मटर आयात को मिली मंजूरी | दिलीप कुमार झा / मुंबई August 21, 2018 | | | | |
दलहन के छोटे और मध्य आकार वाले आयातकों को राहत देते हुए विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 125 टन पीली मटर के आयात को मंजूरी दे दी है। इससे उन्हें साल की शुरुआत में विदेशी विक्रेताओं को किया गया अग्रिम भुगतान बचाने में मदद मिलेगी। सामान्य परिपाटी के रूप में भारतीय आयातक भविष्य में किए जाने वाले सौदों के लिए विदेशी विक्रेताओं को मटर के मूल्य का 10 प्रतिशत तक अग्रिम भुगतान किया करते थे। लेकिन डीजीएफटी की 25 अप्रैल, 2018 की अधिसूचना के तहत साख पत्र (एलसी) के बिना पीली मटर का आयात स्थगित किए जाने से आयातकों की आयात योजना अटक गई थी।
इस अग्रिम भुगतान की वसूली में दिक्कत का सामना करते हुए भारतीय आयातकों ने सरकार से अनुबंधों को पूरा कराने में मदद का अनुरोध किया था। उन्होंने सरकार से गुजारिश की थी कि उन्हें कम से कम उतनी मात्रा में मटर आयात की अनुमति प्रदान की जाए जिसके लिए उन्होंने विदेशी विक्रेताओं को अग्रिम भुगतान किया था। भारत मुख्य रूप से कनाडा, यूक्रेन और फ्रांस आदि से मटर आयात करता है। एक अधिसूचना में डीजीएफटी ने कहा है कि विभिन्न छोटे आयातकों की ओर से उनके अनुरोधों पर विचार करने की मांग की गई है जिसमें उन्होंने प्रति अनुबंध मटर से भरे कम से कम 3-5 कंटेनरों के आयात की अनुमति मांगी है ताकि वे विदेशी आपूर्तिकर्ताओं के पास फंसे अपने धन की वसूली कर सकें। छोटे आयातकों की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए उनकी मांग के अनुरूप प्रति अनुबंध मटर के अधिकतम 125 टन (पूर्ण क्षमता वाले पांच कंटेनरों का वजन) या इससे कम आयात की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है, भले ही 25 अप्रैल से पहले अग्रिम भुगतान किया गया हो या न किया गया हो।
हालांकि 25 अप्रैल के बाद अग्रिम भुगतान के आधार पर मटर आयात स्थगित कर दिया गया था क्योंकि व्यापारियों को केवल साख पत्र के जरिये ही इस जिंस के आयात की अनुमति थी। डीजीएफटी ने स्पष्टï किया है कि उपयुक्त आवेदक अपने अनुबंधों के पंजीकरण और संवर्धन के लिए अपने संबंधित क्षेत्रीय अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं। क्षेत्रीय अधिकारी आयातकों के अनुबंध के अनुसार मटर आयात की अनुमति प्रदान करने वाले क्षेत्रीय प्रमाणपत्र जारी करेंगे। कनाडा के अनाज आयोग द्वारा एकत्रित किए गए आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 तक कनाडा भारत का सबसे बड़ा निर्यातक था। उस वर्ष कनाडा ने भारत को कुल 20.2 लाख टन की खेप भेजी थीं। लेकिन नवंबर 2017 के बाद से भारत का मटर समेत सभी किस्मों की दालों का आयात लुढ़क गया था। उस समय भारत सरकार ने इस पर 50 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाया। इसके बाद भारत सरकार ने दिसंबर में भी छोले और मसूर पर 30 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा दिया था। फरवरी में छोले पर आयात बढ़ाकर 40 प्रतिशत और फिर मार्च में 60 प्रतिशत कर दिया गया था।
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