भारत के तेल व गैस क्षमता का नया आकलन दो दशक बाद सामने आया है, जिसके मुताबिक देश में 42 अरब टन तेल के बराबर भंडार (बीटीओई) है। भविष्य में भारत के ऊर्जा की जरूरतों के हिसाब से मुंबई ऑफशोर और कृष्णा गोदावरी बेसिन अहम बने रहेंगे, जहां सबसे ज्यादा भंडार है।
1996 में किए गए आकलन की तुलना में मौजूदा आकलन के मुताबिक 49 प्रतिशत ज्यादा तेल भंडार है। इसमें अनुमान लगाया गया है कि 15 सेडीमेंट्री बेसिन में 20.09 अरब टन तेल के बराबर भंडार है, जो जमीन पर, छिछले तल में और गहरे जल वाले क्षेत्रों में है। हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) की मौजूदा रिपोर्ट 26 सेडीमेंट्री बेसिन में करीब 41.872 बीओटीई संसाधन है।
इसके अलावा करीब 29.796 अरब टन बगैर खोजा हुआ हाइड्रोकार्बन है, जबकि खोजा गया हाइड्रोकार्बन 12.076 बीटीओई है। हिंदुस्तान ऑयल एक्प्लोरेशन कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पी इलांगो के मुताबिक, ‘यह तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम और ऑयल इंडिया जैसी कंपनियों के परंपरागत आंकड़ों पर आधारित है। सरकार स्वतंत्र थर्ड पार्टी का आंकड़ा भी सामने लाएगी, जिसमें आकलन का विस्तृत ब्योरा होगा, जिससे कि भविष्य में तेल एवं गैस की बोली में विदेशी निवेशक आकर्षित हो सकते हैं। ’
इलांगो ने कहा कि इसके अलावा ऑफशोर ब्लॉकों से तेल निकालना आर्थिक रूप से ज्यादा फायदेमंद होगा, जबकि ज्यादा शोध और ऑफशोर ब्लॉकों में संभावनाओं के दोहन के लिए भारत को बीपी और शेल जैसे बड़े कारोबारियों की जरूरत होगी, जिनके पास तकनीक लाने के लिए मोटी पूंजी हो। 26 बेसिन की जांच चल रही है, जिसमें मुंबई ऑफशोर जिसमें सबसे ज्यादा 9.646 बीटीओई भंडार का अनुमान है, जिसमें से करीब 4.794 अरब टन खोजे गए संसाधन हैं।
इसी तरह से कृष्णा गोदावरी बेसिन में भी 9.56 बीटीओई और असम शेल्फ में 6 बीटीओई का संसाधन है। ओएनजीसी के पूर्व चेयरमैन आरएस शर्मा ने कहा, ‘इस तरह के अनुमानित संसाधन को खोजे गए संसाधन के रूप में बदलने के लिए आपको भारी पूंजी निवेश की जरूरत होती है। इस तरह से सरकार की नीतियां ऐसी होनी चाहिए कि ज्यादा खोज हो सके और अन्वेषण को बढ़ावा मिले।’
हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय का दावा है कि अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा आंकड़ों की उपलब्धता के आधार पर आकलन किया गया है। देश में 1 बीटीओई से ज्यादा भंडार वाले कैंबे (2.5), कावेरी (1.9), असम अराकन फोल्ड बेल्ट (1.6), राजस्थान (4.1), सौराष्ट्र (1.3) और केरल कोंकण (1.2) शामिल हैं।
यह ऐसे समय में हुआ है जब भारत ने खोजे गए छोटे क्षेत्रों (डीएसएफ-2) की दूसरी नीलामी 9 अगस्त को की है। इससे इस क्षेत्र में 1 लाख करोड़ रुपये का निवेश आने की संभावना है और सरकार को करीब 450 अरब रुपये राजस्व मिलेगा। इसी तरह से हाल ही में संपन्न ओपन एकरेज मॉडल बोली ओएएलपी-1 ब्लॉक भी दो सप्ताह में आवंटित हो सकते हैं। वेदांत को कुल 55 ब्लॉकों में से सबसे ज्यादा 41 ब्लॉक मिलने की संभावना है जबकि ओआईएल, एचओईसी और ओएनजीसी को शेष ब्लॉक मिल सकते हैं।
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