कर भुगतान के लिए वॉलमार्ट के पास 7 सितंबर तक का वक्त हैभारत की प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट का अधिग्रहण करने वाली दिग्गज अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट पर अपनी कर देनदारी पूरा करने के लिए 7 सितंबर तक का समय है। करीब 16 अरब डॉलर में फ्लिपकार्ट के 77 फीसदी शेयर खरीदने वाली वॉलमार्ट को सौदे की 10 फीसदी से अधिक राशि कर के तौर पर जमा करनी पड़ सकती है। गत मई में वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट में निर्णायक हिस्सेदारी खरीदने का ऐलान किया था। पिछले हफ्ते भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने भी इस सौदे पर अपनी मुहर लगा दी है जिसके बाद आयकर विभाग ने अमेरिकी कंपनी के अगले कदम पर अपनी नजरें टिका दी हैं। आयकर विभाग इस बात का इंतजार करेगा कि वॉलमार्ट सौदे की रकम पर कर का भुगतान करती है या नहीं। इसके लिए वॉलमार्ट के पास 7 सितंबर तक का वक्त है। असल में, भारत के बाहर की कंपनी को लाभांश या ब्याज का भुगतान किए जाने पर स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) करनी होती है। बाद में टीडीएस के मद में एकत्रित राशि आयकर विभाग के पास जमा करनी होती है। इस नियम के मुताबिक संभवत: वॉलमार्ट ने भी फ्लिपकार्ट की प्रवर्तक कंपनी फ्लिपकार्ट सिंगापुर को रकम के भुगतान के समय टीडीएस काटा होगा। आयकर विभाग को उसी राशि का इंतजार है। कर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को कहा, ‘वॉलमार्ट ने जो भी कर कटौती की होगी, उसे जमा करने के लिए उसके पास 7 सितंबर तक का समय है। उसके बाद ही हम उससे कर कटौती के बारे में कोई पूछताछ करेंगे। कर का मामला ►फ्लिपकार्ट के अधिग्रहण की राशि के भुगतान पर टीडीएस कटेगा ►करीब 16 अरब डॉलर में वॉलमार्ट ने 77 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी ►पूंजीगत लाभ पर 10-20 फीसदी कर लगाने का प्रावधान ►करीब 2 अरब डॉलर की कर कटौती का अनुमान ►आयकर विभाग 7 सितंबर तक करेगा इंतजार वॉलमार्ट को कर देनदारियों का आकलन सावधानी से करने की जरूरत होगी।’ अधिकारी ने कहा कि भारत एवं सिंगापुर के बीच दोहरे कराधान से राहत संबंधी संधि होने से कई विक्रेता कर राहत का दावा कर सकते हैं। इस तरह के सवालों के घेरे में 43 विक्रेता कंपनियां हैं जिनमें से कुछ ने आयकर अधिनियम की धारा 197 के तहत कर में राहत मिलने का दावा किया है। इस धारा के मुताबिक हिस्सेदारी बेचने वाला कोई भी प्रवासी भारतीय कर विभाग से यह अनुरोध कर सकता है कि भारत में नगण्य या निम्न दर पर कर लगाया जाए। मोटे तौर पर अनुमान है कि फ्लिपकार्ट के अधिग्रहण सौदे की राशि पर 10 फीसदी से अधिक टीडीएस काटा गया होगा। दीर्घावधि पूंजीगत लाभ की स्थिति में 10 से 20 फीसदी की दर से कर लगता है। इस तरह वॉलमार्ट के पास टीडीएस के तौर पर करीब 2 अरब डॉलर की रकम हो सकती है।बहरहाल वॉलमार्ट ने आयकर विभाग को यह भरोसा दिलाया है कि वह अपनी कर देनदारियों को पूरा करेगी। अमेरिकी कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम कानूनी दायित्वों को गंभीरता से लेते हैं। हम जिस देश में भी कारोबार करते हैं, वहां की सरकार के लगाए करों का भुगतान भी हमारा दायित्व है। हम भारतीय कर अधिकारियों के साथ मिलकर काम करेंगे।’ भारत ने हाल ही में सिंगापुर और मॉरीशस के साथ अपने कर समझौते संशोधित किए हैं। अब इन देशों के साथ 1 अप्रैल 2017 के बाद किए गए किसी भी निवेश पर पूंजीगत लाभ पर कर में छूट नहीं मिलेगी। हालांकि इस अवधि में खरीदे गए शेयर अगर 31 मार्च 2018 तक बेच दिए जाते हैं तो उन पर कर आधा हो जाएगा। अधिग्रहण की घोषणा के बाद फ्लिपकार्ट ने शेयर खरीद समझौते की जानकारी कर विभाग को भी दी थी ताकि फ्लिपकार्ट के अपने शेयर वॉलमार्ट को बेचने वाले निवेशकों पर लगने वाले कर की दर तय की जा सके। सिंगापुर में पंजीकृत कंपनी फ्लिपकार्ट के कई विदेशी निवेशकों ने अपने शेयर वॉलमार्ट को बेच दिए हैं। बड़े विदेशी निवेशकों में सॉफ्टबैंक, टाइगर ग्लोबल, एक्सेल पार्टनर्स और नैस्पर्स शामिल थे।कानूनी फर्म नांगिया ऐंड कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर राकेश नांगिया कहते हैं, ‘भारतीय कर प्रावधानों के मुताबिक फ्लिपकार्ट में शेयरों की खरीद के दौरान विदेशी कंपनियों को किए गए भुगतान पर कर कटौती के लिए वॉलमार्ट ही जिम्मेदार होगी।’ इसका अनुपालन नहीं करने पर वॉलमार्ट पर दंडात्मक कार्रवाई भी हो सकती है।
