सरकारी बैंकों ने ठीक-ठाक वसूले फंसे कर्ज | देवाशिष महापात्र और अभिजित लेले / बेंगलूरु/मुंबई August 13, 2018 | | | | |
मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ज्यादातर सरकारी बैंकों ने फंसे कर्जों की ठीक-ठाक वसूली की है, जिससे संकेत मिलता है कि ये बैंक गैर-निष्पादित आस्तियों पर लगाम कसने के लिए लगातार ध्यान दे रहे हैं और इसके नतीजे भी मिल रहे हैं।
वसूली के लिए समर्पित टीम, फंसे कर्ज वाले खाते की निगरानी की केंद्रीकृत व्यवस्था और नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के जरिए बड़े एनपीए खाते के समाधान का इन्हें फायदा मिल रहा है।
उदाहरण के लिए घोटाले में फंसे पंजाब नैशनल बैंक ने अप्रैल-जून 2018-19 में 77 अरब रुपये की वसूली की, जो 2017-18 के दौरान वसूली गई रकम 44.43 अरब रुपये के मुकाबले काफी ज्यादा है। पीएनबी ने अप्रैल-सितंबर में 200 अरब रुपये की वसूली का लक्ष्य रखा है। सितंबर 2018 की तिमाही में पीएनबी को 115 अरब रुपये की वसूली करनी है। पीएनबी के कार्यकारी निदेशक एल वी प्रभाकर ने कहा, बैंक ने एनसीएलटी पहुंचे सात मामलों की पहचान की है जो समाधान के अंतिम चरण में पहुंचे हैं और यहां से बैंक को दूसरी तिमाही में खासी रकम मिलने की उम्मीद है।
इसी तरह एक अन्य सरकारी बैंक केनरा बैंक ने पहली तिमाही में 35.37 अरब रुपये के कर्ज की वसूली फंसे कर्ज में से की है। बेंगलूरु मुख्यालय वाले बैंक ने जनवरी-मार्च की तिमाही में 64.58 अरब रुपये की वसूली की थी।
इक्रा के प्रमुख (वित्तीय क्षेत्र) कार्तिक श्रीनिवासन ने कहा, वसूली का बड़ा हिस्सा एनसीएलटी में दो खातों के समाधान से हासिल हुआ है। इसके अलावा निगरानी आदि के जरिए फंसे कर्ज पर लगाम कसने पर पीएसबी का ध्यान भी नतीजे देने लगा है। उन्होंने कहा, एनसीएलटी में और खाते के समाधान के बाद हम सरकारी बैंक अच्छी खासी नकदी की वसूली से दो-चार होंगे।
एनसीएलटी खातों से वसूली के अलावा बैंकों ने बकाया वाले खातों को सामान्य खाते में बदलने के लिए कई नवोन्मेषी तरीके अपनाए हैं। उदाहरण के लिए विजया बैंक ने उन खातों की निगरानी के लिए समर्पित टीम बनाई है, जिन्होंने कर्ज भुगतान में डिफॉल्ट किया है। सार्वजनिक बैंकों में सबसे कम शुद्ध एनपीए स्तर वाले इस बैंक ने पहली तिमाही में 4.1 अरब रुपये की वसूली की, जो इससे पिछली तिमाही में वसूली गई रकम के मुकाबले करीब-करीब दोगुना है।
विजया बैंक के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्याधिकारी आर ए शंकर नारायणन ने पहली तिमाही के नतीजे की घोषणा के बाद कहा था, कर्ज खाते के लिए हमारे पास समर्पित वसूली टीम है और इसकी केंद्रीकृत निगरानी होती है। इन कोशिशों से हमने वसूली के मोर्चे पर अच्छी रफ्तार देखी है।
पीएनबी जैसा बैंक एक कदम आगे बढ़ गया है और यह कॉल सेंटर के जरिए 1 करोड़ रुपये तक वाले कर्ज खाते की निगरानी कर रहा है। बैंक ने इसके अलावा गांधीगीरी भी शुरू की है।
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