापूर्वक सुलझाए गए हैं।
समाधान की समय-सीमा के मानकों में दो वर्ष तक की कमी किए जाने की संभावना है। विश्व बैंक के अनुसार, भारत उन कुछ देशों में शुमार है जहां फंसे कर्ज के समाधान की 4.5 वर्षों की सबसे लंबी समय-सीमा निर्धारित है। रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) 12 फरवरी 2018 के अपने सर्कुलर के तहत समाधान की समय-सीमा निर्धारित करने के लिए प्रतिबद्घ है। अब तक फंसे कर्ज के समाधानों की सफलता को देखते हुए समय-सीमा को घटाकर 2-2.5 वर्ष किया जा सकता है। रिजर्व बैंक की एनसीएलटी के लिए पहली और दूसरी सूची में लगभग 37 कंपनियां शामिल हैं जिनमें सिर्फ तीन के मामले ही तय समय-सीमा के अंदर सुलझाए गए हैं। इनमें पहली सूची 270 दिन और दूसरी 180 दिन की समय-सीमा के तौर पर अधिसूचित है। चूंकि प्रक्रिया में तेजी आ रही है, इसलिए समाधान की रफ्तार अगले 6-12 महीने में तेज होने की संभावना है।
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