कर्नाटक में अन्य राज्यों से लौह अयस्क की आवक जुलाई में 68 फीसदी बढक़र 15.5 लाख टन पर पहुंच गई, जो जून महीने में 9.2 लाख टन थी। इसकी वजह यह है कि जेएसडब्ल्यू स्टील समेत बहुत सी इस्पात कंपनियां कर्नाटक में स्थित अपनी मिलों के लिए अन्य राज्यों से लौह अयस्क मंगाने को तरजीह दे रही हैं।
दूसरे राज्यों से ज्यादा लौह अयस्क आने से खनन कंपनियों को नुकसान हो रहा है, उनके पास स्टॉक बढ़ रहा है और अब खनन क्षेत्र में नौकरियां घटने की आशंका पैदा हो गई है। स्थानीय खनिकों का कहना है कि इस वजह से राज्य में लौह अयस्क की कीमतें 10 से 15 फीसदी लुढक़ गई हैं। स्थानीय खनिकों ने दूसरे राज्यों से आवक पर रोक लगाने की मांग की है।
यह विवाद अप्रैल में शुरू हुआ। उस समय मिलों ने नीलामी से अपनी खरीद घटा दी और नीलामी ही राज्य के खनिकों के लिए अपना लौह अयस्क बेचने का एकमात्र जरिया है। इसके नतीजतन एनएमडीसी और अन्य निजी क्षेत्र की कंपनियों समेत बहुत से खनिकों की खदानों के बाहर न बिकने वाले लौह अयस्क का ढेर जमा हो गया। इससे कुछ खनिकों को अपना खनन कम करने को बाध्य होना पड़ा है।
राज्य में लौह अयस्क की बाहरी आवक जुलाई, 2018 में बढक़र 15.5 लाख टन हो गई, जो जून, 2018 में 9.2 लाख टन के मुकाबले 68 फीसदी अधिक है। इस साल जुलाई में आवक पिछले साल जुलाई की आवक 11.6 लाख टन से 33 फीसदी अधिक है।
निजी क्षेत्र के एक बड़े खनिक ने कहा, ‘सर्वोच्च न्यायालय के कर्नाटक से निर्यात को मंजूरी नहीं देने की वजह यह सुनिश्चित करना था कि घरेलू इस्पात विनिर्माताओं को लौह अयस्क की आपूर्ति बढ़े। इस्पात कंपनियां लगातार बाहर से अयस्क मंगा रही हैं, जबकि घरेलू स्तर पर पर्याप्त कच्चा माल उपलब्ध है।
इससे खनन कंपनियों के पास स्टॉक बढ़ रहा है और राज्य के खजाने और नौकरियों पर असर पड़ रहा है। खनन उद्योग को अयस्क के खनन और परिवहन के लिए नौकरियों या अनुबंधों में कमी करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। न्यायपालिका और नौकरशाही में नीति-निर्माताओं को कर्नाटक के खनिकों के लिए समान मौकों की नीति बनाने और इस क्षेत्र पर प्रतिकूल असर डाल रहे कारोबारी अवरोधों को खत्म करने की दिशा में काम करने का उचित समय है।’
ज्यादातर लौह अयस्क करीब 12.7 लाख टन या 82 फीसदी कर्नाटक की एक बड़ी कंपनी ने मंगाया है। स्थानीय खनिकों का कहना है कि यह बड़ी कंपनी जेएसडब्ल्यू स्टील है। हालांकि इस मसले पर टिप्पणी के लिए जेएसडब्ल्यू के अधिकारियों से संपर्क नहीं हो पाया। लेकिन कंपनी के प्रबंधन ने हाल में एक निवेशक सम्मेलन में कहा था, ‘हम ज्यादा लौह मात्रा और कम एल्यूमिना वाला अयस्क खरीदने की कोशिश कर रहे हैं।’ जेएसडब्ल्यू स्टील के प्रबंधन ने कहा, ‘सबसे पहले हम कर्नाटक में उपलब्ध अयस्क की खरीदारी करेंगे। इसके बाद शेष जरूरत देश के बाहर से और ओडिशा से आयात के जरिये होगी।’
हालांकि फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज (फिमी) दक्षिण के पूर्व चेयरमैन एवं सदस्य और एक बड़े बसंत पोद्दार ने कहा कि इस्पात कंपनियां घरेलू बाजार से लौह अयस्क नहीं खरीद रही हैं और वे कीमतों में 66 फीसदी कटौती के लिए कह रही हैं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में कीमतें 10 से 15 फीसदी घटी हैं, जबकि ओडिशा में 10 से 15 फीसदी बढ़ी हैं। कर्नाटक में 62 फीसदी लौह मात्रा वाली फाइंस की कीमतें मई में 2,942 रुपये प्रति टन थीं, जो घटकर जून में 2,713 और जुलाई में 2,439 रुपये पर आ गईं।
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