केरल में आई भयावह बाढ़ की वजह से बीमा कंपनियां बड़े दावों का निपटान करने के लिए तैयारी कर रही हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की कई बीमा कंपनियों ने दावा प्रक्रिया पर कार्रवाई शुरू कर दी है जबकि अभी एक-चौथाई अनुमानित दावे भी किए ही नहीं गए हैं। इस बीच कृषि बीमा कंपनी (एआईसी), फसल बीमा के लिए करीब 60 करोड़ बीमित राशि के मुकाबले 15-16 करोड़ रुपये का दावा किए जाने की उम्मीद कर रही है। कंपनी बीमित राशि के केवल 25 फीसदी हिस्से का ही भुगतान करेगी। अगर बुआई के वक्त कोई नुकसान होता है तब बीमा कंपनी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत बीमित राशि का महज 25 फीसदी भुगतान करने के लिए जिम्मेदार है। धान की बुआई को बाढ़ ने बुरी तरह प्रभावित किया था। इससे पहले वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने ट्विटर पर बताया कि ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ के तहत किए गए ‘दावे का निपटान अकाउंट के आधार पर तात्कालिक रूप से किया जाएगा’। केरल में पीएमएफबीवाई के तहत फसल बीमाकर्ता के तौर पर केवल कृषि बीमा कंपनी का ही नाम दर्ज है। भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) राज्य में बीमा दावे का तेजी से निपटान करने के लिए पहले ही दिशानिर्देश दे चुका है। ओरियंटल इंश्योरेंस के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) गिरिजा कुमार का कहना है, ‘हमने केरल में दावे की प्रक्रिया का सरलीकरण किया है। हमने विभिन्न कलेक्शन सेंटर तैयार किए हैं और राज्य में तेज गति से दावों के निपटान के लिए ज्यादा लोगों की नियुक्तियां कर रहे हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि वाहन, आवास और दुकानदारों के बीमा दावे में ज्यादा खर्च होगा। इस वक्त नुकसान का पूरा आकलन करना मुश्किल है।’ बीमा कंपनियों को वाहन बीमा से जुड़े सबसे ज्यादा दावे किए जाने की उम्मीद है। यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस को पहले से ही करीब 2 करोड़ रुपये के दावे मिले हैं। यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के प्रवक्ता के मुताबिक, ‘अब तक हमें करीब 2 करोड़ के दावे मिले हैं लेकिन यह रकम अगले तीन-चार दिनों में बढऩे की संभावना है। बाढ़ का दूसरा चरण काफी भयावह रहा और हम बड़े पैमाने पर दावे की उम्मीद कर रहे हैं। चेन्नई बाढ़ से तुलना करें तो केरल में सभी जिले बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। यहां आर्थिक नुकसान ज्यादा रहने की उम्मीद है। हमें अभी बीमित नुकसान का आकलन करना है। हम दावे का निपटान तेजी से करने की कोशिश कर रहे हैं। विभिन्न मीडिया में विज्ञापन के जरिये हम लोगों को यह सूचना दे रहे हैं कि वे हमसे संपर्क करें।’ चेन्नई में 2015 में आई बाढ़ के दौरान करीब 45 अरब रुपये तक के बीमा दावे किए गए थे। ज्यादातर दावे वाहन बीमा से जुड़े थे। नियामक ने बीमा कंपनियों को यह निर्देश दिया है कि वे ‘सरल प्रक्रिया अपनाते हुए दावे का निपटान करें जिनमें जरूरत के हिसाब से कुछ छूट भी देना शामिल है’ और वे साप्ताहिक आधार पर दावे के निपटान की रिपोर्ट दें।
