बिहार सरकार ने बुनकरों को अब एक विशिष्टï पहचान संख्या (यूनिक आईडी नंबर) देने का फैसला किया है। इस संख्या का उल्लेख उनके करघों के साथ-साथ उत्पादों पर भी होगा। इससे राज्य में बुनकरों की पहचान और भुगतान में मदद मिलेगी।
राज्य सरकार ने इस बारे में काम शुरू भी कर दिया है। उद्योग विभाग के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ ने बताया, ‘हम बिहार में बुनकरों के लिए बीते कई वर्षों से कई योजनाएं चला रहे हैं। हालांकि हमें सबसे ज्यादा दिक्कत बुनकरों की पहचान करने मे हो रही है। इस वजह से कई बुनकरों को इन योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसीलिए हम राज्य के बुनकरों को एक विशिष्ट आईडी नंबर दे रहे हैं। यह नंबर उनके करघों और उत्पादों पर भी होगा।’
उन्होंने कहा कि इससे राज्य के बुनकरों और हस्तकरघा उत्पादों की पहचान करने में मदद मिलेगी और इस नंबर के इस्तेमाल से राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ भी इन बुनकरों को सीधे मिल पाएगा। यह नंबर उनके बैंक खाते से भी जुड़ा होगा, जिससे उत्पादों की खरीद पर राज्य सरकार सीधे उनके खाते में भुगतान करेगी।
बिहार में सरकारी अस्पतालों में चादर की खरीद बुनकरों से की जाती है। हालांकि बुनकर अक्सर भुगतान में समस्या की शिकायत करते हैं। इसीलिए राज्य सरकार ने अब सीधे उनके खाते में भुगतान का फैसला लिया है। प्रधान सचिव के मुताबिक नई व्यवस्था से भुगतान में देरी की समस्या खत्म हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि इससे राज्य सरकार की रियायतों का लाभ सिर्फ बिहार के बुनकरों को देने में भी सुविधा होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में बिहार के हस्तकरघा उत्पादों पर बिक्री कर में रियायत का ऐलान किया था। राज्य के बुनकरों को अब बड़े ऑर्डर भी मिलने लगे हैं। उद्योग विभाग के मुताबिक हाल ही में राज्य के बुनकरों से भारतीय रेलवे ने 30 हजार चादर और 60 हजार तकिया कवर खरीदने का ऑर्डर दिया है।